✍️ मलय पांडेय ✍️
फतेहपुर। पिता-पुत्र की गोली मारकर हत्या करने वाले एक परिवार छह लोगों को कोर्ट नंबर एक के न्यायाधीश अखिलेश पांडेय ने उम्रकैद और अर्थदंड की सजा सुनाई है। करीब 25 साल बाद आए फैसले को पीड़ित परिवार ने सराहा है। हत्याकांड को अंजाम खेत मवेशी चरने की खुन्नस में दिया गया था। घटना मलवां थाना क्षेत्र के बकोली गांव में 16 जुलाई 1998 में हुई थी। गांव के विशेषर सिंह अपने बेटे भानू प्रताप सिंह के साथ घटना की रात करीब नौ बजे दरवाजे पर छप्पर के नीचे बैठे। गांव के सगे भाई महेश उर्फ पप्पू शुक्ला, मुन्ना उर्फ राजेश शुक्ला, राजू उर्फ राजेंद्र शुक्ला व सगे भाई भोने उर्फ जयप्रकाश, टिर्रा उर्फ रामप्रकाश और गोला उर्फ गुड्डू लाइसेंसी बंदूकों के साथ मृतकों के घर पहुंचे थे। मार डालने के लिए ललकारा और पिता-पुत्रों पर फायरिंग की थी। गोली लगने से भानू प्रताप सिंह की मौके पर मौत हुई। जान बचाकर विशेषर भागा और पड़ोसी दयाशंकर के घर में छिपने लगा। दौड़ाकर विशेषर की भी आरोपियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। मृतक भानू के पुत्र विनय सिंह की ओर से सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। सहायक शासकीय अधिवक्ता रहस बिहारी श्रीवास्तव और पैरवी पक्ष के अधिवक्ता हितेंद्र बहादुर सिंह ने संयुक्त रूप से कोर्ट में बहस की। अधिवक्ता रहस बिहारी श्रीवास्तव ने बताया कि प्रकरण की 25 अप्रैल को अंतिम सुनवाई हुई। कोर्ट ने सभी आरोपियों को शु्क्रवार को दोषी माना। प्रत्येक को 27-27 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। सारे आरोपी रिश्ते में चचेरे भाई हैं। घटना से एक हफ्ते पहले मृतक के मवेशी दोषियों के खेत में चले गए थे। इसी विवाद की रंजिश में हत्या किए जाने की एफआईआर दर्ज कराई गई थी।