जिले को स्मार्ट सिटी बनाने की उम्मीद एक बार फिर जग गई है। ऐसा केंद्र सरकार की ओर से अंतिम प्रस्ताव मांगे जाने की वजह से हुआ है। इसमें नगर पालिका को अपने कार्यों के बारे में सूचनाएं उपलब्ध करानी होगी। वहीं नागरिकाें की भूमिका भी अहम् होगी। उनके समर्थन को भी इस बार स्मार्ट सिटी के लिए प्रभावी बनाया गया है।
मोदी सरकार में जिले को स्मार्ट सिटी में शामिल करने की प्रक्रिया दो साल पहले शुरू हुई थी। इसमें महानगरों की तर्ज पर आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराई जानी है। केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई पहली सूची में रायबरेली और मेरठ के बीच बराबर की टक्कर रही। दोनों को 75-75 अंक मिले।
शुरुआती दौर में केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार पर दारोमदार छोड़ दिया। वहीं प्रदेश सरकार ने दोनों जिलों को स्मार्ट सिटी बनाने की मांग करते हुए गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दी। इसके बाद से मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
एक बार फिर शहरी विकास मंत्रालय की ओर से अंतिम प्रस्ताव नगर पालिका परिषद से मांगा गया है। इसमें शहर को मिल रही सुविधाओं, कमियों के साथ जनता के सुझाव को भी शामिल किया गया है। इस बार शहर को स्मार्ट सिटी बनाने में नागरिकों की भी अहम् भूमिका होगी।
नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी एसके गौतम का कहना है कि इस मुहिम में लोगों को जोड़ने के लिए फेसबुक पर स्मार्ट सिटी रायबरेली का अकाउंट बना है। इसे अब तक 500 लोगों के लाइक भी मिल चुके हैं। इसके अलावा लोगों के सुझाव के लिए 43 हजार प्रपत्र छपवाए जा रहे हैं। इसमें लोगों से सुझाव लिए जाएंगे।
पालिका चेयरमैन इलियास ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से अंतिम प्रस्ताव मांगा गया है। नागरिकों को इससे जोड़ने के लिए वार्ड स्तर पर सभासदों के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। उनके सुझाव लेने का प्रारूप तैयार कराया जा रहा है। होर्डिंग और बैनर-पोस्टर से भी लोगों को जागरूक किया जाएगा। ऑनलाइन सुझाव भी लिए जाएंगे। 31 मार्च से पहले यह कार्य पूरा करना है। इसके बाद प्रस्ताव भेजा जाएगा।