शादी के लिए फर्जी डिग्री से इंजीनियर बने 10वीं पास, 50 यूनिवर्सिटी की डिग्री, हुलिया बदल धोखा दे रहा था सरगना

 

 

जयपुर में फर्जी डिग्री बनाने वाली फैक्ट्री का खुलासा हुआ है। ये फैक्ट्री सीनियर टीचर भर्ती परीक्षा पेपर लीक का मास्टरमाइंड भूपेंद्र सारण और उसका एक पार्टनर अशोक विजय चला रहा था।

मैरिज गार्डन में ही फर्जी डिग्रियां बनाने का पूरा सेटअप लगा रखा था। पुलिस ने मामले में कार्रवाई कर आरोपियों को गिरफ्तार किया और 50 यूनिवर्सिटी की 4 हजार फर्जी डिग्रियां बरामद की।

रिश्ते की बात चलते ही युवाओं को फर्जी डिग्री की जरूरत पड़ती तो वे भूपेंद्र के गिरोह से सम्पर्क करते थे। इसके अलावा गिरोह नौकरी के लिए गारंटी वाली फर्जी डिग्री भी बेचता था। जिसमें वो डिग्री को वेरिफाई भी करवाते थे।

भूपेंद्र को जब पुलिस ने पेपर लीक के मामले में गिरफ्तार कर लिया तो उसका पार्टनर अशोक विजय अपने घर की बजाय मैरिज गार्डन में नकली डिग्री की फैक्ट्री चलाने लगा। उसने पुलिस से बचने के लिए अपना वजन भी कम किया और विग पहनने लगा। इधर, पुलिस को भूपेंद्र से पूछताछ में फर्जी डिग्री की फैक्ट्री के बारे में पता चला।

पुलिस ने अशोक विजय की तलाश शुरू की। पहले तो हुलिया बदलने के कारण पुलिस आरोपी को पहचान नहीं पाई। फिर पुलिस ने आरोपी की पहचान कर उस सहित गिरोह के 4 आरोपियों को पकड़ लिया।

10वीं पास को फर्जी डिग्री से बना देते इंजीनियर

भूपेंद्र सारण ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि कई युवकों के पास हायर एजुकेशन की डिग्री नहीं होने के कारण शादी नहीं हो पाती थी। ऐसे युवा उसके पास डिग्री बनवाने आते थे।

उसने कई 10वीं-12वीं पास युवकों को बीए, बीएड, इंजीनियरिंग, पीएचडी जैसे कोर्स की डिग्रियां बनवाकर दी थी।

कई युवकों ने फर्जी डिग्री के दम पर शादी भी कर ली। पिछले कुछ समय से शादी के लिए फर्जी डिग्री बनवाने वाले लोग ज्यादा आते थे।

फर्जी डिग्रियां बेचकर करोड़ों रुपए कमाए

भूपेंद्र सारण ने पेपर लीक और फर्जी डिग्रियों से करोड़ों रुपए कमाए। भूपेंद्र सारण ने पुलिस पूछताछ में बताया कि वो देशभर की 50 से ज्यादा यूनिवर्सिटी के नाम से फर्जी डिग्रियां बनाकर बेचता था।

सबसे ज्यादा डिग्रियां की जरूरत युवकों को नौकरी और शादी के लिए पड़ती थी। बीएड, पीएचडी, इंजीनियरिंग, डिप्लोमा, ग्रेजुएशन जैसे कोर्स की डिग्री की डिमांड सबसे ज्यादा थी।

ऐसे चलाते थे फर्जी डिग्री बनाने की फैक्ट्री

जयपुर के ज्योति नगर में इमली फाटक के पास रहने वाला अशोक पुत्र प्रयागराज विजय 15 सालों से फर्जी डिग्रियां बनाकर बेच रहा था। अशोक ने अपनी मदद के लिए कैलाश सिसोदिया को नौकरी पर रखा हुआ था। अशोक की करीब डेढ़ साल पहले भूपेंद्र सारण से जान पहचान हुई।

दोनों ने मिलकर बड़े पेमाने पर फर्जी डिग्रियां बनाकर बेचने का प्लान बनाया। इसके लिए उन्होंने अपने साथ ओपीजीएस यूनिवर्सिटी चूरु में एडमिशन के लिए एजेंट का काम करने वाले प्रमोद सिंह, जीएस यूनिवर्सिटी शिकोहाबाद यूपी और महात्मा गांधी एलम यूनिवर्सिटी सिक्किम मेघालय में एजेंट का काम करने वाले अजय सिंह को अपनी गैंग में शामिल किया।

