मरकजे आला हजरत से ऐलान सात नवंबर को मनाई जाएगी ग्यारहवीं शरीफ़

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मरकजे आला हजरत से ऐलान सात नवंबर को मनाई जाएगी ग्यारहवीं शरीफ़

▶ ग्यारहवीं शरीफ शरीयत के दायरे में मनाने की अपील
 ▶अंजुमनों से अपील शरीयत के दायरे में उठाएं जुलूस-ए-गौसिया

 ▶गैर शरई हरकतों से बाज आए और अमन का पैगाम दें-:सलमान मियां

बरेली। इस्लामी कैलेंडर के चौथे महीने को रबी ऊल आखिर कहा जाता है। इस महीने को इसके नाम के अलावा ग्यारहवीं शरीफ़ व गौसे पाक के महीनें के नाम से जाना जाता है, और बड़ा मशहूर है इस दिन मुस्लिम जगत मे खूब ईसाले सवाब करते हैं। गौसे पाक तमाम सूफ़ी संतों के सरदार हैं। आपका नाम अब्दुल कादिर जीलानी है। अपने इल्म के जरिये बहुत से लोगो को इस्लाम की शिक्षा दी और इस्लाम का परचम लहराया। गौसे पाक का जन्म जीलान राज्य में हुआ था, जोकि आज के समय ईरान में मौजूद है और उनके नाम में मौजूद जीलानी उनके जन्मस्थल को दर्शाता है। हर साल रमज़ान के पहले दिन को आपके जन्मदिन के रुप में मनाया जाता है। जमात रज़ा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान मियां ने बताया कि ग्यारहवीं शरीफ़ इस्लामी महीने के रबी ऊल आखिर की 11 तारीख को मनाया जाता है सुन्नी मुस्लिम धर्म द्वारा मनाये जाने वाला एक बहुत बड़ा त्यौहार है, इस दिन सुन्नी मुस्लिम बड़े धूम धाम से नियाज व नजर् करते हैं और इस दिन को सरकार अब्दुल क़ादिर जीलानी के याद में मनाते है और सरकार अब्दुल क़ादिर जीलानी को बड़े पीर व गौसे पाक के नाम से जाना व पहचाना जाता है l गौसे पाक ने इस्लाम को बुलंद करने वाले शख्स के रुप में भी जाना जाता है l इसलिए इन्हें मोहिउद्दीन कहा जाता है l लोग अपने शहरों में ग्यारहवीं शरीफ़ का जुलूस निकालते है, इसमे अकीदतमंद बड़ चड़ कर हिस्सा लेते हैं और नियाज़ का एहतिमाम करते हैं l बरेली मे ग्यारहवीं शरीफ़ का जुलूस 7 नवम्बर को शानो शौकत से निकाला जाएगा। तमाम अहले सुन्नत वल जमात से गुजारिश है कि जुलूस मे शरियत के मुताबिक शामिल हों और गैर शरई हरकतों से बाज आए और अमन का पैगाम दें।

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