1 पेड़, 300 से ज्यादा किस्म के आम, कलीमुल्लाह बोले- मरने से पहले PM मोदी को बताऊंगा फॉर्मूला

 

यूपी की राजधानी लखनऊ से 40 किमी दूर मलिहाबाद में अब्दुल्ला नर्सरी है। इसमें एक ऐसा आम का पेड़ है। इसमें एक साथ 300 से ज्यादा किस्मों के आम निकलते हैं। हर किस्म का टेस्ट अलग होता है। पत्ते भी अलग हैं। आम के खास पेड़ को 83 साल के हाजी कलीमुल्लाह खान ने तैयार किया है। इस कारनामे के लिए उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।

कलीमुल्लाह दावा करते हैं कि ये आम का पेड़ बीमारियां दूर करने में भी सक्षम है। 5 एकड़ में फैली अपनी नर्सरी में कलीमुल्लाह पेड़-पौधों पर शोध भी करते हैं। 7वीं फेल शोधकर्ता का नया दावा है कि उन्होंने एक ऐसा केले का पेड़ विकसित किया है, जो सामान्य पेड़ से डेढ़ गुना बड़ा है। इसका फल भी डेढ़ गुना बड़ा होगा। उन्होंने कहा, “ये पेड़ विकसित करने का फॉर्मूला पीएम नरेंद्र मोदी को दे कर जाउंगा।”

हम मैंगो मैन की नर्सरी में लगे उसी आम के खास पेड़ को देखने पहुंचे। पूरी नर्सरी को देखा। कलीमुल्लाह खान से बात की।

1957 में 7 किस्म वाला आम का पेड़ तैयार कर दिया
7वीं कक्षा में फेल होने के बाद कलीमुल्लाह अपने पिता के साथ नर्सरी जाने लगे। साल 1957 में उन्होंने 7 किस्मों का आम का पेड़ तैयार कर दिया था। लेकिन 1960 में वह बाढ़ में डूब गया। हाजी साहब ने उस पेड़ को बचाने की तमाम कोशिश की, लेकिन बचा नहीं पाए। घर में गरीबी थी। पेड़ों में दिलचस्पी के साथ कलीमुल्लाह अपनी गुजर-बसर के लिए मजदूरी करने लगे। उनकी शादी हुई, बच्चे हुए, 9 साल छप्पर में रहे। इसी तरह 27 साल बीत गए, लेकिन कलीमुल्लाह का पेड़ों से प्यार कम नहीं हुआ।

दोस्त ने जमीन कर्ज में दी, फिर ऐतिहासिक पेड़ तैयार हुआ
साल 1987 में कलीमुल्लाह के एक करीबी दोस्त ने उन्हें 5 एकड़ जमीन कर्ज पर दी। दोस्त भोपाल शिफ्ट हो गए और यहां कलीम साहब ने अब्दुल्ला नर्सरी की शुरुआत की। नर्सरी में आम की 13 खास किस्मों को डेवलप किया। साथ ही उन्होंने एक ऐसा पेड़ तैयार किया, जो अकेले 300 से ज्यादा किस्मों के आम देता है। इस पेड़ को तैयार करने में उन्हें 18 साल से ज्यादा का वक्त लगा। हालांकि वो इस पेड़ में और भी किस्में बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

कलीम कहते हैं, “साल 1991 में ये पेड़ आम की 33 किस्में पैदा करता था। कामयाबी मिलने के साथ ही हम इसमें लगातार किस्में बढ़ाते गए। हमने इस पेड़ को ग्राफ्टिंग के जरिए तैयार किया है। इसमें पेड़ की साख पर V शेप का चीरा लगा कर आम की एक नई किस्म को जोड़ दी जाती है। अब पेड़ विकराल रूप ले चुका है, मेरे दिल के बेहद करीब है। दुनिया भर में इसकी चर्चा है, लोग देखने आते हैं। इस आम की सप्लाई विदेश तक होती है। ये आम मेरी तरफ से दुनिया को तोहफा है।”

मोदी, योगी और ऐश्वर्या समेत 13 हस्तियों के नाम पर किस्में
कलीम आगे कहते हैं, “इस खास आम के पेड़ के साथ हमने खुद की 13 किस्में तैयार की हैं, जो अपने आप में बेहद खास हैं। इन किस्मों को देश की बड़ी हस्तियों का नाम दिया है। मैंने अपनी पहली किस्म को ऐश्वर्या का नाम दिया था। क्योंकि उन दिनों ऐश्वर्या राय मिस वर्ल्ड बनी थीं। वह दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला हैं। दूसरी खास किस्म को नरेंद्र मोदी का नाम दिया। इसको नमो नाम दिया गया है।”

“इसके बाद हमने देश के राष्ट्रपति रहे अब्दुल कलाम साहब के नाम से एक किस्म तैयार की। इसी तरह हमने क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, अभिनेता अमिताभ बच्चन, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, अमित शाह के नाम पर किस्में तैयार की हैं। इसके साथ ही हमने कोरोना वॉरियर्स और दिल्ली की निर्भया का नाम भी आम की खास किस्मों को दिया है। ये सभी किस्में देखने में अधिक सुंदर और स्वादिष्ट हैं।”

पद्मश्री, उद्यान पंडित समेत 500 से ज्यादा अवॉर्ड मिल चुके हैं
साल 2008 में खास बागवानी के लिए कलीमुल्लाह खान को पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। उसी साल उन्हें उद्यान पंडित पुरस्कार से भी नवाजा गया था। कलीम साहब का नाम एशिया के 100 शोधकर्ताओं में भी आता है। UAE और ईरान जैसे देश भी कलीम साहब को अपने देश में सम्मानित कर चुके हैं। साल 2002 में दुबई में 10 तोले के सोना की बिस्किट भी भेंट की गई थी।

पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, अखिलेश यादव, योगी आदित्यनाथ समेत सैकड़ों हस्तियां कलीम साहब को सम्मानित भी कर चुकी हैं। PHD हाउस, नई दिल्ली इन्हें PHD की उपाधि से भी सम्मानित कर चुका है। कलीम साहब को दुनिया भर से करीब 500 से ज्यादा अवॉर्ड मिल चुके हैं।

जापान और ओमान जैसे देशों से आती है मीडिया और रिसर्चर
कलीम आगे कहते हैं, मेरी नर्सरी में देश की तमाम बड़ी हस्तियां आती रहती हैं। लेफ्टिनेंट जनरल हों या बड़ी-बड़ी अदालतों के जज सब यहां खास आम के पेड़ को देखने आते हैं। जापान और ओमान देशों के लोग भी यहां आते हैं।

अभी ओमान से कुछ लोग आए थे। 8 दिन तक यहीं रुके। पेड़ पर रिसर्च की। मुझे अपने देश आने का न्योता दिया। इसी तरह अभी कुछ दिन पहले जापान से भी लोग यहां आए थे। पेड़ के विजुअल्स और मेरी बातें रिकॉर्ड करके ले गए हैं।

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