पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ रही हैं। एक तरफ वह कड़ी शर्तों पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से राहत पैकेज के लिए सहमत हुआ है। दूसरी ओर, कारोबारी भी इन शर्तों को पूरा करने के लिए सरकार द्वारा प्रस्तावित टैक्स बढ़ोतरी के खिलाफ उतर आए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इन्हें लागू न करे, वर्ना हड़ताल करेंगे। वैसे पाकिस्तान की असली परेशानी चीन का कर्जजाल है। पिछले दो दशक से पाकिस्तान समेत दूसरे देशों को चीन की मदद में इजाफा हुआ है। चीन से कर्ज लेने वाले ऐसे देशों की आर्थिक स्थिति खराब है। दिवालिया होने की कगार पर बैठे पाकिस्तान समेत 38 में से करीब 20 देशों को सबसे अधिक कर्ज चीन ने दिया है। विश्व बैंक के मुताबिक, 2017 में गरीब देशों पर GDP के 11% के बराबर चीन का कर्ज था। यह आंकड़ा बढ़ रहा है।
कोरोना ने बढ़ाई मुश्किलें
कोविड 19 और बढ़ती ब्याज दरों ने मुश्किल बढ़ाई है। चीन के कर्जदाता बनने से पहले पश्चिमी देशों ने खराब कर्ज निपटाने के लिए एक ढांचा बनाया था। कर्जदाता देश मिलकर पुरानी शर्तों पर ही भुगतान का कार्यक्रम नए सिरे से तय करते थे। कर्ज माफी को प्राथमिकता दी गई थी। इस तरह पश्चिमी देशों से कर्ज लेने वाले देश बदतर हालात से बच जाते थे। पर चीन पुराने नियम लागू करने से मना कर रह रहा है।
जी-20 देशों ने उसे अपने दायरे में लाने के लिए 2020 में नया ढांचा बनाया है, लेकिन चीन इस पर अमल नहीं कर रहा। महामारी के बाद ब्याज दर कम करने जैसी व्यवस्था बंद हो गई। चीन कर्ज माफी के लिए भी तैयार नहीं है। उसके कर्जजाल की बड़ी समस्या यह है कि चीन अकेले काम करता है। चीन दिवालियेपन को बढ़ावा देने की नीयत से अकेले बातचीत करता है।
2008 के बाद चीन ने 71 देशों के कर्ज की शर्तें बदली
विश्व बैंक के अनुसार 2008 के बाद चीन ने 71 देशों के कर्ज की शर्तें बदली हैं। पर उसने अपनी शर्तों पर ऐसा किया है। वहीं, पश्चिमी देशों के पेरिस क्लब ने 68 देशों के कर्ज रिस्ट्रक्चर किए हैं। चीन अक्सर वस्तुओं के रूप कर्ज की अदायगी स्वीकार करता है। कर्जदार को कर्ज लेकर बनाए गए बुनियादी ढांचे की आय में हिस्सा देना पड़ता है। पाकिस्तान पर 22.50 लाख करोड़ रुपए से अधिक कर्ज है। IMF के मुताबिक इस कर्ज का 30 फीसदी हिस्सा चीन का है। उसने करीब 30 अरब डॉलर चीन से उधार लिए हैं। यह IMF के कुल कर्ज का तीन गुना है। वर्षों तक पाकिस्तान के मित्र देश उसे मुसीबत से बाहर निकालते रहे। संकट के समय पैसा मिलता था इसलिए पाकिस्तानी राजनेताओं को ऐनवक्त पर चमत्कार होने की उम्मीद है, लेकिन इस बार चीन ने मदद नहीं दी है। पैकेज का सुझाव देने के बाद सऊदी अरब चुप बैठ गया है। अकेला IMF पाकिस्तान को संकट से नहीं उबार सकता है।
चीन कर्जदारों से दूसरे संगठनों की तुलना में 2% तक ज्यादा ब्याज वसूलता है
पाकिस्तान के सस्टनेबल डेवलपमेंट पॉलिसी इंस्टीट्यूट के मुताबिक चीन का कर्ज आर्थिक सहयोग एवं विकास परिषद (OECD) जैसे संगठनों की तुलना में 2 फीसदी तक महंगा होता है। कड़ी शर्तें लगने से कर्ज लेने वाले देश के लिए गले की फांस बन जाता है। पाक के रुपए की कीमत में गिरावट जारी है। इसके बावजूद वित्त मंत्री इशाक डार बेफिक्र हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तान की संपन्नता ईश्वर के हाथ में है। अक्सर दैवीय सहायता IMF के रूप में आती है। 1960 के बाद कोष या पश्चिमी सरकारों ने 21 बार पाक को उबारा है।