सत्तारूढ़ दल के लिये कांटो भरा है सदर नगर पालिका के चेयरमैन की जीत का ताज!

फतेहपुर। जिले की आवाम के बीच नगर निकाय के चुनाव की सरगर्मी तेजी से बढ़ने लगी है। चाय-पान की दुकानें हो या कचहेरी में अधिवक्ताओं के चेम्बर अथवा शेड़। सभी जगह नगरीय चुनाव की चर्चाओं का दौर हर समय चलता रहता है। इन चर्चाओं में गर्माहट तब और बढ़ जाती है, जब भाजपा, सपा-बसपा समर्थित लोग शामिल हो जाते हैं। सभी अपनी-अपनी जीत की गणित बतातें हैं। जनपद में मात्र दो नगर पालिका परिषद है और नवसृजित नगर पंचायतों के बाद जिले में नगर पंचायतों की संख्या बढ़ कर आठ हो गई है। चुनावी परिदृश्य पर नजर डालते हैं और राजनीति के जानकारों की चर्चाओं पर गौर किया जाता है तो सत्तारूढ़ पार्टी के प्रत्याशियों की बिंदकी नगर पालिका परिषद को छोंड दिया जाये तो अन्य सभी जगहों पर मुश्किलें बढ़ती नजर आती हैं। जिले की सबसे बड़ी फतेहपुर नगर पालिका परिषद का चेयरमैन कौन होगा यह तो कहना फिलहाल मुश्किल है, लेकिन इतना जरूर है चुनावी परिदृश्य में जिस तरह समीकरण बनते नजर आ रहे हैं, उससे जीत का ताज कांटो भरा होगा।
फतेहपुर नगर पालिका परिषद के वर्तमान चुनावी परिदृश्य में सत्तारूढ़ भाजपा प्रत्याशी राह आसान नहीं है। यहां पर भाजपा ने पूर्व जिलाध्यक्ष रहे प्रमोद द्विवेदी को नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष प्रत्याशी बनाया है। भाजपा प्रत्याशी की आम शोहरत है कि उन्होने कभी आम आदमी से सही ढंग से नमस्कार करना तो दूर रहा है, जन समस्याओं के निदान की कोई पहल नहीं किया। इनकी राह में वर्तमान जिलाध्यक्ष की कार्यशैली भी बाधक बन कर खड़ी हो गई है। समाजवादी पार्टी ने इस बार नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष प्रत्याशी के रूप में अधिवक्ता राजकुमार मौर्य को अपना प्रत्याशी बनाया है। पिछड़ा वर्ग से प्रत्याशी होने के नाते इनकी दावेदारी को राजनीतिकार मजबूत मानते हैं। बसपा ने अपना प्रत्याशी मुस्लिम समुदाय से आसिफ को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा का मुस्लिम प्रत्याशी होने के बावजूद भी राजनीति के जानकार इनकी दावेदारी को मजबूत नहीं मान रहे हैं। समूचे परिदृश्य पर दृष्टिपात करने में चुनावी समर भाजपा और सपा के बीच ही होने के आसार बनते नजर आते हैं। शेष पार्टियों के प्रत्याशियों को आम जनता वोट कटवा की संज्ञा दे रही है। वैसे फतेहपुर नगर पालिका परिषद क्षेत्र में सर्वाधिक मतदाता लोधी, मुस्लिम और मौर्या मतदाताओं की है। लोधी व मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग बराबर है। तीसरे नंबर पर मौर्या बिरादरी के मतदाता आते हैं। लोधी-मौर्या अब तक भाजपा समर्थक माने जाते रहे, लेकिन बीते विधानसभा में सपा ने लोधी समाज पर दांव खेलकर विधायक पद हासिल किया है। ठीक उसी तरह इस बार मौर्या समाज से अध्यक्ष प्रत्याशी उतार कर सपा ने जीत दावेदारी शुरू कर दी है।
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मौर्या-मुस्लिम गठजोड़ सपा प्रत्याशी का आधार मजबूत!
समाजवादी पार्टी प्रत्याशी अधिवक्ता राजकुमार यदि अपने सजातीय मतदाताओं को एकजुट करने में कामयाब होते हैं तो सपा का समर्थक माना जाने वाला मुस्लिम मतदाता इनकी चुनावी नैया को पार लगा सकता है। राजनीतिकार कहते हैं कि मौर्या-मुस्लिम गठजोड़ की भरपाई के लिये भाजपा प्रत्याशी के पास कोई वोट बैंक नहीं है। फतेहपुर नगर पालिका परिषद क्षेत्र में मौर्या-मुस्लिम मतदाताओ बड़ा समूह है। वहीं सदर विधानसभा के सपा विधायक चन्द्र प्रकाश लोधी अपने सजातीय मतदाताओं का बड़ा समूह पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में करने में कामयाब होते हैं तो पिछड़ा वर्ग के अन्य मतों पर की जाने वाली सेंधमारी सफलता दिलाने में सहायक साबित होगी।
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नहीं भूल पा रहे लोग भाजपा विधायक विक्रम की हार
भाजपा प्रत्याशी प्रमोद द्विवेदी का स्वयं के जनता के बीच व्यवहार जहां चुनाव में आड़े आ रहा है, वहीं वर्तमान भाजपा अध्यक्ष की कारगुजारी भी उनकी जीत का बड़ा रोड़ा बनती नजर आती है। इसके अलावा बीते विधानसभा चुनाव में सदर से प्रत्याशी रहे पूर्व विधायक विक्रम सिंह की हार के कारणों की चर्चायें जिस तरह से जोर पकड़ती जा रहीं हैं, उससे भाजपा प्रत्याशी की मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं। इन सबके बावजूद भी राजनीतिकार कहते हैं कि फतेहपुर नगर पालिका परिषद के चुनाव में भाजपा और सपा प्रत्याशी के बीच कड़ा मुकाबला होगा।

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