योगी के राज मे अपराध हुए कम रेप और किडनैपिंग पर कितना असर

 

6 मार्च की सुबह UP पुलिस की स्पेशल ऑपरेशन टीम ने प्रयागराज के लालपुर गांव को चारों ओर से घेर लिया। सर्च ऑपरेशन चलाकर सुबह 5.30 बजे शूटर विजय चौधरी उर्फ उस्मान को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया। आरोप है कि उमेश पाल हत्याकांड में पहली गोली उस ने ही चलाई थी। इससे पहले इसी केस के एक और आरोपी अरबाज को भी पुलिस ने इसी तरह मुठभेड़ में मार दिया था।

इस साल के शुरुआती 2 महीनों में ही उत्तर प्रदेश में 9 एनकाउंटर हो चुके हैं। इसी वजह से एक बार फिर से योगी राज में एनकाउंटर जस्टिस को लेकर चर्चा तेज हो गई है। इन एनकाउंटर्स में बदमाशों की गोली लगने से करीब 1400 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। वहीं, इन मुठभेड़ों में 23 हजार से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

इसी वजह से कहा जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य में क्राइम कंट्रोल करने के लिए पुलिस को खुली छूट दी है। इसके चलते सिर्फ 3 महीने में 25 मार्च 2022 से लेकर एक जुलाई 2022 तक कुल 525 एनकाउंटर हुए हैं।

8 फरवरी 2022 को संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने बताया कि जनवरी 2017 से जनवरी 2022 के बीच पुलिस एनकाउंटर में मौत के बाद सबसे ज्यादा 191 केस छत्तीसगढ़ में दर्ज हुए। दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है, जहां कुल 117 केस दर्ज हुए हैं।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक IPC के तहत दर्ज होने वाले ओवरऑल अपराध UP में घटने की बजाय बढ़ रहे हैं। 2019 में उत्तर प्रदेश में IPC की धाराओं के तहत 3,53,131 मामले दर्ज हुए। वहीं, 2020 में 3,55,110 और 2021 में 3,57,905 केस दर्ज हुए। हालांकि, कई बार ज्यादा केस दर्ज होने का मतलब ये भी होता है कि आम लोगों की पुलिस तक पहुंच आसान हुई है। इस वजह से पहले की तुलना में ज्यादा केस रजिस्टर हो रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता का कहना है कि भारत के किसी भी कानून में एनकाउंटर को जस्टिफाई या लीगलाइज नहीं किया गया है। अनुच्छेद 21 में जीवन जीने के अधिकार को एक फंडामेंटल राइट माना गया है। कानून में साफ है कि सरकार किसी इंसान से उसके जीवन जीने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ कानूनी तौर पर छीन सकती है। एनकाउंटर एक निगेटिव पहलू है।

संविधान में कानून के शासन की बात कही गई है। इसका मतलब है कि किसी आरोपी को कोर्ट के फैसले के बाद ही दोषी माना जाएगा। उसे कोर्ट से ही मौत की सजा सुनाई जा सकती है। जब तक कोर्ट में कोई दोषी साबित न हो जाए, उसे निर्दोष माने जाने की बात कही गई है।

 

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