लोकगीतों में दिखाई देती अपनी संस्कृति: डीएम – अवधी लोकगीत लोक नृत्य की दस दिवसीय कार्यशाला का समापन – महिला महाविद्यालय की छात्राओं ने पेश किये सांस्कृतिक कार्यक्रम
फतेहपुर। क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज व सहयोगी संस्था डॉ. भीमराव अंबेडकर राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय द्वारा रंजना मिश्रा के कुशल निर्देशन में आयोजित अवधी लोकगीत लोक नृत्य की दस दिवसीय कार्यशाला एवं प्रस्तुति कार्यक्रम का समापन शनिवार को भारत रत्न सरदार वल्लभ भाई पटेल प्रेक्षागृह में संपन्न हुआ।
मुख्य अतिथि जिलाधिकारी श्रुति रहीं। कार्यक्रम की शुरुआत डीएम व अतिथियों ने माँ सरस्वती के पूजन अर्चन से किया। राजकीय महिला महाविद्यालय की छात्राओं ने सुमधुर सरस्वती वंदना प्रस्तुत की तत्पश्चात मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथियों का महिला महाविद्यालय की आयोजक समिति की प्रभारी डॉ. सरिता गुप्ता, सदस्य डॉ. गुलशन सक्सेना, डॉ. चंद्र भूषण ने पुष्प गुच्छ व बैज अलंकरण से स्वागत अभिनंदन किया। महिला महाविद्यालय की छात्राओं ने रंजना मिश्रा के कुशल प्रशिक्षण में तैयार किया हुआ देवी गीत मैं कौन बहाने आऊ मैया, सोहर कोई कोठे से उतरे भंवनिया, विवाह गीत बैठी नौरंगिया के डार कोयल एक बुलाई हो, होली गीत होली खेले रघुवीरा की प्रस्तुति ने प्रेक्षागृह में बैठे सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध हो सुनने के लिए विवश कर दिया। लगातार तालियों की गड़गड़ाहट से प्रेक्षागृह गुंजायमान रहा। सभी श्रोता व दर्शक रंजना मिश्रा के प्रशिक्षण की सराहना कर रहे थे। मुख्य अतिथि डीएम ने कहा कि लोकगीत सीधे लोगों के गीत होते है। लोकगीतों में प्राचीन परंपराएं, रीति रिवाज धार्मिक एवं सामाजिक जीवन के साथ अपनी संस्कृति दिखाई देती है। जिसे मेरा पूरा लोक समाज अपनाता है। डॉ. भीमराव अंबेडकर राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय की प्राचार्य व इस कार्यक्रम की संयुक्त आयोजक व संरक्षक डॉ. अपर्णा मिश्रा ने कहा कि लोकगीतों के अध्ययन पर ध्यान देना जरूरी है। लोक गीतों का विकास अधिक से अधिक होना आवश्यक है ताकि हमारी संस्कृति का जतन हो सके। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रशान्त द्विवेदी ने किया। आभार रंजना मिश्रा ने व्यक्त किया।