रोबोट्स पर हमने कई फिल्में देखी हैं। रजनीकांत की ‘रोबोट’ में चिट्टी भावनाओं में आकर हीरो से विलेन बन जाता है। हॉलीवुड फिल्म ‘टर्मिनेटर’ में मानवता का साथ देने के लिए अर्नाल्ड रोबोट्स होकर भी मशीनों के खिलाफ लड़ते हैं।
रोबोट्स का ऐसा इस्तेमाल अब सिर्फ फसाना नहीं, हकीकत बनने जा रहा है। अमेरिका की सैन फ्रांसिस्को पुलिस ने अपने डिपार्टमेंट में ऐसे रोबोट्स को शामिल करने का मसौदा तैयार किया है, जो इंसानों पर गोलियां भी चला सकेंगे। अगर इस प्लान को मंजूरी मिल जाती है तो दुनिया में पहली बार पुलिस में किलर रोबोट्स की भर्ती होगी।
जानलेवा मुठभेड़ में अहम साबित होंगे किलर रोबोट्स
इन रोबोट्स का इस्तेमाल खासतौर पर ऐसे ऑपरेशंस में किया जाएगा, जहां इंसान की जान को ज्यादा खतरा होता है। सैन फ्रांसिस्को पुलिस के पास फिलहाल 17 रोबोट्स हैं। इनमें से 12 रोबोट्स पुलिस में शामिल होने के लिए बिलकुल फिट हैं।
इनका प्रयोग अब तक सिर्फ किसी जगह पर बम का पता लगाने और उसे नष्ट करने के लिए किया गया है। पुलिस ने इन रोबोट्स को ‘राइट टु किल’ यानी नाजुक ऑपरेशंस के दौरान संदिग्ध आरोपी को जान से मारने का अधिकार देने की मांग की है। इसका मतलब इन रोबोट्स को इंसानों की हत्या करने का अधिकार होगा।
कैसे तैयार किए जाएंगे इंसानों पर गोली चलाने वाले रोबोट्स
सैन फ्रांसिस्को पुलिस के पास फिलहाल रिमोटेक मॉडल के रोबोट्स हैं। इनमें ऑप्शनल वेपन सिस्टम भी फिट किया जा सकता है। यानी मौजूदा रोबोट्स में थोड़े-बहुत बदलाव के बाद ये गोली चलाने वाले रोबोट्स बन जाएंगे।
रोबोट्स के शरीर में पैन डिसरप्टर नाम का एक टूल है। ड्राफ्ट पास होने पर इसी टूल में अलग-अलग लंबाई की 12 गेज शॉट गन शेल डाली जाएंगी। इसके बाद ये रोबोट्स गोली भी चला सकेंगे।
इसके अलावा पुलिस डिपार्टमेंट के पास क्यूइनेटी क्यू टेलोन मॉडल के रोबोट्स भी हैं। इनमें भी वेपन लोड होने के बाद ये गोली चला सकते हैं। ये रोबोट्स अमेरिकन आर्मी का भी हिस्सा हैं। इन रोबोट्स में शॉट गन के शेल्स के अलावा ग्रेनेड लॉन्चर, मशीन गन और 0.50 कैलिबर की एंटी मटेरियल राइफल भी फिट की जा सकती है।
इन रोबोट्स में आपराधिक आशंका की समझ पैदा करने, ‘राइट टु किल’ पॉवर का सही इस्तेमाल करने और गंभीर परिस्थितयों के लिए तैयार को ट्रेनिंग भी कराई जाएगी।
कैसे काम करते हैं ये रोबोट्स?
ये रोबोट्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, इमेज रिकग्निशन और रोबोटिक्स जैसी टेक्नोलॉजी पर काम करते हैं। इनका खुद का एक आर्टिफिशियल दिमाग होता है जिससे ये तय कर सकते हैं कि अब आगे क्या करना है। मसलन- खड़े होना है, दूर जाना है, अटैक करना है या फिर गोली चलाना है।
इस आर्टिफिशियल दिमाग को कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के जरिए डिजाइन किया जाता है। प्रोग्रामिंग जितनी बेहतर होगी, रोबोट्स उतनी अच्छी तरह से अपने निर्णय लेंगे।
हालांकि सैन फ्रांसिस्को पुलिस ने इन रोबोट्स के लिए ऑपरेटर्स रखने और इन्हें पूरी तरह रिमोट कंट्रोल्ड बनाने का दावा किया है। बिना कंट्रोल के ये रोबोट्स बेहद खतरनाक हैं। ये रोबोट्स खुद ही अपने शरीर की चोट को कुछ हद तक ठीक कर सकते हैं और फिर इन्हें नष्ट करना बहुत मुश्किल होगा। इंसानों पर गोली चलाने की कमांड पुलिस अधिकारी की अनुमति के बाद ही दी जाएगी।
सैन फ्रांसिस्को पुलिस की ड्राफ्ट पॉलिसी पर अब तक क्या-क्या हुआ?
सैन फ्रांसिस्को की किलर रोबोट्स वाली पॉलिसी को रूल्स कमेटी ने मंजूरी दे दी है। मंजूरी देने का तर्क ये दिया गया है की भविष्य में ऐसी खतरनाक परिस्थितियां बन सकती हैं, जिनका सामना करने के लिए इंसान को दाव पर नहीं लगाया जा सकता। इसलिए रोबोट्स को कुछ खास ऑपरेशंस के लिए तैयार करना होगा।
29 नवंबर को ये ड्राफ्ट पॉलिसी मंजूरी के लिए बोर्ड ऑफ सुपरवाइजर्स के सामने पेश की जाएगी। हालांकि शुरुआत में सैन फ्रांसिस्को के बोर्ड ऑफ सुपरवाइजर्स के डीन आरोन पेस्किन ने पुलिस में रोबोट्स को शामिल करने से इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा था की हम रोबोट्स को किसी इंसान की जान लेने की परमिशन नहीं दे सकते। बाद में पेस्किन ने भी इस बात का जिक्र किया कि आने वाले समय में कुछ मुश्किल मौकों पर रोबोट्स की जरूरत पड़ सकती है।