हफ्ता मोहब्बत वाला आज अपने पूरे शबाब पर है और प्यार है कि हर साइज और लुक में मिलता है। इस वैलेंटाइंस डे पर अगर कोई सिंगल है, लेकिन चाहता है कि कोई उसे प्यार करे, उसका अकेलापन दूर करे, उसके साथ घूमे-फिरे, खाए-पीएं और बाय करने से पहले आई लव यू भी कह दे, तो क्या ऐसा हो सकता है?
किसी रिश्ते में बंधना भी नहीं, लेकिन सामने वाले से प्यार में पड़ने का मजा भी लेना है… तो इसका एक सीधा-सादा जुगाड़ है। कुछ रुपए खर्च कर किराए पर बॉयफ्रेंड ले आएं, जो कि आज के वक्त में ‘रेंट अ बॉयफ्रेंड’ के नाम से ऑनलाइन मिलने लगा है।
हालांकि, यह सर्विस सिर्फ लड़कियों के लिए ही बनी है। वो तो किराए पर बॉयफ्रेंड ले सकती हैं, लेकिन लड़कों के लिए रेंट पर गर्लफ्रेंड की सर्विस फिलहाल नहीं है।
लड़कियां जो रिलेशनशिप और कमिटमेंट से दूर रहना पसंद करती हैं यह ऐप उनके काम का है। वैलेंटाइंस डे पर इंप्रेशन जमाना हो, एक अदद बॉयफ्रेंड के साथ घूमने की तमन्ना हो तो ऐप के जरिए कुछ घंटों के लिए एक परफेक्ट हैंडसम, इंटेलिजेंट जेंटलमैन बुक कर सकती हैं। 2018 में एक ऐप लॉन्च हुआ ‘Rent a Boy | Friend’ (RABF)। यह ऐप लॉन्च होते ही सुर्खियां बन गया। इस ऐप पर लड़कियां बतौर बाॅयफ्रेंड को बुक करती हैं। ऐप लॉन्च होने के बाद कोरोना-लॉकडाउन आ गया और इसका काम धीमा हो गया। लेकिन जल्दी ही गूगल प्ले स्टोर पर यह टॉप सर्चिंग ऐप बन गया। आज इस ऐप के 1 लाख से ज्यादा यूजर्स हैं।
इसी तरह 2022 में बेंगलुरु के लोगों के लिए मोहित चुरीवाला और आदित्य लखियानी नाम के दो युवाओं ने ‘The Better Date’ नाम से ऐप शुरू किया। इनकी सर्विस भी किराए पर बॉयफ्रेंड मुहैया कराने की है। इसी तरह ‘ToYBoY’ नाम का पोर्टल भी बेंगलुरु में चल रहा है।
कई कैटेगरी
इन ऐप्स पर लड़कों की प्रोफाइल कई कैटिगरी में है, जहां मॉडल, सेलिब्रिटी और आम लड़कों तक के साथ वक्त गुजारने के कई ऑप्शन हैं। लेकिन बॉयफ्रेंड को किराए पर लेने के लिए लड़कियों को पर्स भी खाली करना पड़ता है।
ऐप डाउनलोड करने के बाद फोन पर लड़कों की प्रोफाइल डिस्प्ले होने लगती है। अगर कोई लड़का पसंद आता है तो उसके बाद ‘फिक्स मीटिंग’ का ऑप्शन खुलता है। इसके बाद पेमेंट करनी होती है। साथ ही अपना नाम, ई-मेल आईडी, जन्म की तारीख, शहर और मोबाइल नंबर भी रजिस्टर करना होता है। तभी किराए पर बॉयफ्रेंड बुक हो पाता है।
लड़कियों का अकेलापन और डिप्रेशन दूर करना
RABF ऐप के फाउंडर कुशल प्रकाश ने एक इंटरव्यू में बताया कि भारत में ‘रेंट अ गर्लफ्रेंड’ का कॉन्सेप्ट ठीक नहीं लगता इसलिए लड़कों के साथ ‘रेंट अ बॉयफ्रेंड’ का कॉन्सेप्ट शुरू हुआ। ऐप का मकसद लड़कियों का अकेलापन दूर कर उन्हें डिप्रेशन से आजादी दिलाना है।
ऐप की सर्विस लेने के लिए कुछ रकम देनी होती है। इसमें लड़कियों की फोन पर काउंसिलिंग भी की जाती है। ऐप पर दिए गए नंबर पर कॉल करने के बाद मनोचिकित्सक से बात होती है जो उनकी परेशानी सुनकर हल ढूंढने की कोशिश करते हैं। 15 मिनट बात करने के लिए 500 रुपए चार्ज किए जाते हैं। रिलेशनशिप काउंसलर डॉ. गीतांजलि शर्मा कहती हैं कि अकेलेपन में हीन भावना से घिरे इंसान को अपने अंदर कमी दिखती है और वह साथ और प्यार तलाशने लगता है।
सिंगल लोगों को कुछ घंटे ही खुशी देते हैं
डॉ. गीतांजलि कहती हैं कि आजकल लोग अपनी जिंदगी में इतने बिजी हैं कि उनके पास रिलेशनशिप के लिए वक्त नहीं है। आज के युवा कमिटमेंट से भी बचते हैं। सिंगल रहने के पीछे कोई भी कारण हो सकता है।
