संदिग्ध हालात में सजायाफ्ता कैदी की मौत

फतेहपुर : गोलीकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सजायाफ्ता कैदी की जिला कारागार में रविवार को प्रात : संदिग्ध हालात में हृदय गति रुकने से मौत हो गई, जिससे जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया। सूचना पाकर आए मृतक के बेटों ने संदेह जताया कि पिछले हफ्ते पिता से मिलाई करने आए थे तो वह दुरुस्त थे, अचानक हुई मौत पर संदेह है। हालांकि परिजन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहे हैं।

मलवां थाने के मोहनखेड़ा गांव निवासी 73 वर्षीय सिंकदर यादव 307 आईपीसी के मुकदमे में वर्ष 2010 को जिला कारागार भेजे गए थे। शनिवार की रात उनकी हालत खराब हो गई, जिस पर जेल प्रशासन ने जेल अस्पताल में भर्ती करा दिया था। हालत में सुधार होने पर जेल प्रशासन उन्हें बैरक भेज दिया गया था, लेकिन रविवार को प्रात : अचानक उनके सीने में अचानक तेज दर्द उठा, जिससे जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया। आनन फानन बंदी रक्षक बालकिशन पांडेय उसे जिला अस्पताल लेकर आए, जहां चिकित्सकीय टीम ने कैदी सिंकदर को मृत घोषित कर दिया। खबर पाकर आए मृतक के बेटों ब्रम्हदत्त यादव व सुनील यादव आरोप लगाते हुए बताया कि यदि पिता की हालत खराब हो गई थी तो जेल प्रशासन को समय से इलाज कराना चाहिए था, लेकिन जेल प्रशासन ने इलाज में कोताही बरती इसलिए पिता की मौत पर संदेह हो गया है फिर भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है। जेलर एएन ¨सह का कहना था कि कैदी सिंकदर पर आरोप सिद्ध हो जाने पर उसे न्यायालय से आजीवन कारावास की सजा मिली थी, जिसे दमा व दिल की बीमारी थी, जिनका इलाज कानपुर तक कराया जा चुका है। रविवार को अचानक हालत खराब होने पर जिला अस्पताल भेजा गया, जहां पहुंचने के पहले ही उनकी हृदय गति रुकने से मौत हो गई।

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चार में दो आरोपियों पर आरोप सिद्ध

फतेहपुर : मोहनखेड़ा गांव निवासी ब्रम्हदत्त यादव की मानें तो गोलीकांड की घटना वर्ष 2002 की है। जिसमें ¨पटू, राजू, बच्चा कहार व संगम शुक्ला के बीच का झगड़ा था, जिसमें बीच बचाव में पहुंचे उसके पिता ¨सकदर को 307 आईपीसी में फंसा दिया गया था, क्योंकि संगम शुक्ला को गोली लगी थी। मुकदमे में सगे भाई राजू व बच्चा कहार जमानत पर रिहा हैं, लेकिन पिता व ¨पटू कहार पर आरोप सिद्ध हो गया था, जिसमें ¨पटू अभी भी जेल में बंद है।

News Source : http://www.jagran.com

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