शादी के लिए हेयर ट्रांसप्लांट कराए, दूसरे दिन मौत, गंजापन दूर करने के नाम पर जानलेवा खिलवाड़; दांत के डॉक्टर उगा रहे बाल

 

 

भीलवाड़ा में एक व्यक्ति ने हेयर ट्रांसप्लांट करवाया तो सिर पर कई फफोले हो गए। ऐसे एक-दो नहीं कई केस सामने आ रहे हैं, जिससे हेयर ट्रांसप्लांट करने वालों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

दरअसल, गंजापन दूर करने के नाम पर प्रदेश में अयोग्य लोग हेयर ट्रांसप्लांट कर रहे हैं। नेशनल मेडिकल कौंसिल की गाइडलाइन दरकिनार कर डेंटल और अन्य क्लिनिकों पर यह ट्रांसप्लांट हो रहा है। हेयर ट्रांसप्लांट क्लिनिकों पर प्लास्टिक सर्जन और डर्मेटोलॉजिस्ट की बजाय बीडीएस, एमडीएस, डेंटिस्ट, कॉस्मेटोलॉजिस्ट, टेक्निशियन ट्रांसप्लांट कर लोगों की जान तक से खिलवाड़ कर रहे हैं।

लगभग 70-80% हेयर ट्रांसप्लांट और डेंटल क्लिनिक साथ चल रही हैं। यहां न तो निर्धारित योग्यता वाले डॉक्टर हैं, न मापदंड पूरे करती सुविधाएं। रिसेप्शनिस्ट और बीएससी नर्सिंग कोर्स किए लोग ही ट्रांसप्लांट के बारे में काउंसिलिंग कर जीवनभर बाल नहीं जाने की गारंटी तक दे रहे हैं। डॉक्टर के बारे में पूछने पर जवाब मिलता है- वे अभी शहर में नहीं हैं या बीमार हैं, सिर्फ ट्रांसप्लांट करने आएंगे। ट्रांसप्लांट की डिटेल भी सादे कागज पर लिखकर दे दी जाती है।

भास्कर ने पूछा तो जवाब मिला- डॉक्टर साहब तो सिर्फ ट्रांसप्लांट करने आएंगे
राजधानी में भी ऐसे क्लिनिक धड़ल्ले से चल रहे हैं। भास्कर ने एक गंजे व्यक्ति को साथ लेकर 5 क्लिनिक पर पड़ताल की तो कहीं बीएससी नर्सिंग युवक ने काउंसिलिंग की, कहीं रिसेप्शनिस्ट ने ही सादा कागज पर खर्च, प्रक्रिया आदि का ब्योरा लिख दिया। डॉक्टर के लिए पूछा तो बोले- वे सिर्फ ट्रांसप्लांट करने आते हैं। बाकी सारा काम हम ही संभालते हैं।

केस-1: शादी करनी थी… जान ही चली गई
दौसा में 26 वर्षीय युवक की गंजेपन के कारण शादी नहीं हो रही थी। 2020 में उसने एक क्लिनिक पर ट्रांसप्लांट करवाया। दूसरे दिन चेहरे पर आई सूजन गले के बाद सीने तक पहुंच गई। सांस लेने में दिक्कत हुई तो वेंटिलेटर पर चला गया। ब्लीडिंग नहीं रुकी, मौत हो गई।

केस-2: फफोले हो गए, स्कल्प की हड्‌डी निकली
भीलवाड़ा के अजय अग्रवाल (35) ने जयपुर में हेयर ट्रांसप्लांट करवाया। जहां बाल लगाए, वह हिस्सा 8वें दिन काला पड़ने लगा, 10वें दिन फफोले हो गए। स्किन गलकर हड्‌डी दिखने लगी। सर्जरी करवाकर दूसरी स्किन लगवाई। दो साल बाद वापस हेयर ट्रांसप्लांट करवाया।

केस-3: इंफेक्शन हुआ, सालभर दवाएं लेनी पड़ेंगी
जयपुर में ट्रांसप्लांट के बाद रमेश सिंह की स्कैल्प लाल पड़ने लगी। क्लिनिक पर बताया, पर रिस्पॉन्स नहीं मिला। दूसरे डर्मेटोलॉजिस्ट ने उन्हें ए टिपिकल मायोबैक्टीरियम इन्फेक्शन बताया। सालभर दवा लेनी पड़ेगी।

केस-4: लुक सुधरने की बजाय और बिगड़ गया
जयपुर के राहुल शर्मा ने गंजेपन के कारण होने वाले मजाक से बचने के लिए ट्रांसप्लांट करवाया। परफेक्ट हेयर लाइन नहीं बन पाई। बाल हमेशा 90 के कोण पर दूर-दूर खड़े रहते थे। इससे लुक और बिगड़ गया। डिप्रेशन में आ गए। दोबारा हेयर ट्रांसप्लांट करवाना पड़ा।

काउंसिल में रजिस्टर्ड नहीं होते
एनएमसी ने इसे घोस्ट सर्जरी, मालप्रैक्टिस (दुष्टाचरण) माना है। डेंटिस्ट व कोस्मेटोलॉजिस्ट ट्रांसप्लांट करने के लिए अयोग्य माने गए हैं। कोस्मेटोलॉजिस्ट मेडिकल काउंसिल में रजिस्टर नहीं होते। यह ब्यूटी कोर्स जैसा है, जिसमें सर्जरी करना नहीं सिखाते। ट्रांसप्लांट करने वाले 90% कोस्मेटोलॉजिस्ट डेंटिस्ट हैं, जो ऐसा नहीं कर सकते।
-डॉ. सुनील अरोड़ा व डॉ. अकीलेश जैन, प्लास्टिक सर्जन, जयपुर

99% क्लिनिक पर नहीं होते डॉक्टर्स
ऐसे 99% क्लिनिक पर डॉक्टर्स नहीं हैं। ये बालों को सीधा रोप देते हैं। इससे हेयर लाइन व लुक खराब होने से दोबारा ट्रांसप्लांट करवाना पड़ता है। सीवियर इन्फेक्शन तक हो जाता है। इन्फेक्शन के 15-20%, स्किन नेक्रोसिस के 7-10%, हेयर लाइन व बाल नहीं उगने के 40% मरीज आ रहे हैं।
-डॉ. सुनीत सोनी, प्लास्टिक सर्जन, जयपुर

डेटा बनाएंगे, काउंसिल को शिकायत करेंगे
इन्फेक्शन के ज्यादा केस आ रहे हैं। दौसा में तो पूर्व में एक युवक की डेथ हो चुकी है। एसोसिएशन ऐसे क्लिनिकों का डेटा तैयार कर रहा है। इनके खिलाफ एनएमसी और राजस्थान मेडिकल काउंसिल में लिखित शिकायत करेंगे।

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