वैलेंटाइन वीक शुरू होते ही बाजार में चारों तरफ इसकी धूम शुरू हो जाती है। आसपास का माहौल रोमांटिक दिखता है। रोमांटिक कपल्स को देखकर सिंगल्स अपने आप को और अकेला महसूस करने लगते हैं।
सिंगल्स के मन में कई तरह की बातें आती हैं। जैसे- सब लोग रिलेशनशिप में हैं लेकिन मैं ही क्यों अकेली हूं? मैं क्या करूं? किसे तलाशूं? इस तरह उनका अकेलापन बढ़ता है जो डिप्रेशन में तब्दील हो जाता है।
वैलेंटाइन वीक पर कई पार्टियों, क्लबों, पब में सिंगल लोगों को एंट्री भी नहीं मिलती। ऐसे में इस तरह के ऐप टेंपरेरी ही सही, लेकिन अच्छा खासा हल हैं। कुछ घंटे के लिए सिंगल इंसान का अकेलापन दूर हो जाता है। उसे कोई बात करने वाला मिल जाता है। आइडियल पार्टनर की ख्वाहिश भी पूरी हो जाती है, भले ही यह सब नकली और दिखावटी हो।
किराए का बॉयफ्रेंड यानी शोऑफ का तरीका
आजकल यंगस्टर हर चीज में फन ढूंढते हैं। यह ऐप उन्हें ऐसा करने का मौका भी देता है। डॉ. गीतांजलि शर्मा के अनुसार यह उनके लिए शोऑफ का अच्छा तरीका है। यह ठीक वैसा है जैसे लोग अपने शौक के लिए रेंट पर गाड़ी या ड्रेस किराए पर लेते हैं। इससे व्यक्ति मर्सिडीज, पोर्श जैसी गाड़ियों में बैठकर खुश हो जाता है और सपना भी पूरा कर लेता है। दोस्तों के सामने हो तो शोऑफ भी करता है भले ही गाड़ी किराए की क्यों न हो।
कई लोग अपनी फैमिली और दोस्तों के सामने शोऑफ करते हैं कि वह सिंगल नहीं है, इसके लिए भले ही भाड़े का बॉयफ्रेंड साथ रखना पड़े।
नकली रिश्ते बनाने के बाद असली रिश्ते बनाने में मुश्किल
ऐप पर मिले रेंटल बॉयफ्रेंड हमेशा आइडियल और परफेक्ट जेंटलमैन की तरह व्यवहार करते हैं। वो ऐसा फील कराते हैं जैसे वह रियल बॉयफ्रेंड ही हैं। वो आपकी तारीफें करेंगे, आपको हंसाएंगे, आपको स्पेशल फील कराएंगे। ऐसे में लड़की एक ड्रीम वर्ल्ड में कैद हो जाती है।
लेकिन जब लड़की की जिंदगी में कोई इंसान आता है तो वो उनसे वैसे ही व्यवहार की उम्मीद करने लगती है, जैसे किराए के बॉयफ्रेंड ने किया। जब यह उम्मीदें टूटती हैं तो सचमुच में बने रिश्ते भी प्रभावित होने लगते हैं।
सहनशक्ति कम हुई है, रिजेक्शन से डरते हैं लोग
गुरुग्राम के पारस हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट प्रीति सिंह ने वुमन भास्कर को बताया कि असल जिंदगी में लोगों को रिजेक्शन मिलने का डर सताता है लेकिन रेंट पर गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड चुनने से ऐसा नहीं होता।
दरअसल, अब लोगों में सहनशक्ति कम हो गई है। उन्हें खुद पर भरोसा नहीं है। वे हकीकत को स्वीकार करने से डरते हैं। कुछ लोगों में सोशल एंग्जाइटी भी देखने को मिलती है। ऐसे में इस तरह के ऐप उनकी टेंपररी प्रॉब्लम का हल निकाल देते हैं।
वहीं, जिंदगी में सोशल मीडिया का बढ़ता दखल लोगों को असल जिंदगी से दूर लेकर जा रहा है। अब लोग जल्दी से सामने वाले व्यक्ति से बात नहीं करते और न ही उन्हें भरोसा होता है। ये ऐप समाज में आए इन सभी परिवर्तनों का फायदा उठा रहे हैं। लोगों को सुपरफिशियल या नकली माहौल में जीना पसंद आ रहा है।
यह समस्याओं का हल नहीं है। अगर वाकई में कोई व्यक्ति एंग्जाइटी, उदासी और डिप्रेशन से गुजर रहा है तो ऐप पर साथ ढूंढने की बजाय मनोवैज्ञानिक थेरेपी लें।
अभी तक हमने रेंटल बॉयफ्रेंड और बदलते सामाजिक हालात में इसकी जरूरत पर चर्चा की, लेकिन अब ये सर्विस लेने वालों के कुछ अनुभव जान लेते हैं।
ऐप पर रेंटल बॉयफ्रेंड बनाने में कोई बुरा नहीं
