प्रेम कर रही बेटी करना चाहती थी शादी पिता को न मंजूर तो पिता ने बेटी को गोली मारकर कि हत्या और…

 

मामला कोतवाली कासगंज क्षेत्र में सबसे पॉश कॉलोनी आवास विकास की है। इसी कॉलोनी में फिजिक्स के लेक्चरर नरेंद्र यादव, उनकी 26 वर्षीय बेटी जूही और पत्नी शशि प्रभा रहते थे। शनिवार को लेक्चरर ने अपनी बेटी की लाइसेंसी राइफल से गोली मारकर हत्या कर दी। उसके बाद खुद को भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली। लेक्चरर की बेटी सरकारी टीचर थी। घटना से पहले लेक्चरर ने अपनी बेटी और पत्नी के साथ मारपीट भी की थी।

बेटी अपने पसंद के लड़के से शादी करना चाहती थी। इस वजह से पिता और बेटी के बीच लंबे समय से विवाद चला आ रहा था। इन दोनों के बीच पिस रही थी लड़की की मां और लेक्चरर टीचर की पत्नी। हालात ऐसे बने कि पिता ने पत्नी के सामने अपनी बेटी को गोली मार दी और फिर खुद को भी गोली से मार लिया पत्नी बहदहवास सी यह सब कुछ देखती रही।

 

शनिवार दोपहर करीब 2 बजे दो फायर होने की आवाज आई। आस-पास के लोग फायर की आवाज सुनकर अपने अपने घरों से निकलकर बाहर दौड़े। जैसे ही लोग मकान में पहुंचे, तो वहां के हालात देखकर होश उड़ गए। घर में एक नहीं, बल्कि दो लाश खून से लथपथ पड़ी थीं। लोगों ने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुंची, तो पता लगा पिता ने पहले अपनी बेटी की गोली मारकर हत्या की। फिर खुद को गोली मार ली। बेटी की छाती पर गोली मारी, जबकि खुद के सीने में पर राइफल की नाल सटाकर ट्रिगर दबा लिया।

इस घटना के बाद से पत्नी बदहवास सी घर में ही बैठी थी। जैसे तैसे उन्हें होश में लाया गया, तो चीखकर रोने लगीं। पुलिस की पूछताछ में पता चला कि मामला प्रेम-प्रसंग का है। पुलिस ने मृतक की पत्नी की तहरीर के आधार पर मृतक नरेन्द्र के खिलाफ 302 के तहत मामला दर्ज किया।

 

पिता-बेटी का एक साथ हुआ अंतिम संस्कार
नरेंद्र और जूही दोनों का अंतिम संस्कार एक साथ किया गया। अगल-बगल दोनों की चिताएं बनाई गईं। रविवार दोपहर 12 बजे बेटे अभिषेक ने पिता व बहन की चिता को मुखाग्नि दी। दाह संस्कार का ये रिवाज मैनपुरी के पैतृक गांव रोरिया में किया गया।

 

कुछ महीनों से बेटी का एक युवक से प्रेम-प्रसंग चल रहा था
युवती की मां शशि प्रभा ने पुलिस को बताया, “मेरी बेटी जूही 68500 भर्ती प्रक्रिया के दौरान अध्यापिका बनी थी। तीन साल पहले उसकी नियुक्ति हुई थी। जूही कासगंज जनपद के सोरों विकास खंड क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय मिर्जापुर पर तैनात थी। तीन साल से सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। मेरे पति और बेटी दोनों ही सरकारी टीचर थे। मेरा बेटा दिल्ली में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है।

पिछले कुछ महीनों से बेटी के किसी लड़के से प्रेम प्रसंग की जानकारी मिल रही थी। इसे लेकर मेरे पति बेटी को समझाया करते थे। मैं भी उसे समझा रही थी कि बेटी मां बाप की बात माननी चाहिए और उनके हिसाब से ही शादी कर लेनी चाहिए। बेटी अकसर इन बातों की अनसुनी करके बात को टाल देती थी।”

लड़की की मां ने बताया, ”काफी समय से ऐसा ही चलता आ रहा था। कई बार दोनों में कहासुनी हो जाती थी, तो मैं बीच में आकर समझा देती थी। लेकिन, शनिवार को मामला कुछ ज्यादा ही बढ़ गया। फिर भी हमें इस बात का अंदाजा नहीं था कि इतने से विवाद पर मेरा पूरा परिवार बर्बाद हो जाएगा। शनिवार दोपहर को जब पति स्कूल से कॉपियां चेक करके लौटे, तो बेटी भी घर पर थी। उनको किसी बात की जानकारी मिली होगी, तो बेटी से सीधे बात करने लगे।

पति बेटी की शादी कहीं और करना चाहते थे। उसको समझाने लगे और बोले मैंने तेरे लिए अच्छा लड़का देखा है। इस पर बेटी ने शादी करने से मना कर दिया। बस इसी बात पर पिता ने बेटी पर हाथ छोड़ दिया। मैं बीच में आई, तो मुझसे भी मारपीट कर दी। थोड़ी देर बाद वो कमरे में चले गए और राइफल निकाल लाए। गुस्सा इतना था कि सीधे बेटी की छाती में गोली मार दी। इसके बाद खुद को भी मार ली।”

मृतक शिक्षक नरेंद्र यादव के साथी शिक्षक राजकुमार ने बताया, ”SKM इंटर कॉलेज में उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन हो रहा है। शुक्रवार को नरेंद्र यादव के हिस्से में आई सभी उत्तर पुस्तिकाओं का उन्होंने मूल्यांकन पूरा कर लिया था। उस समय काफी हंसी ठिठोली की थी। जब नरेंद्र यादव से पूछा कि शनिवार को आओगे तो बोले कि मेरा मूल्यांकन तो पूरा हो गया, अब मैं क्या करूंगा आकर।

अब पता लगा यह घटना हो गई। नरेंद्र बहुत ही हंसमुख विचार के व्यक्ति थे। यह बहुत ही दुखद घटना है। वह अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर काबिल बनाना चाहते थे। बेटी तो शिक्षक बन ही गई थी। लेकिन परिवार अब बर्बाद हो गया।”

बात नरेन्द्र यादव के बेटे की करें, तो अभिषेक भौतिक विज्ञान से MSC कर चुका है। वह दिल्ली में रहकर SSC की तयारी कर रहा है। शनिवार शाम को ही बेटा दिल्ली से घर पहुंचा। पिता व बहन को खोने के बाद से वह भी बेसुध है।

पूरी घटना के बाद पत्नी बार-बार बेसुध सी हो जाती हैं। वह कभी चीखने लगती हैं कि मेरा सब बर्बाद हो गया, पूरा घर खत्म हो गया। तो कभी बिल्कुल गुमशुम हो जाती हैं। परिवार वाले उनको संभालने में लगे हुए हैं। वह कभी बेटी को कोसती हैं, तो कभी उसके पिता के लिए कहती हैं कि आपने यह क्या कर दिया। हंसता-खेलता परिवार था, सब कुछ मेरा अब खत्म हो गया है।

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