धूमधाम से मनाया दसवे गुरु गोविन्द सिंह जी का 356 प्रकाश पर्व – दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री समेत एसपी ने छका लंगर
फतेहपुर। गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा में सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व की तैयारी दस दिन से चल रही थी। जिसमे संगत द्वारा शोभा यात्रा निकली गयी। अखण्ड पाठ रखा गया। जिसकी समाप्ति के उपरांत संगत की ओर से सबद, कीर्तन व गुरु इतिहास पर प्रकाश डाला गया। अंत में गुरूद्वारा परिसर में ही लंगर का आयोजन किया। जिसमें दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री सरदार गुरविंदर सिंह उर्फ विक्की छाबड़ा के अलावा पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार सिंह ने लंगर छका।
ज्ञानी परमजीत सिंह ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह का जन्म पौष सुदी सातवी वीं सन् 1666 संवत (1723) को पटना में माता गुजरी जी व पिता गुरु तेगबहादुर के घर हुआ। गुरु गोविंद सिंह जी के जन्म के समय पिता गुरु तेग बहादुर बंगाल में थे। उन्हीं के वचनोंनुसार गुरुजी का नाम गोविंद राय रखा गया। 1670 में गुरु तेग बहादुर जी का पूरा परिवार पंजाब आ गया। मार्च 1672 में गुरु गोविंद सिंह का परिवार हिमालय के शिवालिक पहाड़ियों में स्थित चक्क नानकी नामक स्थान पर आ गया। चक्क नानकी ही आजकल आनन्दपुर साहिब कहलता है। यहीं पर इनकी शिक्षा ग्रहण की और एक योद्धा बनने के लिए सैन्य कौशल सीखा। गोविन्द राय जी नित्य प्रति आनदपुर साहब में आध्यात्मिक आनन्द बाँटते, मानव मात्र में नैतिकता, निडरता तथा आध्यात्मिक जागृति का संदेश देते थे। आनंदपुर साहिब में गुरु जी ने समानता एवं समरसता का अलौकिक ज्ञान प्राप्त करते थे। बैसाखी के दिन 29 मार्च 1676 को गोविन्द सिंह सिखों के दसवें गुरु बनाया गया। 10 वें गुरु बनने के बाद भी उनकी शिक्षा जारी रही। शिक्षा के अन्तर्गत उन्होनें लिखना-पढ़ना, घुड़सवारी तथा सैन्य कौशल सीखे, गुरु गोविंद सिंह जी ने गुरुग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित किया। गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा सचाई के रास्ते पर चलकर जीवन जीने के लिए दिए गए उपदेश दिए। इसके साथ ही आप ने धर्म, संस्कृति और देश की आन-बान और शान के लिए पूरा परिवार कुर्बान करके नांदेड में अबचल नगर (श्री हुजूर साहिब) में गुरुग्रंथ साहिब को गुरु का दर्जा देते हुए और इसका श्रेय भी प्रभु को देते हुए कहा आज्ञा भई अकाल की तभी चलाइयो पंथ, सब सिक्खन को हुक्म है गुरु मान्यो ग्रंथ। गुरु गोबिंद सिंह जी ने 42 वर्ष तक जुल्म के खिलाफ डटकर मुकाबला करते हुए सन् 1708 को नांदेड में ही सचखंड गमन कर दिया। सारा कार्यक्रम गुरुद्वारा सिंह सभा के प्रधान पपिन्दर सिंह की अगुवाई में हुआ। इस मौके पर लाभ सिंह, नरिंदर सिंह रिक्की, सरनपल सिंह, सतपाल सिंह, वरिंदर सिंह, जतिंदर पाल सिंह, कुलजीत सिंह, गुरमीत सिंह, गोविंद सिंह, संत सिंह, बंटी, रिंकू, सोनी व महिलाओं में हरविंदर कौर, मंजीत कौर, हरजीत कौर, जसवीर कौर, हरमीत कौर, प्रभजीत कौर, ज्योति मालिक, गुरशरण कौर, ईशर कौर, रीता, इंदरजीत कौर, जसप्रीत कौर, तरनजीत कौर, नीना, खुशी, वीर सिंह, प्रभजस आदि भक्त जन उपस्थित रहे।