सहारनपुर. छोटी सी उम्र में पिता और कोरोना संक्रमण काल में मां को खोने के बाद दस साल का एक बच्चा सड़कों पर भीख मांग कर पेट भर रहा था. लेकिन किस्मत का खेल देखें कि पल भर में ही उस बच्चे की जिंदगी बदल गई. दाने-दाने का मोहताज यह बच्चा अचानक से लखपति बन गया. सर्द रातें को सड़कों पर गुजारने वाला यह बच्चा अब अपने घर में चैन की नींद सो सकेगा. इस बच्चे को उसके दादा ने वसीयत में आधी जायदाद दी है, जिससे यह बच्चा आज लाखों का मालिक बन गया है.
सहारनपुर में एक ऐसा ही हैरान करने वाला सुखद वाकया सामने आया है. रुड़की के पिरान कलियर में बेसहारा घूमने और भीख मांग कर गुजारा करने वाले दस साल के शाहजेब को उसका खोया हुआ परिवार मिल गया और अब वह सहारनपुर में लाखों की पुश्तैनी जायदाद का मालिक भी बन गया है. जानकारी के अनुसार सहारनपुर के पंडोली गांव निवासी इमराना के पति मोहम्मद नावेद की असमय मौत हो गई थी. पति की मौत के बाद वर्ष 2019 में पत्नी इमराना ससुरालवालों से अनबन के चलते अपने मायके यमुनानगर चली गई थी. साथ ही अपने आठ साल के बेटे शाहजेब को भी साथ लेकर गई. इस दौरान इमराना के ससुराल वालों ने उसको मनाने की कोशिश भी की लेकिन वह नहीं मानी. उसके बाद वह अपने बच्चे के साथ कलियर में आ कर रहने लगी. परिजनों ने तब भी काफी ढूंढा लेकिन सफलता नहीं मिली.
मां की मौत के बाद सड़क पर आ गया था शाहजेब
जब इमराना कलियर में रह रही थी तो इसी दौरान कोरोना महामारी शुरू हो गई. मां इमराना को भी कोरोना हो गया और उसकी मौत हो गई. मां की मौत के बाद शाहजेब सड़क पर आ गया. वह कलियर में ही दुकानों पर बर्तन धो कर और लोगों से भीख मांगकर अपना पेट भर रहा था. उधर इमराना के ससुराल वाले शाहजेब और इमराना की फोटो सोशल मीडिया में डाल कर उनको खोज रहे थे. इसी दौरान शाहजेब के छोटे दादा शाह आलम के दूर का रिश्तेदार मोबिन कलियर आया, यहां बाजार में घूमते हुए शाहजेब पर उसकी नजर पड़ी तो उसने फोटो से उसका मिलान कर शाह आलम को सूचना दी. वहीं पूछने पर शाहजेब ने मोबिन को अपनी मां का नाम बताया तो उन्हें यकीन हो गया कि उसकी ही तलाश की जा रही है. पोते के मिलने की खबर पाते ही शाह आलम कलियर आए और शाहजेब को अपने साथ सहारनपुर ले गये.
मरने से पहले दादा ने वसीयत में दी थी आधी जायदाद
बेटे की मौत के बाद बहू और पोते के घर से चले जाने से मोहम्मद याकूब को गहरा सदमा लगा था और दो साल पहले उन्होंने दम तोड़ दिया. मोहम्मद याकूब हिमाचल प्रदेश के एक सरकारी स्कूल में शिक्षक थे. अपनी मौत से पहले उन्होंने शाहजेब को खोजने की काफी कोशिश की, लेकिन वह नहीं मिला. तब मरने से पहले उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा था कि जब कभी भी उनका पोता वापस आए तो पुश्तैनी मकान और पांच बीघा जमीन उसके दे दी जाए. मोहम्मद याकूब ने आधी जायदाद अपने पोते शाहजेब और आधी जायजाद अपने दूसरे बेटे जावेद के नाम कर दी थी. जावेद अपने परिवार के साथ सहारनपुर में ही रहता है. दादा की इस वसीयत ने दो साल से लावारिस की तरह रह रहे शाहजेब की जिंदगी बदल दी. अब उसे अनाथों की तरह सड़क पर जिंदगी नहीं गुजारनी पड़ेगी.