फतेहपुर: नि:शुल्क सेवाओं पर भी जिला अस्पताल के नियमित व संविदा कर्मचारी रिश्वत का दाग लगा रहे है। स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के तमाम दावे मौजूदा हालातों में धरासाई है। आलम यह है कि दवा-गोली से लेकर एंटी रैबीज के इंजेक्शन को लगाने तक में सुविधा शुल्क का बोलबाला है। रविवार को भोर पहर तब गजब हो गया जब जिला अस्पताल में बेड देने के नाम पर इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों ने मरीज के तीमारदारों से 278 रुपये की रिश्वत सरकारी फीस बताकर ले ली। सुबह पहर पीड़ित तीमारदार ने इसकी शिकायत सीएमओ डॉ. विनय पांडेय से की। शिकायत पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सीएमओ ने मामले पर जांच बैठा दी।
सीएमओ के पास शिकायत लेकर पहुंचे जाफरगंज निवासी विशंभर ने बताया कि वह भोर पहर अपने भतीजे राम ¨सह को लेकर इमरजेंसी पहुंचा था। चूंकि उसकी नाक से खून आ रहा था। इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों ने बेड न होने का हवाला देकर कहा कि यदि वह सरकारी फीस 278 रुपये जमा करे तो उसे बेड मिल सकता है। पीडि़त ने बताया कि उसने शुल्क के नाम पर मांगी गयी धनराशि जमा की, लेकिन उसे कोई जमा पर्ची नहीं दी गयी। साथ ही बेड नंबर 6 उसे आरक्षित कर दिया गया। सीएमओ ने कहा कि सरकारी अस्पताल में इमरजेंसी सेवा के लिए कोई फीस नहीं है। लेकिन यदि कोई मरीज प्राइवेट रूम मांगता है तो उसे फीस देनी पड़ती है। लेकिन सामान्य बेड में भर्ती करने पर फीस के नाम पर पैसा लिया गया तो उगाही ही है। ऐसे कर्मचारियों को बख्सा नहीं जाएगा। उन्होंने तत्काल इस प्रकरण की जांच सीएमएस डॉ. हरिगो¨वद को सौंपी और तीन दिन में जांच आख्या तलब की।
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