शिलाओं को नेपाल से लेकर अयोध्या आए राम मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख सदस्य कामेश्वर चौपाल के अनुसार ये शिलाएं शालिग्राम ही हैं। इसका परीक्षण करके लाया गया है। इनसे भगवान की मूर्ति बनेगी, यह भी लगभग तय है। मगर यह मूर्ति कहां स्थापित होगी और गर्भगृह की मूर्ति इसी शिला से बनेगी? इसका निर्णय मूर्तिकारों की राय लेने के बाद अंतिम रूप से राम मंदिर ट्रस्ट ही करेगा उन्होंने कहा कि इस शिला को अयोध्या लाने से पहले नेपाल सरकार ने इसका वैज्ञानिक परीक्षण कराया है। इसकी जानकारी वहां के सरकार ने लिखित रूप से दिया है। 373 किलोमीटर और 7 दिन के सफर के बाद दो विशाल शालिग्राम शिलाएं अयोध्या पहुंच गई हैं। गुरुवार सुबह रामसेवक पुरम में 51 वैदिक ब्राह्मणों ने शालिग्राम शिलाओं का पूजन कराया। इसके बाद नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री विमलेंद्र निधि और जानकी मंदिर के महंत तपेश्वर दास ने चंपत राय को शालिग्राम शिलाएं सौंप दीं। इसी 6 करोड़ साल पुराने शालिग्राम पत्थर से भगवान राम और सीता की मूर्ति बनेंगी।विमलेंद्र निधि ने बताया कि जनकपुर में राम व जानकी की जयंती के साथ ही सीताराम विवाह धूमधाम से मनाते हैं। महंत तपेश्वर दास की मंशा से यह काम हो रहा है। न्यायालय के फैसले के बाद मन में आया कि राममंदिर में शालिग्राम शिला की मूर्ति लगे।