रंग ला रही फाइलेरिया रोगी नेटवर्क की पहल – मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ने में निभा रहे अहम भूमिका – स्वास्थ्य विभाग ने सीफार के सहयोग से आयोजित किया एमएमडीपी प्रशिक्षण

फतेहपुर। स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) के सहयोग से भिटौरा ब्लॉक के ग्राम पंचायत बसोहनी पर फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता रोकथाम (एमएमडीपी) के बारे में प्रशिक्षित किया गया। इस मौके पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) भिटौरा के चिकित्सा अधीक्षक डा. राघवेन्द्र.सिंह ने फाइलेरिया मरीजों का हालचाल जाना। इस दौरान अनुभव साझा करते हुए संजय कुमार ने बताया कि प्रशिक्षण में मिली सीख से उनको बहुत फायदा हुआ है। फाइलेरिया ग्रसित अंग की समुचित देखभाल और व्यायाम से हुए लाभ के बारे में बताये।
सीएचसी अधीक्षक ने फाइलेरिया प्रभावित मरीजों से कहा कि आजकल वायरल बुखार तथा किसी अन्य बीमारी की दवा की जरूरत तो तो पीएचसी पर उपलब्ध हैं, उसका लाभ उठा सकते हैं। चिकित्सा अधीक्षक ने मरीजों को बताया कि फाइलेरिया को हाथीपाँव भी कहते हैं। यह मच्छर के काटने से होता है यदि किसी को यह बीमारी हो गई तो वह ठीक नहीं होती है केवल प्रबंधन ही किया जा सकता है परंतु फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कर इससे बचा जरूर जा सकता है। बेसिक हेल्थ वर्कर रवि मिश्रा बताया कि देखभाल के अलावा घर और आस-पास मच्छरजनित परिस्थितियाँ उत्पन्न न होने दें। मच्छरदानी लगाकर सोएं। मच्छररोधी क्रीम या अगरबत्ती का प्रयोग करें। पानी इकट्ठा है तो उसमें जले हुए मोबिल ऑयल या मिट्टी के तेल की बूंदें डाल दें। डीएमओ सुजाता ठाकुर ने कहा कि फाइलेरिया प्रभावित अंगों की समुचित देखभाल और नियमित व्यायाम से सूजन में आराम मिलता है। इसलिए यहाँ पर फाइलेरिया प्रभावित अंगों के देखभाल और व्यायाम के जो भी तरीके बताए जा रहे हैं, फाइलेरिया मरीज उनका नियमित रूप से अभ्यास जरूर करें और उन्हें अमल में लायें। दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से ग्रसित को छोड़ कर सभी को दवा का सेवन करना है। इस मौके पर ग्राम प्रधान बाबूराम ने सभी नेटवर्क सदस्यो और मरीजों से कहा की इस बीमारी को हम लोग गांव में और पनपने नहीं देंगे। इस से संबंधित जो कोई भी मेरे लिए कार्य होगा या जो भी सहयोग होगा किया जाएगा। इस मौके पर आशा, आंगनवाड़ी कार्यकत्री और सीफॉर के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
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किट इस्तेमाल करने का बताया तरीका
जिला मलेरिया अधिकारी ने मरीजों को एमएमडीपी किट देने के साथ ही बताया कि हाथीपांव के मरीज को सबसे पहले प्रभावित अंग को टब में रखना है और फिर मग से धीरे धीरे पानी प्रभावित अंग पर डालना चाहिए। पानी न तो ठंडा हो और न ही गरम होना चाहिए। इसके बाद साबुन को हाथों में रगड़ कर झाग बना लेना चाहिए और फिर उसी झाग को हल्के हाथों से प्रभावित अंग पर धीरे-धीरे मलना है। इसके बाद धीरे धीरे पानी डाल कर प्रभावित अंग को धोना है। फिर साफ कॉटन से हल्के हाथ से बिना रगड़े अंग को साफ करना है। अगर प्रभावित अंग कहीं कटा पिटा है तो वहां क्रीम लगाना है। रोजाना ऐसा करने से प्रभावित अंग साफ रहता है और आराम भी मिलता है। साफ सफाई के अलावा मरीज को नियमित एड़ियों के सहारे खड़ा होकर व्यायाम करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि प्रभावित अंग को सहारा देकर रखें और उसे ज्यादा देर तक लटका कर रखने से बचें। बेड पर सोते समय पैर की तरफ दो तकिया लगा लें या बेड के नीचे पैर की तरफ ईंट रख कर उसे ऊंचा कर लें।
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बोले मरीज
भिटौरा ब्लॉक के बसोहनी गांव की निवासी सावित्री देवी ने बताया कि वह गांव में बने फाइलेरिया मरीज सहायता समूह (पीएसजी) के सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में फाइलेरिया से बचाव और व्यायाम के बारे में जानकारी दी गयी। एक बाल्टी, एक टब, एक मग, एक तौलिया, एक साबुन और एक मलहम (क्रीम) दिया गया और इसके प्रयोग के बारे में बताया गया। नियमित साफ सफाई और व्यायाम से काफी आराम मिल रहा है।

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