भोगलपुर में साहित्य संसद का हुआ तीसरा अधिवेशन – नंदलाल कैदी धूमिल परंपरा के कवि हैं: डॉ राजकुमार

खागा/फतेहपुर। जन कवि नंदलाल कहीं की चतुर्थ पुण्य स्मृति में आयोजित साहित्य संसद का तृतीय अधिवेशन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ संपन्न हुआ।
कार्यक्रम के आयोजक भालचंद्र यादव ने जारी विज्ञप्ति के अनुसार जनकवि नंदलाल कैदी की चौथी पुण्य स्मृति में आयोजित साहित्य संसद का तीसरा अधिवेशन उनकी समाधि स्थल भोगलपुर में संपन्न हुआ। जिसमें कवियों ने अपनी कविताओं से समा बांधा तो वहीं देर रात्रि तक चले सांस्कृतिक महोत्सव में कलाकारों ने गीत संगीत से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। जन कवि नंदलाल कैदी की स्मृति में उनके कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला गया। साहित्य संसद में विभिन्न राज्यों से आए विद्वानों ने अपने अपने विचार प्रकट किए। मंच पर हिंदी साहित्य के महान कवियों एवं लेखकों के चित्र सजाए गए थे जिनमें गजानन माधव मुक्तिबोध, सुभद्रा कुमारी चौहान, जन कवि नागार्जुन, भारतेंदु हरिश्चंद्र, कबीर दास जैसे रचना धर्मी शामिल हैं। अधिवेशन में अध्यक्षता आचार्य डॉ. ब्रजमोहन पांडेय विनीत ने की। मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त प्रोफेसर एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग दुर्गा नारायण स्नातकोत्तर महाविद्यालय फतेहगढ़ डॉ राजकुमार सिंह ने जन कवि नंदलाल कैदी के रचना संग्रह दर्द को बेनकाब न कर तथा आ गई फिर से सुबह की समीक्षा करते हुए कहा कि कैदी जी धूमिल की परंपरा के कवि हैं। इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में नाथ सोनांचली, डॉ. छोटेलाल मनमीत, सुनील कुमार यादव अयोध्या, अजय कुमार विमल चुनार, मोहनलाल यादव इलाहाबाद, सतविंदर राणा करनाल हरियाणा, अंशिका यादव इलाहाबाद, ज्योत्सना मिश्रा, धर्म चंद्र मिश्र, गिरजेश गरारा, प्रकाश चंद्र प्रकाश, अखिलेश चंद्र शुक्ल, जगदीश प्रसाद आदि प्रमुख कवि मौजूद रहे। प्रोफेसर गया प्रसाद स्नेही ने नंदलाल कैदी का समग्र मूल्यांकन प्रस्तुत किया। रात्रि में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में आयोजित गीत संगीत ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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