पालिका का अनोखा कारनामा, बिना सत्यापन किए पट्टे को फर्जी बताया

फतेहपुर। नगर पालिका परिषद का अनोखा कारनामा सामने आया है। पीड़ित को वर्ष 1971 में किया पट्टा अब जिम्मेदार अधिकारी फर्जी करार दे रहे हैं, लेकिन जब अभिलेखों के सत्यापन का सवाल किया जाता है तो अधिशाषी अधिकारी अभिलेख गायब होने की बात कह कर चुप हो जाते हैं। ऐसे में बिना अभिलेखीय सत्यापन के किसी भी दस्तावेज को फर्जी करार देना सिस्टम का खेल बन गया है। ईओ कहते हैं कि संबंधित लिपिक से अभिलेख खोजने को कहा गया है। मामले की जांच कराई जा रही है। दोषियों पर कार्रवाई की जायेगी। इस तरह से ईओ समीर कश्यप की दो तरह की बात कहना उनकी कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा रहा है।
मामला सादीपुर खुर्द मोहल्ला निवासी रिटायर्ड दरोगा नवाब आलम का है। वर्ष 1971 में तत्कालीन अध्यक्ष व भूमि प्रबंध समिति ने 9 फरवरी 1071 को भूमि संख्या-24 में नवाब आलम के नाम ढाई बिस्वा आवासीय पट्टा का प्रस्ताव किया, जिसकी धनराशि 15 फरवरी 1971 को जमा कर नगर पालिका ने रसीद जारी किया। इसके बाद नवाब आलम को प्रस्ताव की सत्य प्रतिलिपि भी दी गई। इसके उपरान्त नवाब आलम ने उसका नगर पालिका परिषद में एसेसमेंट कराया। नगर पालिका परिषद ने पहला एसेसमेंट 6 जून 1971 को करते हुये आंवटित भूखण्ड को प्लाट नं. 143 ए आवंटित किया। दूसरा एसेसमेंट 3 सितंबर 2009 को तथा तीसरी बार एसेसमेंट 30 मार्च 1999 को दर्ज किया। इन सभी की सत्य प्रतिलिपियां भी नवाब आलम को दी गईं। वर्ष 1999 में 5 अप्रैल को आवंटित भूखण्ड का विनियमित क्षेत्र से नक्शा पास किया गया। यह नक्शा भी नगर पालिका की रिपोर्ट लगने के बाद ही स्वीकृत हुआ। बावजूद इसके विपक्षीगणों ने नक्शा पर आपत्ति लगा कर वाद दाखिल किया, लेकिन जिलाधिकारी और कमिश्नर इलाहाबाद ने विपक्ष के दाखिल वाद को आधारहीन व तथ्यहीन करार देते हुये खारिज करके नवाब आलम का पास किया गया नक्शा बहाल किया। इसके बावजूद भी अवैध कब्जा धारक कब्जा नहीं छोंड सके तो पीड़ित नवाब आलम ने वर्तमान पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई। एसपी के आदेश पर विपक्षियों के खिलाफ थाना कोतवाली में मुकदमा नं.-634/2022 धारा 419, 420 ख 367, 368 आदि विभिन्न धाराओं में पंजीकृत किया गया। सूत्र बताते हैं कि नगर पालिका कर्मियों और विवेचक की सांठगांठ से विपक्षियों ने धनबल के प्रभाव से नवाब आलम सभी अभिलेखों का अभिलेखीय सत्यापन कराये बगैर ही मात्र पट्टा की जारी रसीद को फर्जी करार दे दिया गया और उसी को आधार बना कर विवेचक चैकी इंचार्ज हरिहरगंज ने अंतिम आख्या सीओ कार्यालय को प्रस्तुत कर दिया, जबकि काननू विपक्षियों के खिलाफ चार्जसीट दाखिल की जानी चाहिए क्योंकि नगर पालिका ने विपक्षी की पट्टा रसीद को पूर्व में कूटरचित करा दिया था।

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