अमौली/फतेहपुर। आर्य समाज के तत्वाधान में आयोजित त्रिदिवसीय 96 वां वार्षिकोत्सव संपन्न हो गया। कार्यक्रम के अंतिम दिवस प्रातः यज्ञ तथा सत्संग का आयोजन हुआ। जिसमें आचार्य राम प्रसाद शास्त्री एवं आचार्य बृजेश शास्त्री ने यज्ञ संपन्न कराया।
आचार्य बृजेश शास्त्री ने अंतिम दिवस के कार्यक्रम में दीपावली के बारे में उपदेश दिया। उन्होंने बताया कि दीपावली में घर में शुभ एवं लाभ लिखा जाता है किंतु हमें इसकी जानकारी नहीं होती, शुभ का मतलब है वर्तमान और लाभ का मतलब है भविष्य अर्थात वर्तमान यदि आपका शुभ होगा तो भविष्य लाभकारी होगा। उन्होंने लोक श्तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु की व्याख्या करते हुए बताया कि संकल्प को पकड़ने वाला वर्तमान समय को पकड़ सकता है। आज बुजुर्ग अतीत में खोया है और युवा भविष्य की योजना में खोया रहता है। वर्तमान में कोई नहीं जी रहा। रिद्धि और सिद्धि के बारे में व्याख्या करते हुए बताया कि निरंतर पुरुषार्थ करना रिद्धि है और उस पुरुषार्थ में सफल हो जाना ही सिद्धि है। आचार्य राम प्रकाश शास्त्री ने आत्मा और परमात्मा के बारे में बताते हुए कहा कि परमात्मा से केवल आत्मा ही मिल सकती है क्योंकि दोनों ही चेतन है। तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति की व्याख्या करते हुए कहा कि परमात्मा एक है और वह सभी जीव जंतु मनुष्य तथा पेड़ पौधों सब का रखवाला है। भजन गायक राम सेवक ने वैदिक धर्म निभाया करो बहना भजन गाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्मनारायण शास्त्री ने किया। कार्यक्रम में सियाराम आर्य, मूलचंद्र आर्य, छेदालाल आर्य, नरेश ओमर, दिनेश कुमार आर्य, रमेश आर्य, मूल शंकर सचान, कुलदीप तिवारी, उमाशंकर, दिनेश कश्यप, शील चंद्र आर्य, नंदलाल आर्य, सुनील आर्य, पेशकार आर्य, प्रकाश वीर आर्य, अंशुल आर्य, आशुतोष आर्य इत्यादि लोग उपस्थित रहे।