लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता का चयन आज नहीं हो सका. नेता प्रतिपक्ष चुनने के लिये समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव को अधिकृत किया गया है. सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने यहां बताया कि विधानसभा चुनाव में नवनिर्वाचित विधायकों की आज पार्टी मुख्यालय पर हुई बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करके नेता विपक्ष तथा अन्य पदाधिकारियों के चयन के लिये पार्टी अध्यक्ष अखिलेश को अधिकृत किया गया है.
उन्होंने बताया कि बैठक में आगामी 25 मार्च को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आयोजित करने का निर्णय भी लिया गया. चौधरी ने बताया कि अखिलेश ने विधायकों से कहा कि चुनाव में पार्टी की हार पर उनके चेहरों पर उदासी नहीं आनी चाहिये. सपा का चरित्र ही संघर्ष करने का रहा है. अब जीवन का संग्राम पुरजोर तरीके से लड़ा जाएगा.
उन्होंने बताया कि बैठक में चुनाव में सपा की हार की कोई समीक्षा नहीं की गई है. बैठक में नवनिर्वाचित विधायकों ने कहा कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव में जिन तरीकों का इस्तेमाल किया, वे लोकतंत्र के लिये खतरा हैं. बीजेपी ने मतदाताओं को गुमराह करके चुनाव जीता है.
सपा प्रवक्ता के अनुसार विधायकों ने इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन में गड़बड़ी का आरोप भी लगाया और कहा कि भविष्य में सभी चुनाव मतपत्रों के जरिये ही कराये जाने चाहिये. हालांकि हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव को रद्द करने की मांग नहीं उठी. बैठक में अखिलेश के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव समेत सपा के सभी नवनिर्वाचित विधायक मौजूद थे.
संभावित चेहरे
हालांकि अखिलेश के पास विकल्प बहुत सीमित हैं. इस पद के लिये सबसे प्रमुख और अनुभवी राजनेताओं में उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी शिवपाल सिंह यादव और आजम खान शामिल हैं. हालांकि एक नाम अखिलेश के विश्वासपात्र बलिया के बांसडीह से विधायक राम गोविंद चौधरी का भी लिया जा रहा है.
विधानसभा चुनाव से कुछ पहले सपा संस्थापक मुलायम सिंह द्वारा अखिलेश को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये जाने के बाद परिवार में हुए झगड़े और उसमें अखिलेश की जीत के बाद हाशिये पर पहुंचे शिवपाल को नेता विपक्ष का महत्वपूर्ण पद दिये जाने की संभावना बहुत कम है. जहां तक आजम खान की बात है तो उन्हें संसदीय कार्यो और व्यवस्थाओं की गहरी जानकारी है लेकिन अक्सर विवादों में रहने की वजह से उनकी राह मुश्किल हो सकती है.
नेता प्रतिपक्ष के संभावित चेहरों में बांसडीह से विधायक पूर्व कैबिनेट मंत्री राम गोविंद चौधरी भी शामिल हैं. वह अखिलेश के विश्वासपात्र हैं और उनकी गिनती सपा के मुखर और स्पष्टवादी नेताओं में की जाती है. अखिलेश खुद विधान परिषद का सदस्य होने के नाते उच्च सदन में वरिष्ठ नेता अहमद हसन की जगह विपक्ष के नेता की भूमिका में आ सकते हैं.
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