जिलाधिकारी के सख्त तेवरों के बाद भी बालू माफिया धड़ल्ले से कर अवैध खनन

 

बांदा। बालू माफिया जिलाधिकारी के सख्त तेवरों के बावजूद ओवरलोडिंग करने से बाज नही आ रहे हैं। बीते दिनों जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने ओवरलोडिंग की मिल रही शिकायतों को लेकर कड़ा रूख अपनाया था और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम बनाकर इस पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। कार्रवाई के चलते लगभग 50 ओवरलोड ट्रकों के विरूद्ध कार्रवाई की गयी थी। मटौंध थाना क्षेत्र के मरौली खण्ड 6 और भवानी पुरवा के खदान संचालक नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से ओवरलोडिंग व प्रतिबंधित मशीनों का प्रयोग कर नदी की जलधारा मे खनन कार्य करने से बाज नही आ रहे हैं। ग्रामीणों को लाठी व असलहों की दम पर धमकाया जाता है। इसके अलावा सैकड़ों की तादाद मे ट्रकों के झुण्ड से धूल का गुबार उड़ता है। इससे फसलों पर तो प्रतिकूल प्रभाव पड़ता ही है साथ ही प्रदूषण के चलते आस-पास के ग्रामीण बीमारी के शिकार हो रहे हैं। मरौली खदान के संचालक एनजीटी के नियमों और प्रशासनिक नियमों व शक्तियों को दर किनार कर दबंगई के बल पर दिन-रात बिना रोक-टोक बालू खनन का कार्य बदस्तूर कर रहे हैं। जिला प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद मानक के विपरीत खदान से ही ट्रकों मे ओवरलोडिंग का खेल जारी है जबकि ओवरलोडिंग के मामले पर सख्त निर्देश हैं कि यदि खनन खदान क्षेत्र से ही ओवरलोड ट्रक निकलते पाए गये तो इसके लिए पट्टाधारक भी जिम्मेदार होंगे। इसे रोकने के लिए हाईफ्रीक्वेंसी पीजेड सीसीटीवी कैमरे लोडिंग प्वांइट, प्रवेश और निकासी के साथ ओवरलोडिंग को रोकने के लिए भार माप कांटे का प्रयोग करना अनिवार्य किया गया है लेकिन इसके विपरीत अधिकांश खनन पट्टा क्षेत्रों मे सीसीटीवी कैमरे और भार मापन कांटा केवल दिखावा साबित हो रहे हैं। शाम होते ही प्रतिबंधित भारी मशीनें नदी की जलधारा से रात भर बालू निकालने का काम कर रही हैं। इस खनन के चलते जलधारा पर तो विराम लग ही रहा है साथ ही जलीय जीव-जन्तुओं पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। और जलीय जीव जंतु नष्ट होने की कगार में है।

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