अनदेखी पड़ रही भारी, यमुना कटरी बयां कर रही दुश्वारी – धाता ब्लाक के सैदपुर गांव से शुरू हुई यमुना ग्राम दर्शन यात्रा

खागा/फतेहपुर। एकात्म मानव दर्शन यमुना ग्राम दर्शन यात्रा जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, यमुना कटरी का दर्द भी सामने आ रहा है। धाता ब्लाक के सैदपुर गांव से शुक्रवार सुबह यात्रा का आरम्भ हुआ। यात्रा संयोजक धर्मेंद्र दीक्षित, आयोजक बुंदेलखंड राष्ट्र समिति के केंद्रीय अध्यक्ष प्रवीण पांडेय, सनातन धर्म प्रचार संस्था प्रेमशंकर मिश्रा, हिमांशु त्रिपाठी, गंगा समग्र के जिला संयोजक रामप्रसाद विश्वकर्मा, राजा त्रिवेदी, दुर्गेश अवस्थी आदि लोग जिधर से गुजरे, लोगों ने दर्द सुनाने के लिए रोक लिया।
यमुना आरती सम्पन्न होने के बाद यात्रा सदस्यों ने सैदपुर घाट किनारे रात्रि प्रवास किया। यहां पर देर रात तक ग्रामीणों के साथ यात्रा सदस्यों का संवाद हुआ। आरती के समय मातृ शक्तियों ने जिस प्रकार बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, उसे देखकर लगता था कि महिलाओं की तरक्की का रास्ता और प्रशस्त होना चाहिए। संवाद में ग्रामीणों ने बताया कि यमुना तटवर्ती गांवों में तरक्की की तमाम संभावनाएं हैं। जिम्मेदार विभाग के अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस ओर गंभीरता से ध्यान नहीं देते हैं। दामपुर गांव से कानपुर का सफर कराने वाली रोडवेज बस कई महीनों से बंद है। कृषि भूमि बेहद उपजाऊ है। तराई का क्षेत्र उर्वरा शक्ति से भरपूर है। कृषि विभाग हो या फिर उद्यान विभाग की योजनाएं, सभी को गिने-चुने किसानों के बीच लागू किया जाता है। यात्रा सदस्यों को सलेमपुर गांव में प्रवेश करते ही एक बड़ा तालाब मिला। यह चारों ओर से पीपल के वृक्षों से घिरा हुआ था। इस तालाब को और भी सुंदर बनाया जा सकता था। हालांकि ग्राम पंचायत ने इसे आदर्श सरोवर बनाने में दिलचस्ती नहीं दिखाई। यमुना के तट पर किसान अनिल सिंह ने फूलों की क्यारी सजा रखी थी। बातचीत में बताया, यदि फूलों की खेती को ही बढ़ावा दिया जाए तो यमुना तटीय गांवों का दर्द समाप्त हो सकता है। यतीेंद्र सिंह, सतेंद्र सिंह व जयप्रकाश आदि लोगों ने अन्ना मवेशियों की समस्या गिनाई। खराब सड़कों के बारे में ग्रामीणों ने बताया कि सलेमपुर से परवजेपुर मात्र दो किमी दूर है। गांव जाने में छह किलोमीटर घूमकर जाना पड़ता है। परवेजपुर गांव में यात्रा सदस्यों ने रामेश्वर निषाद, शत्रुघन निषाद, सतलज निषाद व शिवबली, विकास, अर्जन व सुंदर आदि से बातचीत की। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम प्रधान, एक बिरादरी विशेष को सरकारी योजनाओं का लाभ दिला रहे हैं। यमुना तटवर्ती गांवों में पलायन का मुद्दा बेहद गंभीर है। ग्रामीणों ने बताया कि 18 वर्ष आयु पूरी होने से पहले ही तटीय गांवों से सैकड़ों युवा प्रति वर्ष मुंबई, महाराष्ट्र व पंजाब, सूरत आदि जगहों पर जाकर रोजीरोटी का जुगाड़ तलाशते हैं। परवेजपुर परिषदीय स्कूल में प्रधानाध्यापक मार्कंडेय मिश्रा के साथ बच्चों को जल, जंगल, जमीन, जीव जन संरक्षण का संकल्प दिलाया गया। पंजीकृत 111 बच्चों के सापेक्ष, आधे छात्र ही स्वेटर पहने हुए थे। शिक्षक स्टाफ पर्याप्त रहा। चंदनमऊ गांव के समीप ससुर खदेरी नदी का संगम देखा गया। चंदनमऊ गांव के सामने बांदा जनपद के चांदी घाट पर मशीनों से मौरंग खनन हो रहा था। आधा से ज्यादा यमुना की जलधारा को बांधकर मशीनों से मौरंग का खनन साफ दिखाई पड़ रहा है। कोट पहुंचने पर बृजलाल विश्वकर्मा, सोमनाथ विश्वकर्मा आदि ग्रामीणों से मुलाकात हुई। चंदनमऊ से चिल्ली बांदा के मध्य ग्रामीणों ने यमुना नदी पर पीपा पुल बनवाने की जरूरत बताई। कहना था कि गांव के सामने पीपा पुल बनने से बांदा व चित्रकूट जनपद का सफर आसान हो जाएगा। गढ़ा ग्राम पंचायत के बरियाछ, धाने, संगोलीपुर मडइयन, नरौली, गढ़ा खास आदि घाटों का भ्रमण करते हुए यात्रा देर शाम एकडला घाट पर पहुंची। जहां पर सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने आरती कार्यक्रम में साथ दिया।

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