हाथ-पैर में जंजीर, शरीर पर कीचड़ का लेप, हुसैन टेकरी में ‘शैतानी शक्तियों’ को मिलती है अजीबोगरीब सजा, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला..

 

 

एमपी, यहां लोबान की ऐसी खुशबू है कि उठने का दिल न करे। इसी कैंपस में सीवेज के गंदे पानी में लोटते हैं लोग। ऐसी बदबू कि कुछ पल रुकना भी मुश्किल। यहां इबादत है, तो ‘शैतान’ की चीख भी। रुहानी दुनिया का इंसाफ यहां होता है। सजा भी मुकर्रर होती है और सजा काटनी भी पड़ती है।

ये है रतलाम से 38 किमी दूर जावरा में स्थित हुसैन टेकरी शरीफ की रहस्यमयी दुनिया, जिसे भूत-प्रेतों, शैतानी ताकतों की अदालत भी कहते हैं। यहां पहुंचने वाले मानसिक बीमार लोगों को जंजीरों से बांधे जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मप्र सरकार से रिपोर्ट मांगी है, जिसके बाद प्रशासन एक्शन में आया। दो दिन पहले भोपाल से मध्यप्रदेश राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण की टीम भी यहां जांच करने पहुंची।

दोपहर के लोबान का वक्त है। टेकरी गेट में प्रवेश कर सबसे पहले उन्हीं लोगों के पास पहुंचे जो गंदगी के तालाबनुमा गड्ढे में थे। उनके पास जाना और वीडियो शूट करना किसी खतरे को निमंत्रण देने जैसा है। यहां आने से पहले ही लोगों ने आगाह किया था कि वीडियो शूट करने पर नाले में लोटते लोग पास आकर खड़े हो जाते हैं। चारों ओर से घेर लेते हैं। हमें भी नाले में लोटते लोगों ने अजीब नजरों से घूरा। एक ने पूछा- वीडियो क्यों बना रहे हो? क्या- सरकार के आदेश से आए हो? यहां सरकार का मतलब गवर्नमेंट नहीं है। सरकार का मतलब हुसैन टेकरी सरकार ही समझते हैं।

गड्ढे में गंदा लेप शरीर पर चढ़ाकर बैठे नौजवान ने बताया- मैं भूरा खां हूं। यहां ऐसे ही कोई नहीं पहुंचता। पहले सरकार (रोजे) से आदेश होता है। हाजिरी करने के दौरान भी यहां भेजा जाता है। यदि हम नहीं करें तो चल नहीं सकते। मैं खुद सुबह 4 बजे तो कभी 3 बजे यहां पहुंच जाता हूं। देखो आपको अभी ये पीकर दिखाता हूं। लेप लगाकर वह गंदगी में कूद गया और डुबकियां लगाने लगा। जोर-जोर से हंसने लगा। कुछ लोग इसी कीचड़ से मंजन करते दिखे। हुसैन टेकरी में अलग-अलग धार्मिक स्थल हैं जिन्हें रोजा कहा जाता है।

यहां सरकार से इंसाफ हासिल करने के लिए जोहरी बाजार जयपुर की रहने वाली कृष्णा भी आई हैं। वो मेडिकल स्टूडेंट है। कहती हैं- मुझ पर जादू किया गया। ये सरकार की सजा या शिफा (बीमारी से मुक्ति का जतन) है जो मैं ये कर रही हूं। हमें ये करने दिया जाए। हमारे लिए ये ही जिदंगी है।

इस महिला ने इस शैतानी दुनिया में दी जाने वाली अनेक सजा, परम्परा उनसे होने वाली समस्या बताई। वो अमली गंदा जादू खूनी केस जिसमें बलाएं खून पीती हैं, कोड़ियां जादू, शिकली इरम, नंगा गंदा जादू और भी कई तरह के जादू के बारे में बताती रही, जिनके बारे में हमने कभी भी नहीं सुना था।

वो यहीं नहीं रुकी। आगे कहा- मैं पहले गंदा (मैला) उठाकर भी खेत में फेंकती थी। इसी तरह एक अन्य महिला शाकोरन ने बताया उनका शरीर सड़ने लगा था। सरकार के आदेश पर वे यहां आईं। 6 माह हो गए अब वे ठीक हैं। ये विज्ञान की समझ से बाहर की बातें हैं।

जंजीरों में जकड़े शख्स ने कहा- ये रूहानी दुनिया है इसके नियम अलग

जंजीरों में जकड़े भोपाल के हुसनैन ने बताया, मुझ पर बुरी करतूत की गई। दुनिया की समझ से बाहर की बाते हैं। ये सबकुछ होता है। हमारी बीमारी डॉक्टर पकड़ नहीं पाते। ये रूहानी दुनिया है। इसमें अलग नियम हैं। जंजीरों के बारे में कहा कि रूहानी ताकत पावर में आने पर खतरनाक हरकतें करती हैं। उस पर काबू पाने के लिए ये किया जाता है।

जो होता है सब सरकार के हुक्म पर

इसके बाद यहां रोजे (यहां की भाषा में सरकार) के मुजाहिर यानी जियारत की गतिविधियां संपन्न कराने वाले आबिद शाह ने बताया जो भी आता है उसे छल्ला बांधा जाता है। यहां के लोबान से आने वाले की परेशानी दूर हो जाती है। यहां पानी से लोग स्नान भी करते हैं उसका भी महत्व है। सभी की अपनी अलग परेशानियां और दुख हैं। रोजे (सरकार) के यहां से हुक्म होने पर सजा भी मिलती है और लोग ठीक भी हो जाते हैं। सरकार की ओर से सजा का ऐलान यही मुजाहिर करते हैं। आने वाले की परेशानी यानी मेडिकल टर्म में सिम्प्टम्स (लक्षण) देखकर।

