27 साल बाद दिवाली के दूसरे दिन सूर्य ग्रहण, MP में 32% सूरज को चांद ढंक देगा, देखने से चूके तो 5 साल इंतजार

 

 

करीब 27 साल बाद दिवाली के दूसरे दिन कल यानी 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगेगा। यह इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण होगा। इससे पहले यह खगोलीय घटना 24 अक्टूबर 1995 को दिवाली के दूसरे दिन हुई थी। मध्यप्रदेश में ग्रहण शाम करीब साढ़े 4 बजे शुरू होकर शाम करीब साढ़े 5 बजे समाप्त होगा। प्रदेश में ग्रहण शुरुआत में तो नजर आएगा, लेकिन सूर्यास्त होने के कारण पूरा नजारा नहीं दिखेगा।

प्रदेश भर में सूर्य ग्रहण 30% से ज्यादा हो जाएगा। अगर इस बार यह घटना देखने से चूक जाते हैं, तो फिर 5 साल का इंतजार करना पड़ेगा। यानी अगला सूर्यग्रहण 2027 में पड़ेगा।

मौसम वैज्ञानिक अशफाक हुसैन ने बताया कि दिवाली के अगले दिन आंशिक सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। भारत में सूर्यास्त के पहले दोपहर में ग्रहण शुरू होगा। इसे अधिकांश जगह से देखा जा सकेगा। हालांकि यह अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और उत्तर-पूर्व भारत के कुछ जगह (जिनमें से कुछ के नाम हैं आइजोल, डिब्रूगढ़, इम्फाल, ईटानगर, कोहिमा इत्यादि) में नहीं दिखाई देगा।

इससे पहले यह संयोग करीब 27 साल पहले 1995 में बना था। उस दौरान दिवाली 23 अक्टूबर को थी। दूसरे दिन 24 अक्टूबर को संपूर्ण सूर्य ग्रहण था।

भोपाल में यह शाम करीब 4 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगा। यह शाम 5 बजकर 38 मिनट तक नजर आएगा। इस दौरान चांद प्रदेश भर में सूर्य के 32% से ज्यादा हिस्से को कवर कर लेगा। ग्रहण का अंत प्रदेश भर में कहीं भी दिखाई नहीं देगा, क्योंकि वह सूर्यास्त के उपरांत भी जारी रहेगा। भारत में उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में अधिकतम ग्रहण के समय चंद्रमा लगभग सूर्य के 40 से 50% के बीच होगा।

दिल्ली-मुंबई में अधिकतम ग्रहण के समय चंद्रमा द्वारा सूर्य ग्रहण का प्रतिशत क्रमशः करीब 44% व 24% होगा। यहां ग्रहण की अवधि क्रमश: 1 घंटे 13 मिनट और 1 घंटे 19 मिनट होगी। चेन्नई व कोलकाता में ग्रहण की अवधि क्रमश: 31 मिनट और 12 मिनट की होगी। ग्रहण यूरोप, मध्य पूर्व अफ्रीका के उत्तर-पूर्वी हिस्सों, पश्चिमी एशिया, उत्तर अटलांटिक महासागर और उत्तर हिंद महासागर के क्षेत्रों में दिखाई देगा।

पूर्ण चंद्र ग्रहण अगले महीने नवंबर में
अगला ग्रहण जो भारत से दिखाई देगा, वह पूर्ण चंद्र ग्रहण है। यह 8 नवंबर, 2022 यानी मंगलवार को होगा। यह चंद्रोदय के समय भारत के सभी स्थानों से दिखाई देगा।

अगला सूर्य ग्रहण 2027 में
भारत में अगला सूर्य ग्रहण करीब 5 साल बाद यानी 2 अगस्त 2027 में नजर आएगा। वह पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। देश के सभी हिस्सों से वह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में नजर आएगा।

