प्रदेशभर में करीब 30 लाख से ज्यादा कस्टमर बिजली कटौती से हुए परेशान

 

यूपी में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से सरकार के साथ आम आदमी की परेशानी बढ़ गई है। सरकार ने हड़ताल से निपटने के लिए आउटसोर्सिंग और संविदा पर प्रदेशभर में तैनात करीब 500 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी। फिर भी कर्मचारी हड़ताल पर अड़े हैं। गुरुवार रात 10 बजे से शुरू हुई 72 घंटे की हड़ताल के शुरुआती 35 घंटे में प्रदेशभर में करीब 30 लाख से ज्यादा कस्टमर बिजली कटौती से परेशान रहे हैं।

पूर्वांचल, पश्चिमांचल, दक्षिणांचल और मध्यांचल समेत केस्को और नोएडा पावर कंपनी में कर्मचारियों की हड़ताल का असर अब बढ़ रहा है। प्रदेश में कई जिले ऐसे हैं, जहां 80% बिजली आपूर्ति बाधित हो चुकी है। वजह है फॉल्ट को ठीक नहीं किया जा रहा है। लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, मेरठ, आगरा और बरेली समेत कई शहरों में पहले दिन ही जबरदस्त संकट पैदा हो गया।

 

सरकार से लेकर प्रशासन सप्लाई ठीक रखने के लिए जोर लगाए है, लेकिन कर्मचारियों के बिना यह मुश्किल हो रहा है। उधर, लगातार कटौती से लोगों का सब्र का बांध टूट रहा है। बिजली सप्लाई बाधित होने से औद्योगिक शहरों कानपुर, गोरखपुर जैसे शहरों में फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं। लखनऊ के भी बड़े इलाके में भी बिजली संकट है। लोग बिजली सब-स्टेशन पहुंचकर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। कुशीनगर, बलिया, देवरिया, गोरखपुर और प्रतापगढ़ में 242 संविदा कर्मचारियों को बाहर कर दिया है।

गुरुवार को हड़ताली कर्मचारियों को ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि लाइन में फॉल्ट करने वालों या सप्लाई बाधित करने वाले कर्मचारियों को आकाश-पाताल से तलाश करके कार्रवाई करेंगे। मंत्री ने दावा किया कि आपूर्ति नियंत्रण में है। प्रदेश में चार हजार मेगावाट सरप्लस बिजली है।

उधर, हड़ताल का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट भी पहुंच गया। विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे समेत अन्य नेताओं के खिलाफ कोर्ट ने वारंट जारी किया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद सोमवार को सभी पदाधिकारियों को हाईकोर्ट ने तलब किया है।

 

कर्मचारियों के मोबाइल हुए बंद ऑफिस पर PAC तैनात
बिजली विभाग की इस हड़ताल में करीब एक लाख कर्मचारी हैं। इनमें 20 से ज्यादा कर्मचारी नेताओं को हिरासत में लिया गया है। किसी प्रकार का हंगामा न हो। इसलिए लखनऊ समेत कई जिलों में बिजली विभाग के ऑफिस पर PAC तैनात कर दी गई है। गिरफ्तारी से बचने से सभी प्रमुख नेता, अधिकारी और कर्मचारियों ने अपना मोबाइल नंबर बंद कर लिया है।

ऊर्जा मंत्री ने हड़ताल में शामिल होने वालों को कई बार चेतावनी दी, लेकिन उसका असर अभी तक हड़ताल में नहीं दिखा है। 20 संगठन अभी भी हड़ताल में शामिल हैं। मंत्री ने कहा था कि बिजली सप्लाई में बाधा डालने वाले कर्मचारियों को पाताल से खोजकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लेकिन, उससे सप्लाई बेहतर होती दिख नहीं रही है।

 

इससे पहले, साल 2000 में कर्मचारियों ने बिजली विभाग के एकीकरण को लेकर पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किया था। अब 23 साल पर हड़ताल हो रही है। प्रदेश के विभिन्न जिलों में अप्रैल से पहले उपकेंद्रों के मरम्मत का काम चल रहा है। हड़ताल के चलते मरम्मत का काम प्रभावित हो रहा है।

इसके अलावा लोगों को नए कनेक्शन मिलने में दिक्कत हो रही है। अगर कोई उपभोक्ता अपना बिल सही कराने के लिए उपकेंद्र जाता है, तो उसको भी परेशानी झेलनी पड़ेगी। साथ ही अगर कहीं फॉल्ट आता है, तो बिजली कर्मचारी उसको बनाने से इनकार भी कर सकते हैं।

 

यूपी में 1 लाख बिजली कर्मचारियों की हड़ताल का असर अब दिखने लगा है। कई जिलों से बिजली कटौती की खबरें सामने आ रही हैं। वाराणसी DM कार्यालय की बिजली आपूर्ति ठप है। गोरखपुर में 33 केवी लाइन करीब 40 जगहों पर बंद है। दोपहर 12 बजे से बत्ती गुल होने से राम नगरी अंधेरे में है। अधिकारियों और कर्मचारियों का मोबाइल नंबर बंद आ रहा है। प्रयागराज और कानपुर देहात समेत 10 जिलों के कई उपकेंद्र प्रभावित हैं।

डीएम पीसी श्रीवास्तव ने कहा कि सप्लाई बाधित करने के बारे में सोचना भी नहीं, तुम्हें जमीन में गड़वा देंगे। औरैया में भी बिजली कर्मी हड़ताल पर हैं। जिले में बिजली की व्यवस्था न बिगड़े इसे लेकर डीएम खुद पावर हाउस जाकर जायजा लेते रहे। इसी दौरान डीएम पीसी श्रीवास्तव बिधूना के सब स्टेशन पहुंचे और बिजली कर्मी को जमीन में गाड़ने की धमकी दे डाली।

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