इस तरह तैयार करते थे फर्जी डिग्री

पहले स्टूडेंट्स से असली डिग्री लेते : प्रमोद सिंह और अजय सिंह यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स को एडमिशन दिलाने के लिए एजेंट का काम करते थे। दोनों पिछले चार साल से इस काम में लगे हुए थे। जिन स्टूडेंट्स की डिग्री पूरी हो जाती थी दोनों उनकी डिग्रियों की फोटो लेकर अशोक विजय को भेजते थे।

फिर असली डिग्री की हूबहू फर्जी बनाते : अशोक ने अपने घर पर फर्जी डिग्री बनाने के लिए लैपटॉप, प्रिंटर, यूनिवर्सिटी के होलोग्राम, स्टाम्प्, लैटर पैड का सेटअप लगा रखा था। प्रमोद सिंह और अजय सिंह से असली डिग्री मिलने के बाद अशोक विजय उस डिग्री के एनरोलमेंट नंबर और दूसरी डिटेल लेकर हूबहू फर्जी डिग्री बनाता था। डिग्री की कॉपी बनाते समय सिर्फ स्टूडेंट का नाम, पता और एड्रेस बदल देता। अशोक विजय ने ऐसी 50 से ज्यादा यूनिवर्सिटी डिग्रियां बना रखी थी।

30 से 40 हजार में बेचता फर्जी डिग्री

अशोक विजय फर्जी डिग्री बनाने के बाद भूपेंद्र सारण को भेजता था। भूपेंद्र सारण यह डिग्री 30 से 40 हजार रुपए में बेचता था। भूपेंद्र ने पूछताछ में बताया कि डिग्री की कोई फिक्स रेट नहीं होती थी। ग्राहक की जरूरत और मजबूरी के हिसाब से फर्जी डिग्री की कीमत तय करते थे। किसी को अर्जेंट अगर डिग्री की जरूरत होती थी तो वे 50 हजार रुपए से ज्यादा भी ले लेते थे। वहीं अगर किसी को शादी के डिग्री की जरूरत पड़ती थी तो 30 हजार रुपए में बेच देते थे। इंजीनियरिंग और बीएड जैसे कोर्स की डिग्रियों के लिए 1 लाख रुपए तक लेते थे।

नौकरी की गारंटी वाली डिग्री

गिरोह दो प्रकार की डिग्रियां बनाता था। एक फर्जी डिग्री में असली डिग्री को देखकर बस स्टूडेंट के नाम, एड्रेस बदलकर हूबहू फर्जी डिग्री बनाकर देते थे।

दूसरी डिग्री नौकरी की गारंटी वाली होती थी। यह डिग्री उन युवकों के लिए बनाते थे, जिनको नौकरी के लिए इसकी जरूरत होती थी। फर्जी डिग्री को वेरिफाई करवाने के लिए फूलप्रूफ प्लान बना रखा था।

अपने एजेंट से डिग्री वेरिफाई करके देते थे

भूपेंद्र और अशोक विजय गारंटी वाली डिग्री ओपीजीएस यूनिवर्सिटी चूरु, जीएस यूनिवर्सिटी शिकोहाबाद यूपी और महात्मा गांधी एलम यूनिवर्सिटी सिक्किम मेघालय के नाम से बनाकर देते थे।

इन यूनिवर्सिटी में उनकी गैंग के प्रमोद सिंह और अजय सिंह एजेंट का काम करते थे। जब डिग्री वेरिफाई करने लोग जाते थे तो प्रमोद सिंह और अजय सिंह फोन पर डिग्री को वेरिफाई कर देते थे। दोनों एजेंट कई बार फर्जी लेटर हैड पर भी डिग्री वेरिफाई करके प्रमाण पत्र दे देते थे।

ऐसे पकड़ में आया गिरोह

पेपर लीक मामले में जब जयपुर पुलिस ने मुख्य सरगना भूपेंद्र सारण के घर पर करीब तीन माह पहले दबिश दी तो पुलिस को मौके से कई फर्जी डिग्रियां मिली थी।

इसके बाद उदयपुर पुलिस ने कुछ समय पहले भूपेंद्र सारण को गिरफ्तार किया था। इसके बाद जयपुर पुलिस मामले की जांच के लिए भूपेंद्र सारण को प्रोडक्शन वांरट पर गिरफ्तार करके लाई।

पूछताछ में भूपेंद्र सारण ने फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गिरोह में अपने साथी अशोक विजय, कैलाश सिसोदिया, प्रमोद सिंह, अजय भरद्वाज के बारे में बताया। पुलिस ने भूपेंद्र के तीनों साथियों की तलाश कर 29 मार्च को गिरफ्तार कर लिया।

 

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