दो हजार वर्षों पुराने किले के टीले को पुरातत्वविदों का इंतजार – राजा खड़ग सिंह के किले के खंडहर के टीले को इंतजार कब जागेंगे जिम्मेदार: प्रवीण – प्रशासनिक कुनितियों का शिकार प्राचीन धरोहर
खागा/फतेहपुर। तहसील में एनएच-19 से दो किलोमीटर, रेलवे लाईन से 100 मीटर की दूरी पर यह कुकरी कुकरा स्थान है। जहां ऊंचा टीला है वहीं पर इन ईंटों की दीवार है। 300 मीटर में ही ससुर खदेरी नदी बहती है। गांव में सोने का खजाना दबे होने की चर्चा ने क्षेत्र के पुरातात्विक महत्व के स्थानों का जनाकर्षण है। लोगों का कहना है कि ऐतिहासिक घटनाओं या प्राकृतिक आपदाओं से भूगर्भ में समा चुके पुराने वैभव का समाज व राष्ट्रहित में उपयोग के प्रति सरकार की सक्रियता को प्रशासन विस्तार न देने से पिछले कई दिनों से रात में खुदाई चल रही है जिसमे सोना, मूर्तियां, बरछा, सोना, भाला मिलने की चर्चा चारो तरफ फैली हुई है। खागा की सरजमीं भी देश का भाग्य बदलने में सहायक साबित हो सकती है। नगर के संस्थापक राजा खड़क सिंह के इतिहास से जुड़ा कुकरा कुकरी स्थल में भी अकूत भू-संपदा होने की संभावना पूर्व में व्यक्त की गई थी। जिसको खुदाई रात के अंधेरे में जारी है। आस पास चर्चा है पर्याप्त मात्रा में सोना ,चांदी, कौड़ियां, भाला, बरछी आदि प्राप्त हुई।
पुरातत्वान्वेषक श्री कुकबन तथा शियोनार्ड जब बाँदा उन्नाव एवं इलाहाबाद जनपद में नव पाषाण कालीन स्थलों का अनन्वेषण और अध्ययन कर रहे थे, तो इलाहाबाद से जुड़ी हुई फतेहपुर की भूखण्ड पत्रिका भी उन्होने नवपाषाण कालीन पुरातात्विक अवशेषों के प्राप्त हाने की सम्भावनायें व्यक्त की थी परिणामतरू इलाहाबाद विश्वविद्यालय की इतिहासकार डा0 माधुरी शर्मा ने 1975 से 1980 के बीच खागा तहसील का सर्वेक्षण करके नौबस्ता, बेगाँव, ब्राह्मण टोला (खागा) बुढवां, कुकरा, कुकरी, भखन्ना आदि स्थलों से नवपाषाण कालीन पुरातत्वावशेष खोज निकाला जिनमें बेसाल्ट पाषाण से निर्मित काले रंग के शिकारी उपकरण तथा ताम्र युग एवं प्रस्तर युगीन, लालमृदमाण्ड, मध्यकालीन मृदमाण्ड, मुगलाकालीन ब्लेज्ड मृदमाण्ड तथा चन्देल कालीन पाषाण मूर्तियां भी प्राप्त हुई हैं जो फतेहपुर की नगर पालिका में सुरक्षित रखा दी गयी। खोजों की यह उपलब्धि इस तथ्य को स्थापित करती हे कि प्रस्तर युग ताम्रयुग ओर नवपाषाण युग में यहां समृद्धि और समुन्नत बस्तियाँ थी जो राज्य सन्ताओं से प्रभावित एवं संचालित अवश्य होती रही होंगी। बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण पाण्डेय ने मांग की है कि बचे हुए टीले के हिस्से को पुरातात्विक विभाग, इतिहासकारों को दे दिया जाये जिससे वहां के सही इतिहास पर शोध हो सके स अपने इतिहास को संस्कृति को न्नष्ट होने से बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है।