उन्नाव की एक 17 साल की लड़की…जिसके साथ बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने रेप किया। 10 महीने बाद केस दर्ज हुआ। कुलदीप की गिरफ्तारी से पहले पीड़ित के पिता गिरफ्तार हुए। 4 दिन बाद पुलिस कस्टडी में उनकी मौत हो गई। शरीर पर 14 चोट के निशान मिले। केस आगे बढ़ रहा था, तभी पीड़िता की कार को एक ट्रक ने जोरदार टक्कर मारी। पीड़िता बच गई, लेकिन उसकी चाची और मौसी की मौत हो गई।
अब कुलदीप सेंगर जेल से बाहर आया है। उसे कोर्ट ने अपनी बेटी ऐश्वर्या की शादी में शामिल होने के लिए जमानत दी है। जमानत मंजूर होने के बाद पीड़िता ने एक वीडियो जारी कर कुलदीप के बाहर आने से अपनी जान को खतरा बताया है।
क्या अब छह साल बाद भी पीड़िता उस हादसे को भूल नहीं पाई या जिंदगी के बचे हुए टुकड़ों को समेट कर आगे बढ़ रही? इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर ने पीड़िता से बात की। चलिए पन्ने दर पन्ने आपको उसकी जिंदगी के बारे में बताते हैं।
6 साल से दो कमरों में कैद होकर बिता रही जिंदगी
पीड़िता अभी दिल्ली में रहती है। वह कहती हैं, “दो कमरों का घर, छोटी-सी रसोई और बाथरूम, दीदी बस इतनी ही बची है मेरी जिंदगी। 6 साल पहले की बात है, जब हम उन्नाव में थे। उस वक्त कुलदीप सेंगर विधायक थे। हमने बहुत नाम सुना था कि ये लोगों की मदद करते हैं। हम 17 साल के हुए तो इनके पास नौकरी मांगने गए। क्या पता था जिस परिवार की मुश्किलें आसान करने के लिए नौकरी मांगने जा रही, मेरा वहां जाना उसी परिवार के लिए सबसे बड़ा सदमा बन जाएगा।” 23 साल की उन्नाव रेप पीड़िता से जब हमने बात शुरू की, तो वह एक सांस में ही इतना बोल जाती है।
वह बहुत कुछ बताना चाहती है। छह साल पहले उसके साथ रेप हुआ। उसे जान से मारने की कोशिश की गई, लेकिन उसने हार नहीं मानी। वह कहती है, ”रेप के उन कुछ मिनट के बाद मेरी पूरी जिंदगी पलट गई। आज मैं ना अपनी मर्जी से कहीं जा सकती, ना मेरा कोई दोस्त है और ना ही मैं अपने परिवार के साथ रह पा रही हूं।”
“दिन भर इन दो कमरों में घूमती रहती हूं। नीचे वाले कमरे में CRPF के 6 पुलिसवाले रहते हैं। हमको कहीं भी जाना होता है, तो वे मेरे साथ जाते हैं। हादसे से पहले गांव में मैं हर काम के लिए अकेले जाती, सब अकेले ही निपटा लेती थी। पर अब मुझ पर पाबंदियां हैं। मुझे पढ़ाई करनी थी, पर उसके लिए भी मैं बाहर आ-जा नहीं सकती। इसलिए महिला आयोग ने मेरी पढ़ाई ऑनलाइन करवाने का इंतजाम किया। अब मैं 12वीं में हूं और कंप्यूटर की क्लासेज भी लेती हूं।”
हादसे का सोचकर सिर घूमने लगता, आंखों में गरम लावा भर जाता है
अपने साथ हुए हादसे को याद करते हुए पीड़िता कहती है, “हमारे पूरे परिवार ने खूब परेड की। पुलिस थाने की, वकीलों की, कोर्ट-कचहरी की। तब भी मुझे न्याय नहीं मिल रहा था। एक तरफ मैं FIR दर्ज करने की मांग कर रही थी। मेरी मां हर जगह चक्कर लगा रही थीं। दूसरी तरफ एक शाम कुलदीप के भाई ने कुछ लोगों के साथ मिलकर मेरे पिता को बहुत पीटा और उल्टा पापा को ही पुलिस से अरेस्ट करवा दिया। पापा को जेल भेज दिया गया। मां को समझ नहीं आ रहा था कि मुझे इंसाफ दिलाए या पापा के लिए लड़े।”
