फायरमैन सुनील मेहला ने तिरंगे के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी

 

हरियाणा के पानीपत जिले के दमकल विभाग में तैनात फायरमैन सुनील मेहला ने तिरंगे के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी। मंगलवार को शहर के भारत नगर की एक स्पिनिंग मिल में आग लग गई थी। आग के बीच मिल के मेन गेट की छत पर तिरंगा लहरा रहा था।

जैसे ही सुनील की नजर तिरंगे पर पड़ी। वह अपनी जान की परवाह किए बिना छत पर चढ़ गए और कुछ ही देर में तिरंगा सुरक्षित तरीके से उतारा और सम्मान समेत पड़ोस की फैक्ट्री में रख दिया। सुनील मेहला जींद के भटनागर कॉलोनी निवासी हैं।

सवाल: चारों तरफ आग और धुआं था, उस वक्त आप आग को बुझाने में मशक्कत कर रहे थे, इस बीच आपकी तिरंगे पर नजर किस तरह से गई?
जवाब: हमें शुरुआत से ही ट्रेनिंग दी जाती है कि जब भी कही आगजनी की घटना हो, तो उस क्षेत्र को चारों तरफ से देखते रहना चाहिए। कहीं आग फैलती हुई किसी दूसरी जगह तो नहीं गई। बस, इसीलिए मेरी नजर तिरंगे पर गई।

सवाल: तिरंगे को देखते ही सबसे पहले आपके दिल-दिमाग में क्या आया?
जवाब: बस मेरे भी दिमाग में उस वक्त यही था कि मैं किसी भी तरह आग के बीच में भी लहरा रहे तिरंगे को किसी तरह सम्मान समेत उतार लाऊं। बेशक इसके लिए मुझे जान की बाजी भी क्यों न लगानी पड़े।

सवाल: अक्सर इस तरह की आग में बिल्डिंग जर्जर हो जाती है, कई बार तो गिर भी जाती हैं। ऐसे में आपने एक बड़ा रिस्क लेकर तिरंगा उतारा, क्या उस वक्त आपको अपनी जान की फिक्र नहीं थी?
जवाब: हम दमकलकर्मी किसी खाली प्लॉट में भी आग लगी हो, तो उसे भी जल्द बुझाने के हरसंभव प्रयास करते हैं। यहां तो हमारे देश का गौरव ही आग की लपटों के बीच था, इसके लिए तो जान की कीमत कोई बड़ी चीज नहीं थी। तिरंगा उतारते वक्त आखिरी समय में भी कुछ हो जाता, तब भी मैंने तिरंगे को सुरक्षित उतारने की ठानी हुई थी।

सवाल: उस दीवार पर चढ़ने की कोई जगह भी नहीं थी, आप ऊपर तक कैसे पहुंचे ?
जवाब: मैं दमकल गाड़ी को चला रहा था। तिरंगे वाली छत से कुछ ही कदमों की दूरी पर गाड़ी खड़ी थी। मैं पहले उस गाड़ी को मेन गेट तक लेकर आया। यहां छत के नीचे दीवार से सटाई। इसके बाद साथी कर्मियों को बैकअप के लिए तैयार किया। जोश ऐसा था कि मैं कुछ ही सेकेंड में छत पर चढ़ गया और तिरंगा तुरंत उतार कर नीचे आ गया।

सवाल: तिरंगे को सही सलामत उतारने के बाद अब आपको कैसा महसूस हो रहा है?
जवाब: तिरंगा उतारने के बाद मैंने नीचे खड़े साथियों को पकड़ाया। इसके बाद मैं नीचे आया। सम्मानपूर्वक तिरंगे को पड़ोस की फैक्ट्री में ले गया। जहां उसे पूरे सम्मान के साथ रखा। मैंने यह सब तिरंगे के सम्मान में किया है। मैंने कोई फेमस होने के लिए यह सब नहीं किया, मगर ऐसा करने के बाद मुझे अंदरूनी तौर पर बहुत खुशी हो रही है।

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