न्यूज वाणी ब्यूरो
हापुड। जनपद हापुड़ के मेरठ रोड के फ्लाईओवर के मोदीनगर मोड़ पर तापमान 39 डिग्री सेल्सियस में हाथ में छाता लेकर जिम्मेदारी के साथ यातायात पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी निभाते हुए नजर आए। आपको बता दें कि यातायात पुलिसकर्मी जिनके ऊपर पूरे शहर का जिम्मा रहता है वह खुद अपनी दुश्वारियों से रोजाना दो-चार होते हैं। हम बात कर रहे हैं उन ट्रैफिक कर्मियों के जिनके कंधे पर उत्तर प्रदेश की ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने का जिम्मा है।रोजाना सुबह 9 बजे से रात के 10 बजे तक ट्रैफिक पुलिस ड्यूटी के दौरान ना तो ठीक से खाना खा पाते है ना ही सोने का वक्त मिल पाता है। ट्रैफिक पुलिस कर्मी अपना दर्द बयां करते हुए बताते हैं कि, ड्यूटी पूरी करते-करते घर परिवार को कही पीछे छोड़ आते हैं और घर के ज्यादातर जरुरी काम पड़ोसी के भरोसे छोड़ देते हैं। बीमार होने पर भी अवकाश के लिए दो पहले मुख्यालय को सूचना देना पड़ता है कि हम बीमार होने वाले हैं।
ट्रैफिक कर्मी अपनी ड्यूटी को लेकर इतने मशगूल होते है कि, कम उनके घर में बच्चा बड़ा हो जाता है उन्हें खुद को नहीं मालूम होता। इसके पीछे ट्रैफिक पुलिस का तर्क है कि, जब सुबह होने पर सो कर उठते हैं तब बेटा और बेटी स्कूल चले जाते हैं, जबकि रात को ड्यूटी कर घर पहुंचते है तब बच्चे खाना खा कर सोते रहते हैं। ट्रैफिक कर्मियों के बच्चे अक्सर घर में अपनी मां से कहते हैं कि, क्या मम्मी और माता-पिता की तरह हम भी अपने पापा के साथ बाहर कभी एक साथ घूमने जा पायेगे।
रोजाना ट्रैफिक ड्यूटी करने के चलते आंखों में जलन और मानसिक अवसाद संबंधित बीमारी तो आम बात सी हो गई है। अपने ही घर में बच्चों से पापा शब्द सुने तो महीनों बीत जाते हैं।”
टीएसआई लाखन सिंह कहते हैं, “रोजाना ट्रैफिक ड्यूटी करने के चलते आंखों में जलन और मानसिक अवसाद संबंधित बीमारी तो आम बात सी हो गई है, फिर भी अपने ड्यूटी तो करते ही हैं।अपने ही घर में बच्चों से पापा शब्द सुने तो महीनों बीत जाते हैं।” ये दर्द सिर्फ प्रेम शाही का ही नहीं बल्कि सभी ट्रैफिक कर्मियों का है, जो सबकुछ सह कर भी अपना दर्द नहीं बयां कर पाते। बच्चे अगर बीमार पड़ जाये तो उन्हें वक्त न मिलने के चलते डॉक्टर के यहां ले जाने के लिए सोचना पड़ता है।”देश की सुरक्षा के लिए हमारे सैनिक सियाचीन का बर्फीला तूफान हो या फिर राजस्थान की रेत में चिलचिलाती धूप को भी मात दे देते हैं। कमोबेश ऐसे ही हालात प्रदेश के ट्रैफिक कर्मियों का भी है। ट्रैफिक कर्मी शहर की यातायात व्यवस्था को दुरस्त रखने के लिए 39 डिग्री तापमान में बिना बैठे, बिना छाव के लगातार आठ से 10 घंटे तक ड्यूटी करते हैं। तेज धूप हो या, कड़ाके की सर्दी या फिर बारिश। इसलिए समाज की जनता को पुलिसकर्मियों का सम्मान करना चाहिए। वह अपने बीवी बच्चो को छोड़कर समाज की सुरक्षा के लिए तैनात रहते हैं।