श्रीकृष्ण सुदामा चरित्र की कथा सुन भक्त हुए भावविभोर

 

ब्यूरो चीफ मुन्ना बक्श 

बांदा। श्रीमद भागगत कथा, पुराण यज्ञ के छठवें दिन सुदाम चरित्र की कथा का वर्णन किया गया। इसमें भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती ने दुनिया को यह संदेश दिया कि राजा हो या रंक दोस्ती में सब बराबर होते हैं। कथा के अंतिम दिन श्रोताओं की खूब भीड़ उमड़ी।

बांदा। बांदा शहर कालु कुंआ तुलसी विहार मेहंदीपुरधाम गली के सामने चल रही श्रीमद भागवत कथा के छठवें दिन कथा व्यास पंडित प्रीतम शास्त्री जी महाराज ने कहा कि कृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता आज कहां है। द्वारपाल के मुख से पूछत दीनदयाल के धाम, बतावत आपन नाम सुदामा सुनते ही द्वारिकाधीश नंगे पांव मित्र की अगवानी करने राजमहल के द्वार पर पहुंच गए। यह सब देख वहां लोग यह समझ ही नहीं पाए कि आखिर सुदामा में ऐसा क्या है जो भगवान दौड़े दौड़े चले आए। बचपन के मित्र को गले लगाकर भगवान श्रीकृष्ण उन्हें राजमहल के अंदर ले गए और अपने सिंहासन पर बैठाकर स्वयं अपने हाथों से उनके पांव पखारे। कहा कि सुदामा से भगवान ने मित्रता का धर्म निभाया और दुनिया के सामने यह संदेश दिया कि जिसके पास प्रेम धन है वह निर्धन नहीं हो सकता। राजा हो या रंक मित्रता में सभी समान हैं और इसमें कोई भेदभाव नहीं होता। कथावाचक ने सुदामा चरित्र का भावपूर्ण सरल शब्दों में वर्णन किया कि उपस्थित लोग भाव विभोर हो गए। इस मौके पर परीक्षित शिवस्वरूप यादव और श्रीमती ज्ञान प्रभा जगदीश प्रसाद, सुमित,प्रताप,अशोक,अमन पूजा रानी, दुर्गा ,शक्ति सिंह ,लक्ष्मी आदि . कल हवन पूजन भंडारे का आयोजन किया जाएगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.