डबल इंजन की सरकार में सदर से सपा की जीत पर उठे सवाल – सदर सीट भाजपा प्रत्याशी को 1834 वोटों से हराकर सपा से अध्यक्ष बने राजकुमार

फतेहपुर। नगर निकाय चुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी जहां प्रदेश की सभी 17 नगर निगमों को जीत कर डबल इंजन हासिल करने में कामयाब हुई है। वहीं जनपद की 10 सीटों पर घोषित हुए चुनाव परिणाम के बाद कही खुशी तो कहीं गम का माहौल है। सपा व भाजपा के बीच प्रतिष्ठा का सवाल बनी सदर नगर पालिका परिषद के चुनाव में एक बार फिर से सपा ने भाजपा को पटखनी देते हुए बाज़ी अपने नाम कर लिया। इसी के साथ नगर पालिका परिषद की सीट पर सपा के राजकुमार का कब्ज़ा हो गया। सपा प्रत्याशी राजकुमार मौर्या एडवोकेट को 37993 वोट मिले जबकि भाजपा प्रत्याशी रहे प्रमोद द्विवेदी को 36159 वोट से संतोष करना पड़ा। इस तरह से सपा प्रत्याशी राजकुमार मौर्या ने 1834 वोटों से जीत अपने नाम कर लिया।
सपा की जीत के बाद हुए सदर अस्पताल तिराहे पर हुए हाईवोल्टेज ड्रामे के बीच जिला प्रशासन ने सपा प्रत्याशी राजकुमार मौर्या को जीत का प्रमाणपत्र देकर विजेता घोषित कर दिया गया। प्रशासन के इस रवैय्ये से सदर नगर पालिका सीट जिताने की जिम्मेदारों में से पूर्व विधायक विक्रम सिंह भाजपा प्रत्याशी एवं अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गये और पुनर्मतगणना की मांग करने लगे। लगातार जिला प्रशासन पर दबाव बनाने की कोशिश की गई वही सपा से नप अध्यक्ष बने राजकुमार मौर्या के समर्थन में जनपद के अधिवक्ताओं के लामबंद होने से प्रशासनिक अफसर किसी भी तरह के मनमानी करने से बचते दिखाई दिए। देर रात तक चले हाई वोल्टेज ड्रामे में पुलिसिया घुड़की के बीच भाजपा आलाकमान से धरना समाप्य करने के आये निर्देश के बाद आखिरकार सत्ता पक्ष का धरना समाप्त हुआ और अफसरों ने राहत की सांस ली।
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अपनी ही सरकार के खिलाफ सत्ताधारियों के धरने पर उठे सवाल
सपा प्रत्याशी राजकुमार मौर्या से 1834 वोटों से हार के बाद भाजपा प्रत्याशी प्रमोद द्विवेदी व सदर विधानसभा के पूर्व विधायक विक्रम सिंह ने अफसरों पर धांधली करने का आरोप लगाते हुए पहले तो जमकर हंगामा किया फिर पुनर्मतगणना की मांग को लेकर व अपने समर्थकों के साथ सदर अस्पताल तिराहे पर धरने पर बैठ गये। विपक्षी दलों या निर्दलियों की हार के बाद हंगामा हो तो उसे भले की नज़र अंदाज़ कर दिया जाये लेकिन सत्ताधारी दलों के लोगों द्वारा अपनी ही सरकार की मशीनरी पर पक्षपात किये जाने का आरोप लगाना किसी के गले से आसानी से नहीं उतर सकता।
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हाजी रज़ा को जिला बदर करने के बाद भी मिली निराशा
निकाय चुनाव से ठीक पहले नगर पालिका की निवर्तमान अध्यक्ष नज़ाकत खातून के पुत्र एवं उनके प्रतिनिधि हाजी रज़ा को सत्ता के दबाव में भले ही तड़ीपार कर देने का आरोप लगाया जा रहा हो लेकिन चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद अब लोगों की ज़ुबान पर यही सवाल है कि हाजी रज़ा को निकाय चुनाव से दूर करने के बाद भी सत्ताधारी दल भाजपा सदर नगर पालिका परिषद की अध्यक्षी पाने में कामयाब नही हो सकी।
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विकास के दम पर जनता ने सपा को दिलाई जीत
