अब सांस से पता चलेगा कैंसर है या नहीं, टाटा स्टील ने किया इस IIT से समझौता

 

प्रारंभिक चरण के कैंसर के निदान को किफायती हकीकत बनाने के प्रयास के तहत टाटा स्टील के न्यू मैटेरियल्स बिजनेस ने सांस आधारित कैंसर डिटेक्टर के लिए आईआईटी रुड़की के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता किया है। इस पर 17 अक्तूबर को हस्ताक्षर किए गए। आईआईटी रुड़की के प्रोफेसरों की टीम प्रो. इंद्रनील लहिरी, प्रो. पार्थ रॉय, प्रो देबरुपा लहिरी और उनके ग्रुप के शोधकर्ताओं ने कैंसर का जल्द पता लगाने के लिए सरल तथा उपयोग में आसान श्वसन आधारित डिटेक्टर (बीएलओ ब्रेथ बेस्ड डिटेक्टर) विकसित किया है।

समझौते के बारे में टाटा स्टील के न्यू मैटेरियल्स बिजनेस के वीपी डॉ. देबाशीष भट्टाचार्जी ने कहा कि टाटा स्टील लगातार नवाचार की संस्कृति को प्रोत्साहन देने और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए निरंतर सुधार की दिशा में काम कर रही है। हम इस बीएलओ डिटेक्टर को विकसित और प्रयोग करने के लिए आईआईटी रुड़की के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। यह डिवाइस कलरिमेट्री के सिद्धांतों पर काम करती है। स्तन, फेफड़े और मुंह के कैंसर का पता लगाने में सक्षम है। बीएलओ डिटेक्टर बड़ी आबादी की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

सुगम होगा उपचार

कैंसर का पता लगाने के लिए यह डिवाइस कलरिमेट्री के सिद्धांतों पर काम करता है। यह मनुष्य में स्तन, फेफड़े और मुंह के कैंसर का पता लगाने में सक्षम है। जिनलोगों के स्तन, फेफड़े और मुंह के कैंसर से किसी से प्रभावित होने की संभावना है, उनमें इसका पता लगाया जा सकता है। इस परीक्षण में मिलने वाले सकारात्मक परिणाम कैंसर के निदान और उपचार के लिए डॉक्टर की मागदर्शन करेगा। इससे मानवता को बड़ा फायदा होगा और उपचार सुगम बनेगा।

क्लीनिकल टेस्ट जारी

इस डिवाइस का कैंसर रोगियों, विशेष रूप से इन तीन प्रकार के कैंसर से पीड़ितों के स्वस्थ होने की दर में वृद्धि होगी। डिवाइस का प्रारंभिक क्लीनिकल टेस्ट देहरादून में एक कैंसर अनुसंधान संस्थान में किया गया है, जिसकी संवेदनशीलता और विशिष्टता क्रमश 96.11 और 94.67 है। टाटा स्टील कमर्शियल टर्म्स पर प्रोटोटाइप के डिजाइन और उपयोग की दक्षता में और सुधार करेगी। साथ ही टाटा मेडिकल सेंटर, कोलकाता के सहयोग से इसके प्रभाव का पुनर्मूल्यांकन करेगी।

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