भूल सुधारने के लिए पीएम को लिखा खून से पत्र – बुंदेलियों ने खून से खत लिखकर मनाया काला दिवस – वर्ष 1956 में तत्कालीन प्रधानमंत्री ने किया था बुंदेलखंड का विभाजन

खागा/फतेहपुर। बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के स्वयंसेवकों ने मंगलवार को खागा कस्बा के गढ़ी मुहल्ला स्थित अमर बलिदानी ठा. दरियाव सिंह स्मारक में काला दिवस मनाते हुए देश के प्रधानमंत्री को खून से खत लिखकर 66 साल पहले ही गई भूल सुधारने की मांग की। स्वयंसेवकों ने कहा कि वर्ष 1956 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने बुंदेलखंड का विभाजन करते हुए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बांट दिया था।
बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण पांडेय ने कहा कि 1947 में जब देश आजाद हुआ तब बुंदेलखंड एक राज्य था। नौगांव (छतरपुर) इसकी राजधानी थी। उस समय चरखारी के कामता प्रसाद सक्सेना यहां मुख्यमंत्री थे, लेकिन 22 मार्च 1948 को बुंदेलखंड का नाम बदल कर विंध्य प्रदेश कर दिया गया। इसमें बघेलखंड को भी जोड़ दिया गया था। एक नवंबर 1956 का दिन बुंदेलखंड के इतिहास का वह काला दिन है, जब इसे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में विभाजित करते हुए भारत के नक्शे से ही मिटा दिया गया। तभी से बुंदेलखंड राज्य दो बड़े राज्यों के बीच पिस रहा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र की तत्कालीन (पंडित जवाहरलाल) नेहरू सरकार ने प्रथम राज्य पुनर्गठन आयोग के सदस्य सरदार के. एम. पणिक्कर की बुंदेलखंड राज्य बनाए रखने की सिफारिश को दरकिनार कर यह फैसला लिया था। आयोग ने 30 दिसंबर 1955 को जो रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी, उसमें बुंदेलखंड सहित 16 राज्य और तीन केंद्र शासित प्रदेश बनाने की बात शामिल थी। जिसमें आंशिक बदलाव कर नेहरू सरकार ने 14 राज्य व पांच केंद्र शासित राज्य बनाए। उसी दौरान बुंदेलखंड का विभाजन हो गया। पांडेय ने कहा, आजादी के बाद से बुंदेलखंड के साथ लगातार भेदभाव होता आ रहा है। इसी लिए मंगलवार (एक नवंबर) को बुंदेलखंड के पांच दर्जन वाशिंदों ने काले लिबास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने खून से खत लिखकर उनसे अपील की है कि जिस तरह जम्मू एवं कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 हटाकर एक ऐतिहासिक भूल आपके द्वारा सुधारी गई है, उसी तरह बुंदेलखंड को पुनरू राज्य का दर्जा देकर एक दूसरी भूल भी सुधारें। काला दिवस मनाते हुए बुंदेलियों ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 29 वीं बार खून से पत्र लिख नेहरू सरकार की भूल सुधारने की मांग की है। राम प्रसाद विश्वकर्मा, जनार्दन त्रिपाठी, अतुल साहू, धीरज मोदनवाल, अखिलेश, मोती लाल साहू, प्रेमचंद्र विश्वकर्मा, सीताराम, गणेश प्रसाद मिश्र, देवा त्रिपाठी, अवधेश मिश्रा, जीतेंद्र, बूटा देवी, भगवानदीन, राजबहादुर मौर्य, राम शरण प्रजापति, लवकेश कुमार, राजेश प्रसाद विश्वकर्मा, लल्लन सिंह आदि रहे।

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