इस कारण होता है सूर्य ग्रहण
अमावस्या को सूर्य ग्रहण तब घटित होता है, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है। वे तीनों एक सीध में स्थित हो जाते हैं। आंशिक सूर्य ग्रहण तब घटित होता है, जब चन्द्र चक्रिका का सूर्य चक्रिका की आंशिक रूप से ही ढंक पाती है।

संभलकर देखें ग्रहण
सूर्य ग्रहण की थोड़ी देर के लिए भी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए। चंद्रमा सूर्य के अधिकतम हिस्सों को ढंक दे, तब भी इसे खाली आंखों से न देखें, क्योंकि यह आंखों को स्थाई नुकसान पहुंचा सकता है। इससे अंधापन हो सकता है। सूर्य ग्रहण को देखने की सबसे सही तकनीक है एल्युमिनी माइसर, काले पॉलिमर 14 नंबर शेड के लाईदार कांच का उपयोग कर और टेलीस्कोप के माध्यम से सफेद पटल पर सूर्य की छाया को देख सकते हैं।

सूर्य ग्रहण को देखने से आंखें डैमेज होने का खतरा, वेधशाला के अधीक्षक राजेन्द्र गुप्त से जानिए

  • सूर्य ग्रहण को कोरी आंखों (बिना चश्मा) से देखने की गलती बिलकुल नहीं करें। इससे आपकी आंखों का रेटिना डैमेज हो सकता है। जिससे धीरे-धीरे आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती हैं। ग्रहण को देखने के एक्स-रे फिल्म का उपयोग नहीं करें, किसी चश्मे से भी नहीं देखें, सीधे सूर्य को देखने की कोशिश नहीं करें। ये आंखों के लिए घातक हो सकता है।
  • सूर्यग्रहण की आंशिक या वलयाकार स्थिति को कोरी आंखों से देखने का प्रयास नहीं करें।
  • टेलीस्कोप या बाइनोक्यूलर से सूर्य को कभी न देखें।
  • किसी भी ऐसे फिल्टर का इस्तेमाल न करें, जो सूर्य की दृश्य तीव्रता को कम कर देता है।
  • धूम्रयुक्त ग्लास, रंगीन फिल्म, सनग्लास, नॉन-सिल्वर ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म, फोटोग्राफिक न्यूट्रल डेंसिटी फिल्टर या पोलराइजिंग फिल्टर एक्स-रे फिल्म का इस्तेमाल न करें। ये सुरक्षित नहीं होते।
  • नेत्र गोलकों पर लगाए जाने वाले सौर फिल्टर का इस्तेमाल भी न करें जो सस्ते टेलीस्कोप के साथ बेचे जाते हैं।

ऐसे देखें सूर्य ग्रहण

  • सूर्य की केवल प्रक्षेपित छवि ही देखनी चाहिए।
  • सूर्य की छवि को एक पिन होल के जरिए छाया वाली दीवार पर प्रक्षेपित करें।
  • एक छोटे दर्पण को कागज के टुकड़े से ढके। इस कागज में 1 से 2 सेंटिमीटर व्यास का छिद्र बनाइए। कागज लगे इस दर्पण का प्रयोग कर दीवार पर सूर्य की प्रक्षेपित छवि को देखिए।
  • सूर्य की छवि को प्रक्षेपित करने के लिए एक छोटे टेलीस्कोप या बाइनोक्यूलर का प्रयोग किया जा सकता है।
  • आंशिक रूप से ग्रहण लगे सूर्य का प्रत्यक्ष दर्शन केवल वैज्ञानिक रूप से जांचे गए और सुरक्षित होने के प्रमाण वाले फिल्टर से देखना चाहिए।
  • खरोंच वाले खराब फिल्टर का उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
  • ग्रहण को देखने के लिए केवल अपनी एक आंख का ही प्रयोग करना चाहिए।
  • ग्रहण देखने वालों को ग्रहण की पूर्ण दशा के आरंभ और समाप्ति की जानकारी देने के लिए एक अनुभवी व्यक्ति साथ हो।
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