अलवर शनिवार को शहर की एससी एसटी कोर्ट ने 7 माह की बच्ची से दुष्कर्म के दोषी को मौत की सजा सुनाई। राजस्थान में नया कानून लागू होने के बाद पहली बार किसी को फांसी की सजा हुई है। नए कानून में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के दोषी को फांसी दिए जाने का प्रवधान है। ये कानून इसी साल मार्च में राज्य विधानसभा में पास हुआ था। ऐसा कानून लाने वाला राजस्थान देश का दूसरा राज्य है। सबसे पहले ये कानून मध्यप्रदेश में लागू हुआ।
– घटना 9 मई की थी जब बच्ची का पिता किसी काम से घर से बाहर गया हुआ था। घर पर उसकी दृष्टिहीन भाभी थी और उसके पास 7 माह की बच्ची सो रही थी। शाम करीब 6 बजे दोषी करार दिया गया पिंटू भराड़ा (19) घर आया और बच्ची को खिलाने के बहाने जबरन ले गया। पिता ने बताया था कि जब वह घर पहुंचा तो उसकी मां और पत्नी पानी लेने गई हुई थीं। भाभी से बच्ची के बारे में पूछा तो उसने बताया कि आधे घंटे पहले पिंटू भराड़ा बच्ची को ले गया था। बच्ची की तलाश की। इस दौरान वह और गांव के बर्रा खां व मुरारी लाल मीणा बच्ची को तलाशते हुए सरकारी स्कूल के पास फुटबाल फील्ड पहुंचे। यहां उन्होंने बच्ची के रोने की आवाज सुनी तो पिंटू बच्ची को लहुलुहान हालत में छोड़कर भाग गया। वे लहुलुहान बच्ची को लेकर गांव के बस स्टैंड पर पहुंचे। इसके बाद बच्ची को अस्पताल पहुंचाया गया था।
– बुधवार को विशिष्ट न्यायाधीश एवं पोस्को अधिनियम के पीठासीन अधिकारी जगेंद्र अग्रवाल ने पिंटू को मामले में दोषी ठहराया। शनिवार को उसे फांसी की सजा सुनाई गई।