रिमोट वोटिंग सिस्टम से क्या BJP को फायदा होगा, 30 करोड़ वोटर, बदल सकते हैं किसी चुनाव का रुख, कांग्रेस कर रही विरोध

 

 

चुनाव आयोग ने सोमवार को रिमोट वोटिंग मशीन यानी RVM का प्रोटोटाइप दिखा दिया है। दूर-दराज रहने वाले वोटर्स इस सिस्टम से कैसे वोट करेंगे, इसका डेमो 8 नेशनल और 57 रीजनल पार्टियों के सामने दिया गया। कांग्रेस समेत 16 पार्टियों ने RVM का विरोध किया है। उनका कहना है कि इसमें भारी राजनीतिक समस्याएं हैं।

2019 लोकसभा चुनाव के दौरान देश में कुल 91 करोड़ मतदाता थे। इनमें 30 करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल ही नहीं किया। चुनाव आयोग का कहना है कि इनमें वे लोग शामिल हैं, जो दूसरे राज्यों में नौकरी कर रहे हैं या प्रवासी मजदूर हैं।

2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में लगभग 45.36 करोड़ लोग अपना घर और शहर छोड़कर दूसरे राज्यों में रह रहे हैं यानी वे प्रवासी हैं। यह देश की आबादी का 37% है। यह संख्या समय के साथ बढ़ी है। इसी को ध्यान में रखकर चुनाव आयोग रिमोट वोटिंग सिस्टम लेकर आया है।

चुनाव आयोग के मुताबिक, ‘आबादी का एक बड़ा हिस्सा जरूरी काम के चलते या यात्रा की वजहों से अपना वोट नहीं दे पाता है। यह चुनाव आयोग के कोई मतदाता पीछे नहीं छूटे के टारगेट के खिलाफ है। इसलिए RVM तैयार किया गया है।’

रिमोट वोटिंग मशीन क्या है और इसका आइडिया कैसे आया?

प्रवासियों के वोटिंग के इश्यू को समझने के लिए चुनाव आयोग ने 2016 में कमेटी ऑफ ऑफिसर्स ऑन डोमेस्टिक माइग्रेंट्स बनाई थी। कमेटी ने 2016 के अंत में प्रवासियों के लिए इंटरनेट वोटिंग, प्रॉक्सी वोटिंग, अर्ली वोटिंग और पोस्टल बैलट से वोटिंग का सुझाव दिया था।

हालांकि, इन सभी आइडिया में वोट की गोपनीयता की कमी थी। साथ ही यह कम पढ़े लिखे लोगों के लिए यह फायदेमंद नहीं था। ऐसे में चुनाव आयोग ने सभी आइडिया को खारिज कर दिया था। इसके बाद चुनाव आयोग ने इसका टेक्निकल सॉल्यूशन RVM सिस्टम के जरिए निकाला। यह वोटर्स को सुरक्षित और कंट्रोल्ड एन्वायर्नमेंट में वोटिंग का मौका देता है।

इस सिस्टम की मदद से घर से दूर यानी दूसरे राज्य या शहर में रहने वाले वोटर्स भी मतदान कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें अपने शहर या गांव जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वोटर जिस शहर में रह रहा है, उसे वहीं बनाए गए रिमोट वोटिंग स्पॉट पर जाना होगा।

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