800 करोड़ लोगों में सिर्फ 45 के पास है गोल्डन-ब्लड, एक बूंद खून की कीमत सोने से ज्यादा, क्यों दुर्लभ है ये ब्लड-ग्रुप

 

 

दुनिया भर में इंसानों की आबादी 800 करोड़ है। आमतौर पर ज्यादातर इंसानों के शरीर में 8 तरह के ब्लड ग्रुप्स पाए जाते हैं- A+, A-, B+, B-, O+, O-, AB+, AB-, लेकिन एक ऐसे ब्लड ग्रुप के बारे में पता चला है, जो दुनिया के सिर्फ 45 लोगों के शरीर में है। इस ब्लड ग्रुप का नाम है- ‘गोल्डन ब्लड’।

क्या आपने भी पहली बार इस ब्लड ग्रुप का नाम सुना है? अगर ‘हां’ तो आज भास्कर एक्सप्लेनर में 7 सवालों के जरिए इस ब्लड ग्रुप के बारे में सबकुछ जानिए…

सवाल- 1: गोल्डन ब्लड ग्रुप क्या है?
जवाब: गोल्डन ब्लड इंसानों के शरीर में पाए जाने वाला एक दुर्लभ यानी रेयर ब्लड ग्रुप है। इस ब्लड ग्रुप का दूसरा नाम आरएच नल (Rhnull) है। दुनिया के महज 45 लोगों के शरीर में पाए जाने वाला यह खून किसी भी ब्लड ग्रुप वाले इंसानों के शरीर में चढ़ाया जा सकता है। इस ग्रुप का खून काफी कम लोगों में पाया जाता है, इसीलिए इस बल्ड ग्रुप को रेयर यानी दुर्लभ माना गया है।

सवाल- 2: Rhnull को गोल्डन ब्लड ग्रुप क्यों कहा जाता है?
जवाब: भले ही दुनिया के 45 लोगों के शरीर में ये ब्लड ग्रुप मिला हो, लेकिन इसके डोनर अब भी दुनिया में सिर्फ 9 लोग हैं। मतलब ये हुआ कि गोल्डन ब्लड ग्रुप वाले 36 लोग ऐसे हैं जो या तो इस स्थिति में नहीं हैं कि वे अपना ब्लड डोनेट कर सकें, या फिर वे स्वेच्छा से अपना ब्लड डोनेट करने के लिए तैयार नहीं हैं।

ऐसे में इस ब्लड ग्रुप के एक बूंद खून की कीमत एक ग्राम सोने से भी ज्यादा है। इसी वजह से इसे गोल्डन ब्लड ग्रुप का नाम दिया गया है।

सवाल- 3: गोल्डन ब्लड को Rhnull क्यों कहा जाता है?
जवाब
: गोल्डन ब्लड को Rhnull इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये खून उसी शख्स के शरीर में पाया जाता है, जिनका Rh फैक्टर null होता है।

अब आप सोच रहे होंगे कि ये Rh फैक्टर और null क्या होता है? दरअसल, हमारे शरीर में खून 3 तरह के सेल से मिलकर बनता है- 1. रेड ब्लड सेल 2. व्हाइट ब्लड सेल 3. प्लेटलेट्स।

हमारे शरीर का ब्लड ग्रुप कौन सा है, ये दो चीजों के आधार पर पता चलता है…

1.एंटीबॉडी: व्हाइट ब्लड सेल में मौजूद प्रोटीन को कहते हैं।

2. एंटीजन: रेड ब्लड सेल में मौजूद प्रोटीन को कहते हैं।

Rh रेड ब्लड सेल्स की सतह पर मौजूद एक प्रोटीन होता है। आम इंसान के शरीर में ये Rh या तो पॉजिटव होता है या तो नेगेटिव। लेकिन, जिस इंसान की बॉडी में गोल्डन ब्लड होता है, उसकी बॉडी का Rh न तो पॉजिटिव होता है और न ही नेगेटिव होता है। मतलब ये कि इनके शरीर में Rh फैक्टर null होता है।

सवाल- 4: कुछ ही लोगों के शरीर में गोल्डन ब्लड क्यों पाया जाता है?
जवाब
: गोल्डन ब्लड ग्रुप जेनेटिक म्युटेशन की वजह से होता है। आमतौर पर ऐसे लोगों के शरीर में RHAG जीन के म्युटेशन की वजह से होता है। किसी इंसान के शरीर में इस बल्ड ग्रुप्स के पाए जाने की मुख्यतौर पर दो वजह सामने आई हैं…

  • जेनेटिक म्युटेशन की वजह से ये एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के लोगों में ट्रांसफर होता है।
  • नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसीन वेबसाइट के मुताबिक चचेरे भाई, भाई-बहन, या किसी निकट या दूर के रिश्तेदार के बीच शादी होने की वजह से भी उनके बच्चों में गोल्डन ब्लड पाए जाने की संभावना होती है।

सवाल- 5: पहली बार गोल्डन ब्लड कहां देखा गया था?
जवाब: नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन वेबसाइट के मुताबिक 1961 में पहली बार ऑस्ट्रेलियाई की एक आदिवासी महिला के शरीर में ये ब्लड ग्रुप पाया गया था।

इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टर जीएच वोज और उनके साथियों ने इसके बारे में डिटेल रिपोर्ट तैयार किया था।

इस रिपोर्ट को इसी साल पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन की पत्रिका में पब्लिश किया गया था। इससे पहले डॉक्टरों का मानना था कि Rh एंटीजन के बिना बच्चे जिंदा नहीं पैदा हो सकते हैं।

सवाल- 6: गोल्डन ब्लड ग्रुप वालों के लिए क्या कोई खतरा होता है?
जवाब: गोल्डन ब्लड ग्रुप वाले इंसानों के शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी होती है। इसकी वजह से शरीर में पीलापन और रेड ब्लड सेल्स कम होने का खतरा बना रहता है। इस ब्लड ग्रुप वाले ज्यादातर लोग एनीमिया बीमारी के शिकार पाए गए हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि अगर मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों के शरीर में गोल्डन ब्लड हो तो गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है। इस तरह के लोगों के किडनी फेल्योर होने की संभावना भी ज्यादा होती है।

सवाल- 7: क्या गोल्डन ब्लड ग्रुप की तरह कोई और दुर्लभ ब्लड ग्रुप है?
जवाब: हां, गोल्डन ब्लड ग्रुप की तरह ही एक और दुर्लभ ब्लड ग्रुप है, जिसका नाम- बॉम्बे ब्लड ग्रुप है। गंगाराम अस्पताल के ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ. विवेक रंजन के मुताबिक, हमारे खून में मौजूद लाल रक्त कणिकाओं में कुछ शुगर मॉलिक्यूल्स होते हैं, जो ये निर्धारित करते हैं कि किस व्यक्ति का ब्लड ग्रुप क्या होगा। बॉम्बे ब्लड ग्रुप के लोगों में शुगर मॉलिक्यूल्स नहीं बन पाते हैं, इसलिए इनमें कैपिटल एच एंटीजन नहीं होता और वो किसी भी ब्लड ग्रुप में नहीं आते हैं।

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