ईरान में हिजाब के मसले पर सरकार ने सख्ती बढ़ा दी है। इस अनिवार्य ड्रेस कोड का उल्लंघन करने वाली महिलाओं को पकड़ने के लिए ईरानी अधिकारी सार्वजनिक जगहों पर CCTV कैमरे लगा रहे हैं। इसके जरिए हिजाब नहीं पहनने वाली महिलाओं की पहचान कर उन्हें सजा दी जाएगी। हालांकि किस तरह की सजा दी जाएगी, इस बारे में जानकारी नहीं दी गई।
पुलिस ने कहा कि उनकी पहचान होने के बाद नियम का उल्लंघन करने वालों को चेतावनी दी जाएगी। इस कदम का मकसद हिजाब कानून के खिलाफ हो रहे विरोध को रोकना है। 16 सितंबर 2022 को महसा अमिनी की मौत के बाद से ही ईरान में हिजाब के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं।
प्रदर्शन में 517 लोगों की मौत
महसा को 13 सितंबर को हिजाब नहीं पहनने के लिए पुलिस ने हिरासत में लिया था। इसके बाद अनिवार्य ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के लिए गिरफ्तारी का जोखिम उठाते हुए महिलाओं ने देश भर के मॉल, रेस्तरां, दुकानों और सड़कों पर विरोध किया। इनमें अब तक 517 लोग मारे जा चुके हैं। सरकार ने सिर्फ 117 लोगों के मारे जाने की बात मानी है। ज्यादातर लोगों की मौत मॉरेलिटी पुलिस के टॉर्चर की वजह से हुईं।
हिजाब नहीं पहनने पर 49 लाख का जुर्माना
कुछ दिन पहले ही ईरान में महिलाओं के ड्रेस कोड को लेकर एक नया कानून बनाया था। इसके तहत अगर वो हिजाब नहीं पहनेंगी तो उन्हें 49 लाख रुपए तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। ईरान के सांसद हुसैनी जलाली ने इसकी पुष्टि की थी।
हिजाब पहनने की अनिवार्यता 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद लागू हुई
ईरान में वैसे तो हिजाब को 1979 में मेंडेटरी किया गया था, लेकिन 15 अगस्त को प्रेसिडेंट इब्राहिम रईसी ने एक ऑर्डर पर साइन किए और इसे ड्रेस कोड के तौर पर सख्ती से लागू करने को कहा गया। 1979 से पहले शाह पहलवी के शासन में महिलाओं के कपड़ों के मामले में ईरान काफी आजाद ख्याल था।