ये सब करते हैं शैतानी बाधा से परेशान लोग

आबिद शाह बताते हैं जिस भी व्यक्ति के शरीर में शैतानी ताकत का प्रवेश होता है सबसे पहले यहां लाकर उसे यहां हजरत अब्बास अली के रोजे के यहां के चमत्कारी पानी से स्नान करना होता है। इसके बाद रोजे पर जियारत (इबादत) कर रोजे की जालियों पर छल्ला (लच्छा या धागा) बांधा जाता है। इसके बाद मजलिस यानी सफा भी करवाते हैं। फिर सरकार (हुसैन टेकरी) का हाजिरी का आदेश होता है।

जैसे ही कोई रोजे पर धागा बांधकर जाली पकड़ता है उसके अंदर का शैतान चिल्लाने लगता है। जमीन पर हाथ पैर पटककर जोर-जोर से सिर हिलाता है। इधर-उधर दौड़ लगाता है। पागलों जैसी हरकतें करता है। इसके बाद किसी का जल्दी तो किसी का देर से फैसला होता है। फैसले के बाद वो नाले में लोटते हैं। घंटों बैठे रहते हैं। इसका पानी पीते हैं और मंजन करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने मप्र सरकार से रिपोर्ट तलब की

किसी भी व्यक्ति को जंजीरों में जकड़कर रखना कानूनन अपराध है। परिस्थितियों को मजबूरी बताकर लोग यहां ऐसा करते हैं, लेकिन अब हुसैन टेकरी पर जंजीरों से जकड़ने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मप्र सरकार से रिपोर्ट मांगी। इसके बाद 12 जनवरी को मध्यप्रदेश राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण की टीम हुसैन टेकरी पहुंची और यहां जायजा लेकर वस्तुस्थिति का पता लगाया।

टीम में प्राधिकरण की डिप्टी डायरेक्टर डॉ. विजया सकपाल, कंसल्टेंट अधिकारी आरडी गौतम और जिला अस्पताल के मनोचिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. निर्मल जैन थे। टीम जांच में पाया कि यहां 50 से ज्यादा लोग जंजीरों से बांधकर रखे थे। इन्हें उनके परिजन ने ही बांधा था। जब इस बारे में टीम ने उनसे बात की तो उनका कहना था ये बीमार है और कभी-कभी अचानक उग्र हो जाते हैं इसलिए इन्हें इस तरह रखा है।

मेंटल हेल्थ केयर एक्ट 2017 की धारा 95 के तहत किसी भी मानसिक बीमार व्यक्ति को बांधकर रखना अपराध है। ऐसा करना उसके साथ अमानवीय व्यवहार की श्रेणी में आता है। परिजन भी ऐसा नहीं कर सकते।

तब जिला प्रशासन अलर्ट हुआ। दो दिन पहले एक टीम ने यहां सर्वे भी किया और फिर कलेक्टर के यहां जिले के प्रमुख अफसरों, हुसैन टेकरी कमेटी के पदाधिकारियों की बैठक हुई। इसमें यहां अस्पताल ओपीडी खोलने,‌ मनोरोग चिकित्सक की ड्यूटी लगाने जैसे फैसले हुए।

मनोरोगियों को जंजीरों से मुक्त करेंगे

मध्यप्रदेश राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण टीम के दौरे के अगले दिन 14 जनवरी को प्रशासन ने टीम के साथ बैठक कर कई निर्णय लिए। तय किया गया कि हुसैन टेकरी परिसर में मनोरोग चिकित्सा डिस्पेंसरी खोली जाएगी। यहां डॉक्टर मनोरोगियों का इलाज करने के साथ ही परिजन की काउंसिलिंग भी करेंगे। परिजन को समझाइश दी जाएगी कि वे मनोरोगी को जंजीरों से नहीं बांधे।

उस गड्‌ढे को भी बंद करने की तैयारी हो रही है जिसमें सीवेज की गंदगी और पानी एकत्र होता है। इसी गड्‌ढे में मनोरोगी डुबकी लगाते हैं। इन तमाम व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग के लिए अफसरों और हुसैन टेकरी प्रबंध कमेटी के पदाधिकारी शामिल है। दरअसल यह सारी व्यवस्थाएं सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाने वाली रिपोर्ट के लिए की गई है, ताकि बताया जा सके कि सरकार और प्रशासन ने क्या-क्या कदम उठाए हैं।

कलेक्टर बोले- हमने योजना बनाई है

कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी का कहना है कि यहां के लिए हमने योजना बनाई है। आगे बेहतर परिणाम मिलेंगे।

हुसैन टेकरी प्रबंधन कमेटी के सचिव बाले खां ने बताया यहां का अपना अलग इतिहास है। हमने व्यवस्था बेहतर करने के अनेक कार्य किए हैं। अभी राज्य मानसिक चिकित्सा प्राधिकरण की टीम ने विजिट की है। उन्होंने यहां ओपीडी खोलने और मनोचिकित्सक तैनात करने के सुझाव दिए थे। हम इस पर अमल कर रहे हैं।

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