राहुल गांधी अब सांसद नहीं रहे। शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया। उन्हें संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और ‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951’ की धारा 8 के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया है।
एक दिन पहले, यानी गुरुवार को सूरत की कोर्ट ने उन्हें मानहानि का दोषी पाया और 2 साल कैद की सजा सुनाई थी। राहुल ने 2019 के चुनावी भाषण में मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी की थी। इसी मामले में उन पर मानहानि का मुकदमा चल रहा था। सूरत कोर्ट ने इसी पर फैसला सुनाया था। हालांकि उन्हें फौरन जमानत भी दे दी थी।
जवाब : राहुल गांधी अपनी सदस्यता रद्द करने के लोकसभा सचिवालय के नोटिफिकेशन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। भारतीय संविधान में अगर किसी के अधिकारों का हनन होता है तो वह हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट भी जा सकते हैं और अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते हैं।
इसे 2022 के आखिरी महीनों में UP की रामपुर सीट से सपा विधायक आजम खान के केस के उदाहरण से भी समझ सकते हैं।
27 अक्टूबर 2022 को रामपुर की कोर्ट ने हेट स्पीच के केस में आजम खान को तीन साल की सजा सुनाई। इसके ठीक अगले दिन UP विधानसभा सचिवालय ने आजम की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी थी। इसके अगले ही दिन चुनाव आयोग ने एक नोटिफिकेशन जारी किया। इसमें कहा गया कि 10 नवंबर को उप चुनाव का शेड्यूल जारी कर दिया जाएगा।
आजम इस पूरी प्रक्रिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए। उनकी दलील थी कि अयोग्य करार देने, सीट खाली करने और उप चुनाव के लिए शेड्यूल जारी करने में इतनी तेजी उचित नहीं, वो भी तब जब कन्विक्शन के खिलाफ सेशन कोर्ट में उनकी अपील सुनी जानी है।
आजम की इस अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग, विधानसभा सचिव और UP सरकार से सवाल पूछा कि मामले में इतनी तेजी क्यों दिखाई जा रही है। आजम को सांस लेने का मौका दिया जाए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और उनकी पीठ ने सेशन कोर्ट में सुनवाई पूरी होने तक उप चुनाव की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। साथ ही सेशन कोर्ट को 10 दिन के भीतर आजम खान की अपील पर सुनवाई पूरी करने को कहा था। हालांकि, बाद में सेशन कोर्ट ने आजम खान के कन्विक्शन पर कोई राहत नहीं दी।
यानी आजम की तरह राहुल गांधी भी अपनी सदस्यता रद्द करने के लोकसभा सचिवालय के नोटिफिकेशन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।
सवाल-2 : अगर हायर कोर्ट से राहुल गांधी की कन्विक्शन रद्द हो जाती है तो क्या राहुल की सदस्यता बहाल हो जाएगी?
जवाब : मानहानि मामले में 2 साल की सजा के खिलाफ राहुल गांधी हायर कोर्ट में अपील करेंगे। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल कहते हैं कि अगर बड़ी कोर्ट से राहुल गांधी की कन्विक्शन रद्द कर दे या रोक लगा दे तो उनकी लोकसभा सदस्यता बरकरार रहेगी।
कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि हाईकोर्ट से राहुल के कन्विक्शन को रद्द कर दिया जाता है, या फिर उनकी सजा को कम कर दिया जाता है, तो भी खुद ब खुद उनकी सदस्यता फिर से बहाल नहीं होगी। इसके लिए राहुल गांधी को फिर से हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ेगा।
इसकी वजह है कि स्पीकर खुद अपने फैसले को नहीं पलटेंगे। हाईकोर्ट या संविधान पीठ का फैसला आया तो वे अपने फैसले को बदल सकते हैं।
वहीं अगर ऐसा कोई फैसला आने से पहले वायनाड में उप चुनाव हो गए तो राहुल की लोकसभा सदस्यता बहाल नहीं हो पाएगी।
सवाल-3 : राहुल की सदस्यता जाने के बाद क्या खाली हुई वायनाड सीट पर उप चुनाव होंगे?
जवाब : हां होंगे, क्योंकि लोकसभा के आम चुनाव मई 2024 में होने हैं। यानी अभी इसे होने में 6 महीने से ज्यादा का समय है। संविधान के मुताबिक, आम चुनाव होने में अगर 6 महीने से ज्यादा का समय है ताे केरल की वायनाड सीट पर उप चुनाव होगा।
सवाल-4 : अगर वायनाड सीट पर उपचुनाव हुए तो क्या राहुल गांधी फिर चुनाव लड़ पाएंगे?
जवाब : राहुल गांधी दो हालातों में ही वायनाड सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैंं…
1. उप चुनाव घोषित होने और उसके नामांकन की अंतिम तारीख से पहले मानहानि के मूल केस में राहुल की कन्विक्शन पर बड़ी अदालत रोक लगा दे।
अभी तक राहुल ने सूरत की मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं दी है। कांग्रेस सूत्रों का कहना कि चूंकि फैसला 150 पेज का है और गुजराती में है। ऐसे में इसका अनुवाद करवाया जा रहा है।
2. राहुल की लोकसभा सदस्यता रद्द करने के नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा दे या इसे रद्द कर दे। ये सब कुछ उप चुनाव घोषित होने और उसके नामांकन की अंतिम तारीख से पहले होना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो राहुल वायनाड से उप चुनाव लड़ पाएंगे।
मौजूदा हालात को देखते हुए इन दोनों विकल्पों की संभावना कम है। राहुल को कहीं से भी राहत मिलने से पहले उप चुनाव हो सकते हैं।
सवाल-5 : अगर ऊपरी अदालत से राहुल गांधी को कोई राहत नहीं मिली, तो क्या होगा?
जवाब : राहुल की कानूनी लड़ाई दो मोर्चों पर होगी।
1. मानहानि के केस में दोषी करार दिए जाने के खिलाफ।
2. दो साल की सजा के आधार पर सदस्यता रद्द करने के नोटिफिकेशन के खिलाफ।
मानहानि केस में राहुल की कन्विक्शन को रद्द नहीं किया जाता या उस पर रोक नहीं लगती तो उन्हें एक महीने बाद दो साल की सजा काटनी होगी और वह इसके 6 साल बाद भी कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। अगर ऐसा हुआ तो राहुल के चुनावी राजनीति के करियर में 8 साल का ब्रेक लग जाएगा।
अगर अपील में सजा 2 साल से कम हो जाती है तो राहुल को कानूनी लड़ाई लड़ने का एक और विकल्प मिल जाएगा।
सवाल 6 : क्या इससे पहले भी दोषी साबित होने के बाद सांसदों की सदस्यता खत्म हुई है और वो दोबारा चुनाव नहीं लड़ सके?
जवाब : देश में ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ के आने के बाद से अब तक कई सांसदों-विधायकों को अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी है…