इंडोनेशिया के बाली में आज यानी मंगलवार को वार्षिक जी20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत हो चुकी है. इसमें कोविड-19 वैश्विक महामारी और यूक्रेन पर रूस के हमले से उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा की गई. वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 वैश्विक महामारी और यूक्रेन का जिक्र करते हुए वैश्विक स्तर पर चुनौतीपूर्ण वातावरण के बीच जी20 के नेतृत्व के लिए इंडोनेशिया की तारीफ की और कहा कि इन घटनाक्रमों ने पूरी दुनिया में तबाही मचा दी है. लेकिन इन बातों से इतर सवाल यह है कि आखिर क्या है जी20 जिस पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं.
जी20 को ग्रुप ऑफ ट्वेंटी भी कहा जाता है. यह यूरोपियन यूनियन एवं 19 देशों का एक अनौपचारिक समूह है. जी20 शिखर सम्मेलन में इसके नेता हर साल जुटते हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था को कैसे आगे बढ़ाया जाए इस पर चर्चा करते हैं. इसका गठन साल 1999 में हुआ था. साथ ही यह एक मंत्रिस्तरीय मंच है जिसे G7 द्वारा विकसित एवं विकासशील दोनों अर्थव्यवस्थाओं के सहयोग से गठित किया गया था.
इसलिए हुआ था गठन
जब इसका गठन हुआ था तब यह वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों का संगठन हुआ करता था. इसके पहले सम्मेलन की बात करें तो दिसंबर 1999 में जर्मनी की राजधानी बर्लिन में हुआ था. गौरतलब है कि साल 2008 में दुनिया ने भयानक मंदी का सामना किया था. इसके बाद इस संगठन में भी बदलाव हुए और इसे शीर्ष नेताओं के संगठन में तब्दील कर दिया गया. इसके बाद यह निश्चय किया गया कि साल में एक बार G20 राष्ट्रों के नेताओं की बैठक की जाएगी. साल 2008 में अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में इसका आयोजन किया गया. वहीं G-20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं.
ये है मकसद
इस मंच का सबसे बड़ा मकसद आर्थिक सहयोग है. मालूम हो कि इसमें शामिल देशों की कुल जीडीपी दुनिया भर के देशों की 80 फीसदी है. समूह साथ में आर्थिक ढांचे पर तो काम करते ही है. साथ ही आर्थिक स्थिरता, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे पर भी बातचीत करता है. इसके केंद्र में आर्थिक स्थिति को कैसे स्थिर और बरकरार रखें, होता है. इसके साथ ही मंच विश्व के बदलते हुए परिदृश्य को भी ध्यान में रखता है और इससे जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करता है. इसमें व्यापार, कृषि, रोगार, ऊर्जा, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई, आतंकवाद जैसे मुद्दे भी शामिल हैं.
भारत के लिए क्यों अहम
इस मंच की सबसे बड़ी बात है हर साल शिखर सम्मेलन में दुनिया के कई देशों के शीर्ष नेताओं की आपस में मुलाकात. साथ ही इस साल भारत जी20 की अध्यक्षता ग्रहण कर रहा है. भारत के सामने इसे लेकर कठिन चुनौतियां हैं. भारत की G20 प्राथमिकताओं में समावेशी, न्यायसंगत और सतत विकास, महिला सशक्तिकरण, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, और तकनीक-सक्षम विकास, जलवायु वित्तपोषण, वैश्विक खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा, अन्य शामिल हैं.
जी-20 समिट में इस बार के दुनिया के शीर्ष नेता आपस में मुलाकात करेंगे. इस बार भी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन हिस्सा ले रहे हैं. माना जा रहा है कि भारत कई व्यापार समझौतों पर अलग-अलग देशों से बात कर सकता है. शिखर सम्मेलन से इतर मोदी कई नेताओं के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठक करेंगे.
पिछले कुछ महीनों में G20 की साख को काफी झटका लगा है. शिखर सम्मेलन से ठीक पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का शामिल ना होना भी सुर्खियों में रहा है. वहीं इसकी आंतरिक दरारें भी उभरकर सामने आई है. जैसे-जैसे भारत इसकी अध्यक्षता ग्रहण करेगा उसे तमाम मतभेदों को दूर करने के लिए सामने से नेतृत्व करना होगा. इसके साथ ही भारत को मतभेदों के समाधान तलाशने होंगे और शांति के लिए सेतुओं का निर्माण करना होगा.