दिल्ली में रहने वाली आकांक्षा (बदला हुआ नाम) कहती हैं कि पिछले साल उनका ब्रेकअप हुआ था। अभी उन्हें किसी रिलेशनशिप में दिलचस्पी नहीं है और न ही वह किसी से कमिटमेंट करना चाहती हैं। वह सिंगल रहकर खुश हैं, लेकिन फिर भी चाहती हैं कि कोई उन्हें इंपोर्टेंट महसूस करवाए।
गुरुग्राम की सोनाक्षी (बदला हुआ नाम) एक मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छी पोजिशन पर हैं। 5 साल पहले उनका तलाक हुआ और उनकी एक बेटी है। अक्सर अकेलापन उन्हें परेशान करता है। वह कहती हैं कि उनके जैसे लोगों के लिए यह ऐप काफी मददगार है। अगर कोई किसी लड़की को स्पेशल महसूस कराए तो खुशी मिलती ही है।
चंद घंटे की मुलाकात बन सकती है गले की फांस
क्या किराए के प्रेमी के साथ वक्त बिताना समाज स्वीकार करता है? इसका सीधा जवाब है- ‘नहीं।’ रिलेशनशिप काउंसलर मानते हैं कि यह व्यक्ति की सोशल इमेज खराब कर सकता है। हमारे समाज में शादी से पहले किसी लड़की या लड़के के साथ इस तरह घूमना सही नहीं माना जाता। अगर कोई फेक बॉयफ्रेंड को अपनी फैमिली या फ्रेंड्स से मिलवाता है तो बाद में सभी को सच बताना मुश्किल होता है। वहीं, इस फेक रिश्ते से ब्लैकमेलिंग या अब्यूज जैसा नुकसान भी झेलना पड़ता है।
भारत में रेंटल बॉयफ्रेंड का ट्रेंड 2018 में आया लेकिन चीन और जापान जैसे देशों में इसका चलन पहले से है…
चीन ने बॉयफ्रेंड का ट्रेंड
साल 2010 में चीन की कई वेबसाइट्स पर रेंट पर बॉयफ्रेंड के कई विज्ञापनों ने जोर पकड़ा। इसके पीछे का कारण था युवाओं का काम में व्यस्त रहना। चीन में नया साल शुरू होने पर वहां के युवा परिवार से मिलने जाते हैं। परिवार को खुशी देने के लिए वे नकली बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड से मिलवाने लगे, ताकि यह दिखा सकें कि वे रिलेशनशिप में हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट में बीजिंग की चाइना एग्रीकल्चर यूनीवर्सिटी में समाजशास्त्र विभाग की डीन झाओ शुडॉन्ग का कहना है कि आज के युवा स्मार्ट हैं। वे खुद पर किसी तरह का कंट्रोल नहीं चाहते, इसलिए परंपराओं से जुड़ी दिक्कतों को पैसे के दम पर दूर कर रहे हैं।
जापान में भी भाड़े के हमदम की तलाश
जापान के लोग कितने मेहनती हैं, यह पूरी दुनिया जानती है। इस वर्क लोड के बीच भी वहां की लड़कियां किराए के बॉयफ्रेंड की तलाश में जुटी हैं। वहीं, जापानी लड़कों ने इसे फुल टाइम जॉब बना लिया है। ‘सूडो’ यानी फेक बॉयफ्रेंड बनाने के लिए वहां की लड़कियां 1 घंटे के लिए किराए के बॉयफ्रेंड को 5000 जापानी येन यानी 3156 रुपए का रेंट दे रही हैं।
इस मुलाकात की कुछ शर्तें हैं। जैसे मुलाकात पब्लिक प्लेस पर होगी और उनके बीच किसी किस्म की नजदीकियां नहीं बनेंगी।
बाहों में भरने और पूरे दिन साथ रहने की भी सर्विस
जापान की Soine-ya Prime नाम की कंपनी ने 2011 में इस तरह की सर्विस शुरू की। इसमें अलग काम का अलग रेंट तय किया गया। कंपनी 7 घंटे की सर्विस के लिए 18,936 रुपए, 8 घंटे की सर्विस के 20 हजार रुपए और 12 घंटे के लिए 30 हजार रुपए चार्ज करती है। इसमें कस्टमर केवल भाड़े के बॉयफ्रेंड की बाहों में सो सकती है।
ग्लोबल विलेज के दौर में यह ट्रेंड भारत में भी पॉपुलर होता जा रहा है। जरूरत यह समझने की है कि जो रास्ता हम चुन रहे हैं वो सही है या गलत। इमोशंस और रिश्ता रिमोट कंट्रोल से नहीं चलता।
आज भले ही हम टेक सेवी हों लेकिन यह कदम उठाने से पहले खुद से यह सवाल करें कि क्या इस तरह के रिश्ते को स्विच ऑन और ऑफ के बटन से चलाना ठीक है? ऐप की ऐसी झूठी जिंदगी झूठी उम्मीदें देती है और अंधेरों में जाकर छोड़ देती है।