हापुड़ पुलिस ने मेरठ से पब्लिशर को उठाया, जीप का पीछा करते पत्नी-भतीजे की हादसे में हुई मौत

 

मेरठ में गुरुवार रात 11 बजे टीपीनगर की गुप्ता कॉलोनी में रहने वाले पब्लिशर चेतन प्रकाश गर्ग को हापुड़ पुलिस हिरासत में लेने आई। नॉन बेलेबल वारंट दिखाने के दौरान घरवालों ने हंगामा कर दिया। जबरन कारोबारी को हिरासत में लेकर हापुड़ के लिए पुलिस टीम रवाना हुई। कारोबारी की पत्नी चित्रा और भतीजा मोहित स्कूटी से पुलिस जीप का पीछा करने लगे। इस दौरान उनकी सड़क हादसे में मौत हो गई। हादसा लोहियानगर के नजदीक बुलंदशहर-मेरठ हाईवे पर हुआ।

हापुड़ पुलिस को जब, कारोबारी की पत्नी-भतीजे की मौत के बारे में पता चला। तो वो शुक्रवार सुबह कारोबारी को उनके घर छोड़ गई। इस हादसे को लेकर सपा ने सवाल पूछा कि पुलिस नियम के खिलाफ कार्रवाई करती क्यों है?

चेतन ने बताया,”बुलंदशहर के एक कारोबारी संजीव अग्रवाल हैं। जिनके साथ हमारा बिजनेस का लेनदेन चलता था। उस पर हमारे प्रकाशन से किताबें उधार जाती थी। वो हमारा पेमेंट नहीं देना चाहता। इसलिए उन्होंने एक चेक डिसप्यूट का सहारा लिया। संजीव पहले भी हमसे रंजिश रख रहा है।

संजीव के साथ गुरुवार को 5 पुलिसवाले और 10 सादे कपड़ों में लोग थे। उन लोगों ने हमें घर से उठाया। हमने अपने बचाव के लिए प्रयास किया। हमारी पत्नी और भतीजे ने रिक्ववेस्ट की। उन्होंने नहीं बताया कि वो कहां ले जा रहे हैं? बस कहा कि हापुड़ जाना है।

मेरी पत्नी और भतीजे ने NBW वारंट दिखाने लगे। लेकिन, उस पर मेरा नाम नहीं था। फिर वो जबरन मुझे घसीटकर बाहर ले आए और एक प्राइवेट गाड़ी में बैठा दिया। मेरी पत्नी और भतीजा स्कूटी से गाड़ी के पीछे भागे।”

 

हादसे के बाद मुझे टीपीनगर थाने छोड़ा 
उन्होंने आरोप लगाया,” सभी पुलिसवाले प्राइवेट गाड़ी में थे। 3 स्कॉर्पियो और दो प्राइवेट गाड़ी थी। भतीजा मोहित, पत्नी चित्रा मेरी गाड़ी के पीछे थे। हादसा के बाद उन लोगों ने मुझे टीपीनगर थाने छोड़ दिया। वो लोग कहां चले गए मुझे नहीं पता। उन्होंने न कोई सबूत दिखाया न ही नोटिस दिखाया न ही कुछ और बताया बस मुझे लेकर जाने लगे।”

 

मोहित और चित्रा की गाड़ी कैंटर से टकराई, लाइसेंस से हुई पहचान
जब भतीजा मोहित और उनकी पत्नी चित्रा बिजली बम्बा बाइपास से आगे डंपिंग यार्ड के पास पहुंचे, तो पीछे से आ रही कैंटर ने उनकी गाड़ी में टक्कर मार दी। इसमें दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। युवक की जेब से मिले लाइसेंस से पुलिस ने मृतकों की शिनाख्त की। जिसके बाद सूचना परिवार तक पहुंची।

 

पुलिस ने देर रात को कैंटर कब्जे में लिया
पुलिस ने कैंटर को कब्जे में ले लिया। लेकिन उसका ड्राइवर मौके से फरार हो गया। व्यापारी के परिजनों ने देर रात जब हापुड़ पुलिस को इसके बारे में बताया। हापुड़ पुलिस ने व्यापारी को वापस घर छोड़ गई।

मृतक मोहित के भाई सौरभ का कहना है कि पुलिस वाले सादा वर्दी में आए थे। उनकी गाड़ी भी सरकारी नहीं थी। जिस वजह से चाची मोहित को स्कूटी पर बैठकर उनके पीछे-पीछे गई थीं। मोहित सीए था। परिवार मोहित प्रकाशन के नाम से प्रकाशन का काम करता है। जिसे उसके पिता प्रमोद गर्ग, चाचा चेतन प्रकाश समेत परिवार के सभी लोग मिलकर चलाते हैं।

 

पुलिस वाले आए, लेकिन कुछ भी बताने को तैयार नहीं थे
चेतन के बड़े भाई प्रमोद गर्ग ने कहा,”पुलिसवालों, जो हमारे घर रात 9 बजे आए थे। उन्होंने पहले तो अपना परिचय नहीं दिया। 5 पुलिसवाले, एक लेडी पुलिस थी। 10 अन्य लोग संजीव अग्रवाल के साथ हमारे घर आए। हमारे घर में ऊपर की मंजिल चढ़ आए। मेरे छोटे भाई चेतन प्रकाश गर्ग को जबरन धक्का-मुक्की करके ले गए। उसके पीछे मेरा बेटा मोहित और चेतन की पत्नी चित्रा स्कूटी से भागते गए। वो थाने के नाम से इन लोगों को लेकर गए।

उन्होंने कहा था कि टीपीनगर थाने लेकर जा रहे हैं, लेकिन वहां नहीं ले गए। बिजलीबंबा से लोहिया नगर की तरफ ले गए। वहीं रास्ते में पता नहीं संजीव अग्रवाल ने मरवाया या किसने टक्कर मारी नहीं पता। टक्कर से चित्रा, मोहित की डेथ हो गई। जहां तक रुपयों के लेनदेन का मामला है। संजीव अग्रवाल पर हमारे 35 लाख रुपए उधार हैं।”

मेरठ किठौर सीओ रुपाली राय ने बताया कि मृतकों के शव पंचनामा भरकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिए हैं। पूरे मामले की जानकारी के लिए हापुड़ पुलिस से भी संपर्क किया जा रहा है।

 

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