सदर नगर पालिका परिषद सीट पर एक बार फिर से सपा की जीत पर पूर्व अध्यक्ष प्रतिनिधि हाजी रज़ा के समर्थक बेहद उत्साहित हैं। लोगों का कहना रहा कि पूर्व अध्यक्ष के कार्यकाल में शहर में ऐतिहासिक विकास कार्य हुआ है और विकास के दम पर ही जनता ने सपा को दूसरी बार मौका दिया है। समर्थकों का कहना रहा कि कार्यकाल में शहर के कई मार्गाे में डिवाईडर युक्त सड़को के अलावा गलियों में भी चमचमाती सड़कों का जाल बिछाया गया है। इसके अलावा चौराहों का सौन्दर्यीकरण व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर पार्क की सौगात मिली थी। सौन्दर्यीकरण के बाद चौराहे के नामकरण में समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने का ख्याल रखा गया था।
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पहले सपाइयों ने फिर सत्ताधारियों ने पुलिस पर पक्षपात का लगाया आरोप
निकाय चुनाव के दौरान पुलिस पर पक्षपात करने का सपाइयों द्वारा अनेकों बार आरोप लगाये गये। सपा कार्यकर्ताओं ने शहर कोतवाल अमित कुमार द्विवेदी पर सपा के गढ़ कहे जाने वाले क्षेत्रों में जाकर चुनाव के नाम पर लोगों के उत्पीड़न किये जाने को लेकर कई बार आरोप लगाये थे। सपा नेताओं ने पुलिस पर वोटरों को भयभीत किये जाने को लेकर जिला निर्वाचन अधिकारी व जिलाधकारी को शिकायती पत्र देकर शहर कोतवाल के रहते निष्पक्ष चुनाव होने पर ही संदेह जताया था व कोतवाल को हटाये जाने की मांग की थी। कई बार शिकायत के बाद भी कार्रवाई न होने पर सपा नेताओं ने पर्यवेक्षक से भी मुलाकात की थी। निकाय चुनाव मतगणना में भी सपाइयों ने पुलिस पर मतगणना अभिकर्ताओं के उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। हर बार सत्ताधारी ने पुलिस की कार्यशैली को कानून व्यवास्था के लिये उचित ठहराया था। परंतु चुनाव नतीजा खिलाफ आते ही सत्ताधारी दल के नेताओ के सुर बदल गये और अचानक मित्र पुलिस की कार्यशैली बुरी लगने लगी। सदर प्रत्याशी प्रमोद द्विवेदी व पूर्व सदर विधायक विक्रम सिंह ने धरने के दौरान पुलिस पर पक्षपात करने व व सपा का पक्ष लेने का आरोप लगाया। इनसेट-5
क्या गणना कर्मियों से बदसलूकी पड़ी भारी
निष्पक्ष मतदान व मतगणना कराना राज्य निर्वाचन आयोग की ज़िम्मेदारी है। इस दायित्व के निर्वहन के दौरान कर्मियों पर भी आरोप लगा दिए जाते है। मतगणना में उपस्थित लोगों की माने तो गणना के दौरान भाजपा प्रत्याशी प्रमोद द्विवेदी पर विपक्षी सपा के राजकुमार मौर्या को लीड मिलते ही सत्ताधारी दल के कार्यकर्ता आक्रोशित हो उठे। इस दौरान गणना के कार्य में लगे कर्मियों से बदसलूकी भी की गई। जिसकी वजह से कुछ देर के लिये मतगणना का कार्य भी प्रभावित हुआ। सूत्रों की माने तो इसके बाद गणना कर्मियों ने भाजपा कार्यकर्ताओं के दबाव को दरकिनार कर नियमो के अनुरूप ही चलने व गणना कार्य बाधित करने पर कार्रवाई करवाने की घुड़की भी दे दी। हालांकि अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हो गया।
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बड़े अफसरों पर भी लगाये आरोप
सदर तहसील के लिये राजकीय इंटर कालेज में हो रही गणना के दौरान हल्की न नुकुर के बाद जहां बहुआ व असोथर के परिणाम तो स्वीकार कर लिया गया। वही सदर नगर पालिका परिषद के परिणाम सत्ताधारी दलों के नेताओ के लिये नाक का विषय था ऐसे में परिणाम अपने विरोध में आते ही सत्ताधारी नेता आक्रोश में आ गये और हार का ठीकरा एसडीएम सदर व पुलिस अधीक्षक पर फोड़ने लगे। इस दौरान अफसरों पर कार्यकर्ताओं की न सुनने व पक्षपात करने का भी आरोप लगा। वहीं अफसरों ने सभी कार्य चुनाव आयोग के निर्देशो के अनुरूप करने व नियमानुसार होने की बात दोहराते हुए किसी तरह के पक्षपात से इंकार किया।

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