जेल के अंदर बंदियों ने पैसा दिया तो उन्हें अच्छा खाना और मोबाइल के साथ आरामदायक घर जैसी सुविधा 

 

 

बाड़मेर जिला जेल (कारागृह) में कैदियों से अवैध वसूली करने का खुला खेल लंबे समय से चल रहा है, लेकिन जिम्मेदार प्रशासन व जेल विभाग अनजान बना हुआ है। जेल में न तो कभी कलेक्टर ने निरीक्षण कर सख्ती बरती है। न ही जेल प्रशासन बैरक की सुध ले रहा है। ऐसे में यहां पहुंचने वाले बंदियों ने पैसा दिया तो उन्हें अच्छा खाना और मोबाइल के साथ आरामदायक घर जैसी सुविधा मिल जाएगी। अगर पैसा नहीं दिया तो उन्हें, काल कोठड़ी (महिला बैरक) में ठूंस दिया जाएगा। जहां न तो समय पर पानी और न ही खाना मिलेगा। साथ ही पूरे जेल के बाथरूम की साफ-सफाई करनी होगी। इसके अलावा मारपीट भी झेलनी पड़ सकती है।

बाड़मेर जिला कारागृह में पांच बैरक हैं। इसमें दो-तीन बैरक सुविधाजनक है। जहां नए बंदी के पहुंचने पर जेल स्टाफ के विश्वसनीय बंदी हर माह सुविधा के नाम परिजनों के जरिए पैसा वसूलते हैं। यह खेल लंबे समय से चल रहा है। ऑपरेशन फ्लैश आउट के तहत डेढ़ साल पहले जिला पुलिस की टीम ने निरीक्षण किया था उस समय मोबाइल व अफीम दूध भी बरामद किया था।

रुपए देने पर घर जैसी सुविधा

पड़ताल में सामने आया है कि नए बंदी के पहुंचने पर दो-तीन बंदी, जो लंबे समय से जेल में है। वह उन्हें घेर लेते है। साथ ही घर जैसी सुविधा मुहैया करवाने व मोबाइल पर बात करवाने के नाम पर प्रत्येक बंदी से हर माह 15 हजार रुपए वसूलते है। अगर कोई बंदी पैसा देने से मना कर दे तो उसे एक छोटा बैरक है, उसका नाम भी काल कोठड़ी रखा गया है। उसमें ठूंस देते है। फिर उनसे जेल के बाथरूम की सफाई व अन्य काम करवाते है। यह खेल लंबे समय से चल रहा है। साथ ही जेल में मोबाइल भी खुलेआम उपयोग हो रहा है।

सोशल मीडिया के जरिए वीडियो आया सामने

जेल बैरक का एक वीडियो भी सोशल मीडिया के जरिए सामने आया है। इसमें बंदी हारमोनियम बजाते नजर आ रहे है। एक बंदी ने जेल आईजी को लिखित शिकायत भेजकर भी कैदियों से अवैध वसूली किए जाने के आरोप लगाए थे। अवैध वसूली के स्क्रीन शॉट भी उपलब्ध करवाए गए।

15 हजार सुविधा के, 4 हजार सफाई-भोजन के लिए वसूलते

मारपीट के मामले में जेल में दो दिन रहकर आए एक युवक ने बताया कि हमें जैसे ही पुलिस ने जेल में भेजा तो हम बैरक में दो जने पहुंचे। जहां एक बंदी आया और बोला आपको अच्छी सुविधा चाहिए तो 15 हजार रुपए देने पड़ेंगे। वरना यहां बाथरूम की सफाई व काळ कोठड़ी में रहना पड़ेगा। पूछने पर बताया कि घर जैसी सुविधा जिसमें मोबाइल से बात भी करवाई जाएगी, जिसके बदले हर माह 15 हजार रुपए देने होंगे। इसके अलावा खाना व सफाई के लिए 4 हजार रुपए देने पड़ेंगे। यह पूरा खेल दो बंदी चला रहे है।

5 माह में फोन-पे पर भेज दिए 60 हजार

एक युवक जेल में बंद है, उसके परिजनों ने पांच माह में अंदर बैठे बंदी के कहने पर परिजनों ने 60 हजार रुपए भेज दिए है। इसका बंदी के परिजनों ने  हर माह दस से 12 हजार रुपए वसूले जा रहे है। एक बंदी ने तीन माह में 21 हजार रुपए भेजे है। इसके अलावा कई बंदियों से अवैध वसूली की जा रही है, लेकिन जिम्मेदार अनजान बने हुए है।

बिना मिलीभगत मोबाइल पहुंचना मुश्किल!

जेल प्रशासन व बंदियों की मिलीभगत से ही मोबाइल व अन्य निषेध सामग्री बैरक तक पहुंचती है। क्योंकि बिना मिलीभगत बैरक तक मोबाइल पहुंचाना मुश्किल है। यहां मुख्य गेट पर जांच के बाद जेल परिसर में जांच कर बंदियों को प्रवेश दिया जाता है। ऐसे में जाहिर है कि जेल प्रहरियों व प्रशासन की मिलीभगत से ही मोबाइल जेल के बैरकों तक पहुंच रहे है। अवैध वसूली और मारपीट से परेशान बंदियों की शिकायतों के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।

पुलिस ने तलाशी में पकड़े थे मोबाइल व अफीम का दूध

ऑपरेशन फ्लैश आउट के तहत डेढ़ साल पहले बाड़मेर जिला पुलिस की टीम ने जिला कारागृह का निरीक्षण किया था। उस दौरान पांच थानाधिकारियों ने एक-एक बंदी की बारीकी से तलाशी की थी। ऐसे में तलाश के दौरान बैरक नंबर दो में एक बंदी के कब्जे से 18 ग्राम अवैध अफीम का दूध बरामद हुआ था। उसके बाद दो मोबाइल व सिमकार्ड भी बरामद किए। लेकिन लंबे समय बाद जेल के बैरक की तलाशी नहीं ली गई। ऐसे में अवैध वसूली का खेल खुलेआम चल रहा है

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