“यही वह वक्त था जब मुझे लगा कि मैं मर जाऊंगी तो सबकी मुश्किलें आसान हो जाएंगी। इसलिए मैंने आत्मदाह की कोशिश की। पर बच गई। रो-रोकर पूरा दिन बीत जाता था। अगले ही दिन मेरे पापा को जेल भेज दिया गया। कुछ वक्त बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और कस्टडी में ही पापा की मौत हो गई।”
पीड़िता इतना सब बोल कर एकदम से चुप हो जाती है। आंखों में आंसू, भरे हुए गले से वह कहती है, “पापा की बहुत याद आती है। वो होते तो आज मेरी शादी के लिए लड़का ढूंढ रहे होते। उन्हें मेरी शादी की हमेशा चिंता लगी रहती थी। पर इन लोगों ने उन्हें हमसे दूर कर दिया। जब भी पापा का ख्याल मेरे मन में आता है, मेरे साथ हुआ हादसा याद आ जाता है। आज भी सोचकर सिर चकराने लगता है।”
कुछ देर रुकने के बाद पीड़िता एकदम गुस्से में कहती है कि इन लोगों का मेरे पापा की जान लेकर भी मन नहीं भरा। इन्होंने मुझे भी मारने की कोशिश की। मैं तो बच गई, लेकिन हादसे में मेरी मौसी और चाची की मौत हो गई।
पीड़िता से हमने पूछा कि उस वक्त गांव के लोगों ने कितना साथ दिया? इसपर वो कहती है कि पड़ोस में रहने वाली दीदी, चाची जिन्होंने मुझे बचपन से देखा जिनके घर मैं खेली-कूदी उन लोगों में से भी किसी ने मेरा साथ नहीं दिया। सब एकदम चुप थे। जिन्हें मुझपर भरोसा था वो भी कुछ नहीं बोले। उन्हें डर था कि मेरा साथ दिया तो उन्हें भी इस मामले में फंसा दिया जाएगा।
दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग भी थे जो आते-जाते मुझे ताने देते। कोई कहता जवान लड़की है उसी ने कुछ किया होगा तो कोई कहता लड़के का चक्कर होगा इसलिए लड़की ने विधायक जी को फंसा दिया। वो ताने सुनकर ऐसा लगता था जैसे उस दिन के बाद भी हर दिन मेरा रेप होता हो।
आज भी लोग मुंह बांधकर आते और धमकी देकर भाग जाते
आज भी जब मैं उन्नाव जाती हूं तो लोग ऐसे देखते हैं जैसे मैं यहां की बेटी हूं ही नहीं। लोग आज भी खुसुर-पुसुर करने लगते जैसे मेरी ही गलती हो। कुलदीप सेंगर तो जेल में बंद थे लेकिन उनके लोग अक्सर धमकियां देते। मुंह पर कपड़ा बांधे हुए कभी पैदल तो कभी बाइक से मेरे आस-पास घूमते। धमकी देते कि अभी भी वक्त है केस वापस ले लो। बस इतना ही बोलकर वहां से चले जाते।
सेंगर की रिहाई पर समर्थक बोल रहे, “मेरा शेर आ रहा है, अब पता चलेगा”
पीड़िता ने बताया कि जिस दिन से कुलदीप की जमानत मंजूर हुई, हम लोगों को धमकियां मिलने लगी हैं। लोग सामने से बोल कर चले जाते हैं कि हमारा शेर वापस आ रहा है। अब तुम लोगों को पता चलेगा। उसने बताया कि मुझे तो फिर भी सिक्योरिटी मिली है लेकिन मेरे परिवार का क्या? उन गवाहों का क्या जिन्होंने मेरा साथ दिया? अगर उन्हें कुछ हो गया तब तो ये एक दिन मुझे भी मार डालेंगे। इसलिए मैं नहीं चाहती कि कुलदीप को इतने दिन की बेल मिले।
जैसे मैं अपने पापा की बेटी, वैसे ही उसकी भी बेटी है
आखिर में पीड़िता अपने पिता को याद करके रोने लगती है। वह कहती है, “अगर बेटी की शादी के लिए रिहा ही करना है, तो 2 दिन के लिए कर दिया होता, इतने दिन की रिहाई की क्या जरूरत है।” वह आगे कहती है,”मैंने अपने पिता को खोया है। इसलिए मैं जानती हूं एक बेटी के लिए पिता का साथ कितना जरूरी है। इसलिए मैं चाहती हूं कि उन्हें बस शादी में शामिल होने के लिए ही बेल मिले। ताकि वो मेरे गवाहों को या मुझे कोई नुकसान ना पहुंचा पाए।”