बजट बना रोड़ा, 14 पेयजल योजनाएं लटकीं
फतेहपुर: ग्रामीण की प्यास पर सरकारी बजट रोड़ा बन गया है। दो साल से बजट न मिलने से जल निगम की 14 पेयजल योजनाएं लटक गयी है। फिलहाल इन टंकियों का निर्माण आधे अधूरे में रोक दिया गया है। विभाग बजट की आस में शासन को पत्राचार कर रहा है। बावजूद इसके शासन से बजट की दूसरी किस्त नहीं मिली। माना जा रहा है कि दो साल से लटकी यह परियोजनाएं इस गर्मी में भी चालू नहीं हो पाएंगी, चूंकि अभी तक इन स्वीकृत योजनाओं में महज 15 से 20 फीसद ही काम हुआ है।
सामान्य गांवों को तो छोड़िए उन गांवों को भी जनप्रतिनिधि बजट नहीं दिला सके। जिन्हें विशेष गांव के रूप में तरजीह दी गयी है। जिले में परसेढ़ा गांव के लिए दो साल पहले पेयजल योजना स्वीकृत हुई थी। दो करोड़ की लागत से यहां पंप हाउस, पानी की टंकी और गांव भर में पेयजल लाइन बिछाकर घर-घर पानी पहुंचाने का लक्ष्य था। स्वीकृत वर्ष के बाद ही इस गांव का चयन सांसद आदर्श गांव के रूप में हो गया। लेकिन फिर भी यहां के लिए स्वीकृत योजना के लिए शासन से बजट स्वीकृत नहीं हुआ। खास बात यह है कि यह गांव सांसद व केन्द्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के सपनों का गांव था। जिसे प्रधानमंत्री की मंशानुसार सुविधा संपन्न बनाया जाना था, लेकिन आज तक यहां के बाशिंदे पानी के लिए तरस रहे है। इसी तरह अन्य समान्य गांवों में भी डेढ़ डेढ़ करोड की पेयजल योजनाएं स्वीकृत हुई थी, लेकिन बजट के अभाव में इन्हें पूरा नहीं किया जा सका।
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यह है बड़ी परियोजनाएं
– अधूरी योजनाओं में मुख्य रूप से गाजीपुर, अमौली, शाह, जजरहा, मातिनपुर की पेयजल योजनाएं बड़ी परियोजनाओं के रूप में है। इनके लिए करीब दो करोड़ की कार्ययोजना स्वीकृत है। लेकिन एक बार 45-45 लाख की किस्त देने के बाद शासन से दूसरी किस्त इन परियोजनाओं को नहीं मिली। जिसके कारण कहीं पंप हाउस का निर्माण पूरा कर काम बंद कर दिया गया तो कहीं पर पंप हाउस के साथ टंकी का निर्माण भी करा दिया। लेकिन संचालन नहीं हो पा रहा है।
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नए वित्तीय वर्ष से लगी आस
– सूबे में नई सरकार बनी है और नया वित्तीय वर्ष भी प्रारंभ होने को कुछ ही दिन शेष बचे है। ऐसे में आने वाले वित्तीय वर्ष से उम्मीद है कि शासन से इस बार इन अधूरी परियोजनाओं के लिए धनराशि आवंटित हो जाएगी। एक्सईएन जल निगम पीके यादव ने बताया कि हमने अवशेष धनराशि की मांग शासन को भेज रखी है। हमारा पूरा प्रयास है कि नए वित्तीय वर्ष में धनराशि का आवंटन कराकर अधूरे कार्य को पूरा कराया जाए।
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