भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मंगलवार देर रात 10.15 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.6 मापी गई। भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के फैजाबाद से 133 किमी दक्षिण पूर्व में जमीन से 156 किमी की गहराई में था। पाकिस्तान में 9 लोगों की मौत हो गई है। वहीं, 302 लोग घायल हैं। अफगानिस्तान में भी दो लोगों की जान चली गई है।
भारत में भी इसका असर देखा गया। दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और जम्मू कश्मीर भी हिल गए। इससे लोगों में अफरा-तफरी देखी गई। लोग घबराकर जान बचाने के लिए घरों से बाहर आ गए। दिल्ली-NCR, गाजियाबाद के कई इलाकों में लोगों ने पूरी रात घर के बाहर गुजारी।
नोएडा हाइड पार्क सोसाइटी में रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि उसने सबसे पहले डाइनिंग टेबल को हिलते हुए देखा। फिर पंखे भी हिल रहे थे। पहले तो घबराहट हुई। फिर भूकंप का अहसास हुआ। तीव्रता काफी तेज थी। करीब 15 सेकेंड तक हमने उसे महसूस किया।
दिल्ली में एक कैब मालिक रमेश पवार ने बताया, ‘जब मैं कनॉट प्लेस के पास यात्रियों का इंतजार कर रहा था तो भूकंप महसूस किया। अचानक मेरी कार हिलने लगी। मैं तुरंत चिल्लाया और अपने दोस्तों को इसके बारे में बताया।’
दक्षिणी दिल्ली के लाजपत नगर की रहने वाली ज्योति ने कहा कि वह TV देख रही थी, तभी अचानक उसने देखा कि टीवी और सोफा हिल रहे हैं। शुरू में उसने इसे नजरअंदाज किया, लेकिन जब उसके पति ने बताया तो वह और उसके परिवार के सदस्य अपने घर से बाहर निकल गए।
इस बार भूकंप के झटके MP के ग्वालियर, भोपाल में भी महसूस हुआ। लोगों ने कुछ सेकेंड्स के लिए कंपन महसूस किया। शहर में ऊंची इमारतों में रहने वाले लोग तो सड़क पर निकल आए। भूकंप को लेकर लोगों में दहशत देखी गई।
जयपुर, सीकर, करौली समेत राजस्थान के कई जिलों में भी भूकंप के झटके महसूस हुए। यहां भी लोग घरों से बाहर भागे। एक-दूसरे को फोन कर भूकंप आने की जानकारी दी। बीकानेर, जोधपुर, अलवर, गंगानगर, अजमेर, झुंझुनूं में लोग घर से बाहर की ओर दौड़े। अपने रिश्तेदारों और परिचितों को फोन करके इसकी जानकारी भी दी, ताकि सभी सुरक्षित अपने घरों से बाहर निकल जाएं। ऐसा ही हाल पंजाब, जम्मू-कश्मीर, यूपी और उत्तरभारत के अन्य इलाकों में भी रहा।
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में सोमवार सुबह साढ़े पांच बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। नेशनल सीस्मोलोजी सेंटर के मुताबिक भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.1 मापी गई थी। भूकंप का केंद्र पिथौरागढ़ से 40 किमी दूर जमीन के पांच किमी नीचे था। गुजरात के कच्छ जिले में सोमवार सुबह 3.2 तीव्रता का भूकंप आया था। भूकंप सुबह सात बजकर 35 मिनट पर आया, जिसका केंद्र कच्छ जिले के भचाऊ शहर से करीब 10 किलोमीटर उत्तर-पूर्वोत्तर (एनएनई) में था। कच्छ जिले में भूकंप का खतरा अधिक बना रहता है और नियमित रूप से यहां हल्के झटके महसूस किए जाते हैं।
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। लोग घरों से बाहर की ओर दौड़े। राहत की बात यह रही कि इस भूकंप के कारण जिला चंबा में फिलहाल किसी तरह के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ था।
भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक, भूकंप की असली वजह टेक्टोनिकल प्लेटों में तेज हलचल होती है। इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। इस स्केल पर 2.0 या 3.0 की तीव्रता का भूकंप हल्का होता है, जबकि 6 की तीव्रता का मतलब शक्तिशाली भूकंप होता है।
26 दिसंबर 2004 को इंडोनेशिया में आए भूकंप और फिर सुनामी के चलते अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का इंदिरा पॉइंट जलमग्न हो गया था। यह द्वीप सुमात्रा से 138 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां पर एक ही लाइट हाउस है जिसका उद्घाटन 30 अप्रैल 1972 को हुआ था। यह भारत के एकदम दक्षिण में स्थित है और इसे भारत का आखिरी बिंदु भी कहा जाता है। इसका नाम भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर रखा गया है। इंदिरा पॉइंट का लाइट हाउस भारत होते हुए मलेशिया और मलक्का जाते हुए जहाजों को रास्ता दिखाने का काम करता है।
भारत में 204 साल पहले यानी साल 1819 में गुजरात के भुज में भूकंप से टापू बन गया था। इसे अल्लाह बंद नाम से जाना जाता है। वैज्ञानिकों की मानें तो रिक्टर पैमाने पर 7.8 से अधिक तीव्रता के भूकंप आने पर ऐसा होना संभव है। इसकी वजह जमीन के भीतर प्लेटों के बीच दरार को माना जा सकता है। एक्सपर्ट का कहना है कि यह प्लेटें लगातार मूवमेंट करती हैं। कई बार इनके बीच दरार होती है। ऐसे में समुद्र के भीतर अगर 7.5 से ज्यादा तीव्रता और अधिक गहराई का भूकंप आता है तो यह प्लेटें कई मर्तबा एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाती हैं। अगर प्लेटें 6-7 मीटर की भी ऊंचाई ले लेती हैं तो वह टापू जैसी स्थिति हो जाती है।