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सीडीओ के निरीक्षण में विद्यालयों की खुली पोल, आँगनवाडी केन्द्र मे लटका मिला ताला
मुन्ना बक्श ब्यूरो चीफ
बाँदा। शुक्रवार को मुख्य विकास अधिकारी ने अमृत सरोवर में लगाए गए वृक्षारोपण में झाड़ियों की कटाई का कार्य कराया का निरीक्षण किया। बताया कि जो संचारी रोग नियंत्रण की दृष्टि से आवश्यक है।इसके अतिरिक्त पंचायत सचिवालय में मनरेगा से संबंधित रजिस्टर और पत्रावलियो का निरीक्षण किया गया। आज की तारीख के लिए जारी किए गए मस्टररोल फाइल में ही पाए गए, जिससे स्पष्ट है कि कार्यस्थल पर मजदूरों की उपस्थिति न लेकर के बाद में एक साथ उपस्थिति भरी जाती है।
ग्राम पंचायत में वर्तमान वित्तीय वर्ष में केवल 10 श्रमिकों ने 100 दिन का कार्य किया है यह संख्या बहुत कम है.।मनरेगा की पत्रावली मे पाए गए मास्टर रोल और एमबी अधूरी थी। इनमें प्रविष्टयां अत्यद्यवधिक पूर्ण करने के निर्देश दिए गये बिल वाउचर और मस्टरोल जिनका कई माह पूर्व भुगतान किया जा चुका है। उन पर भी पेड एंड कैंसिल की मोहर और हस्ताक्षर नहीं पाए गए। इसके पश्चात आंगनवाड़ी केंद्र के निरीक्षण के लिए केंद्र पर पहुंचने पर वहां ताला लगा पाया गया और बुलाने पर भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ती उपस्थित नहीं हुई । आंगनवाड़ी कार्यकर्ती का मानदेय काटने का निर्देश दिया गया।ग्राम पंचायत बांदा के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के कक्ष में टूटे-फूटे सामान फावड़ा, खुरपी बहुत ही खराब ढंग से रखे गए हैं तथा ऐसा प्रतीत हो रहा था कि कार्यालय की साफ सफाई के प्रति प्रधानाध्यापक एवं अन्य अध्यापकों में कोई रुचि नहीं है। जबकि संचारी रोग के नियंत्रण के लिए डेंगू एवं वायरल फीवर के नियंत्रण के लिए, मलेरिया के नियंत्रण के लिए सभी को निर्देशित किया गया है किंतु साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया नहीं दिया गया है। अध्यापकों द्वारा अध्यापन कार्य में भी रुचि का अभाव है। ग्राम पंचायत सेमरी में पूर्व माध्यमिक विद्यालय का निरीक्षण किया गया। दोपहर 2 बजे के आसपास ही कई अध्यापिकाए स्कूल से जाने की तैयारी कर रही थी।इस विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक 4 सहायक अध्यापक और दो अनुदेशक तैनात है कुल 7 महिला अध्यापकों द्वारा स्कूल को चलाया जा रहा है। विद्यालय में 116 पंजीकृत छात्र हैं जिसमें से केवल 53 छात्र उपस्थित पाए गए, तीन रसोईया हैं किंतु शिक्षण की गुणवत्ता बहुत ही खराब है। गणित के लिए अलग से अध्यापक हैं कक्षा आठ के छात्र से गणित के सवाल पूछे गए जिसका कोई जवाब बच्चे नहीं दे पाए। विषय की अध्यापिका से कहां गया कि उनका पढ़ाने का क्या उद्देश्य है तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि बच्चों में सीखने की आदत नहीं है। अनियमित रूप से विद्यालय आते हैं, अधिकांशत अनुपस्थित रहते हैं। इस कारण शिक्षण कार्य प्रभावित होता है जबकि इतनी बड़ी संख्या में अध्यापकों की तैनाती से विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था में पर्याप्त सुधार होना चाहिए था सभी अध्यापिका अपने शिक्षण कार्य के प्रति उदासीन दिखी तथा विद्यालय में केवल समय बिताने के उद्देश्य से उपस्थित रहती हैं