यूपी में रोबोट करेंगे सीवर सफाई, इंसान की जगह मशीन 1 घंटे में 6 मैनहोल साफ करेगी, 3 साल में 65 की मौत

 

यूपी के सीवर की सफाई अब ‘बैंडीकूट’ रोबोट के हवाले होगी। कानपुर नगर निगम ने रोबोटिक मशीन के जरिए नई शुरुआत की है। अब पहला सवाल जेहन में आता है इसकी जरूरत क्यों पड़ी? दरअसल, यूपी में सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान होने वाली मौतों में कानपुर में टॉप पर है। यहां 65 लोग टैंक के अंदर सफाई करते हुए अपनी जान गवां चुके हैं। अब इन मौतों को रोकने के लिए नगर निगम ने रोबोट उतारा है।

कानपुर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत मैनहोल की सफाई के लिए बंडीकूट रोबेटिक मशीन खरीदा गया है। इस रोबोट से 1 घंटे के भीतर करीब 6 मैनहोल साफ किए जा सकेंगे। एक मैनहोल को साफ करने में ये मशीन करीब 10 मिनट लेगी। केरल की जेनरोबोटिक्स इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के इंजीनियर एंटनी अब्राहम ने बताया कि इस रोबेटिक मशीन से एक बार में लगभग 16 से 20 लीटर तक गंदगी को बाहर निकाला सकता है। एक मशीन की कीमत करीब 30 लाख रुपए है। 16 नवंबर 2022 को इसका सफल ट्रायल भी हो चुका है।

इस रोबोट में 4 कैमरे भी लगाए गए हैं, जो सीवर के चारों तरफ छिपी गंदगी को देख सकेंगे। इसमें एक बड़े कंट्रोल यूनिट के जरिए ऑपरेट किया जाएगा। इसमें मैनहोल की सफाई के लिए टाइमर भी सेट किया जा सकता है। इसे कहीं भी छोटे जेनरेटर की मदद से ऑपरेट किया जा सकता है।

इंजीनियर एंटनी अब्राहम ने बताया कि मैनहोल के अंदर कई बार खतरनाक गैस होती हैं। सफाई कर्मी मैनहोल में नीचे उतरते हैं और इन गैसों के प्रभाव में आकर मर जाते हैं। इस रोबोट में ऐसे सेंसर लगाए गए हैं जो खतरनाक गैसों को भी सेंस कर लेते हैं और उन्हें बाहर भी निकाल देते हैं। मैनहोल का ढक्कन हटाने के लिए मानव बल लगेगा, बाकी ये रोबोट काम खुद पूरा करेगा।

GSVM मेडिकल कालेज में मेडिसिन विभाग के प्रो. विशाल गुप्ता ने बताया कि सेप्टिक टैंक के कचरे व सीवरेज में बनने वाली गैस का प्रमुख घटक मीथेन है, जो हाईली कन्संट्रेट होती है। ये विषैली होती है। गंदे पानी के कारण भी ऐसी गैस बन सकती है।

विशेषज्ञों की माने तो सेप्टिक टैंक बंद रहता है, ऐसे में सीवेज और गंदे पानी की वजह से टैंक में मीथेन गैस की अधिकता हो जाती है। जब कभी कोई व्यक्ति सेप्टिक टैंक में उतरता है तो मीथेन गैस की गंध की तीव्रता सांस लेते ही सीधे दिमाग तक अटैक करती है। इसके असर से व्यक्ति बेहोश हो जाता है। वहीं कई दिनों तक टैंक में हवा पास न होने की वजह से ऑक्सीजन की कमी रहती है। ऐसे में अचेत अवस्था में भरपूर ऑक्सीजन भी नहीं मिल पाती है, जिसका सीधा असर फेफड़ों और हार्ट पर पड़ता है। यहीं मौत की वजह बन जाती है।

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