शाहाबाद। न्यूज वाणी नगर के मो0 जेरबंगला स्थित माँ संकटा देवी मंदिर का इतिहास काफी पुराना है और यहां इन्हें संकट हरण माता के रूप में जाना जाता है। प्राचीन मां संकटा देवी मंदिर जिले मे ही नहीं आसपास जिलों में आस्था और श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। कहते हैं कि मां संकटा देवी की शक्तिपीठ परिसर में आते ही लोगों के दुख दर्द दूर हो जाते हैं स्थानीय लोगों की माने इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है और यहां इन्हें माता संकट हरण के रूप में जाना जाता है। माता संकटा की शक्तिपीठ की मान्यता है कि दुख दर्द दूर हो जाते हैं। नवरात्र में यहां सुबह शाम मेले जैसा माहौल रहता है और भक्तों के आने जाने का सिलसिला भोर होते ही शुरू होता है जो कि देर शाम तक चलता रहता है। साल में दो बार मेला भी लगता है जिसमें बड़ी संख्या में लोग आते है।और माता के मंदिर में अपनी हर मनोकामना अपने दुख दर्द मां से बताते हैं और मां अपने भक्तों का दुख दर्द जरूर दूर करती हैं। यहां के स्थानीय निवासी और धर्म अनुरागी बताते हैं की यह शक्तिपीठ की मान्यता हरदोई जिले में ही नहीं बल्कि ख्याति आसपास के इलाकों तक है जहां से बड़ी संख्या में लोग यहां माता के दर्शन करने आते हैं। नवरात्र के दिनों में यहां नियमित रूप से भक्तों के आने जाने का सिलसिला तो रहता ही है साथ ही आसपास गांव और नगर के लोग भी यहां कथा प्रवचन धार्मिक आयोजन भी करते हैं। पुरोहित का कहना हैं कि माता संकटा का मंदिर वर्षों पुराना है जिसे समय≤ पर सवारने सजाने का काम किया जाता रहा है।ऐसा माना जाता है कि एक बार स्थानीय लोगों पर किसी प्रकार की विपदा आई थी और इसको लेकर के यहां के लोगों माता की प्रार्थना की थी जिसके बाद कष्ट दूर हो गए थे। इसलिए यहां माता को संकटहरण माता रानी संकटा माता के नाम से जाना जाता है और संकटा देवी मंदिर की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई हैं। आषाढ़ माह के हर सोमवार और शुक्रवार को मेला लगता है। जिसमे दूर दूर से हजारो की संख्या में श्रद्धालु दर्शनों को आते है माता संकटा को प्रसाद चढाकर परिवार के साथ मेले का भी आनन्द उठाते है। मंदिर परिसर में तरह तरह की दर्जनों दुकाने लगती है जिसको लेकर महिलाओं व बच्चों मे काफी उत्साह देखने को मिलता है। तमाम तरह के झूले भी लगते हैं जिसको लेकर बच्चों मे काफी खुशी देखने को मिलती है। प्रत्येक बर्ष हजारो श्रद्धालु मंदिर पर माथा टेकने आते हैं।