अवैध खनन से भूरागढ़ पुल पर मंडरा रहा खतरा  

 

 मुन्ना बक्श ब्यूरो चीफ 

बांदा। जिले के भूरागढ़ पुल के नीचे नदी से नाव द्वारा बालू निकालकर अवैध खनन व परिवहन किया जा रहा है। पुल के नीचे खदान के नाम का कोई पट्टा नहीं है फिर भी दबंग माफिया पिकअप से बालू (लोडर) गाड़ी से परिवहन कर सरकार के राजस्व को क्षति पहुंचा रहे हैं। गौरतलब हो कि अवैध खनन की खबर सूत्रों से मिलने पर मीडियाकर्मी मौके पर पहुंचकर अवैध खनन व परिवहन की कवरेज करके खनिज अधिकारी बांदा को फोन किया गया लेकिन खनिज अधिकारी नें यह कहाँ की मैं टाइपिंग करवा रहा हूँ पांच मिनट में फोन करता हूँ यह कहकर उन्होंने फोन काट दिया, फिर मीडियकर्मी नें अपने व्हाट्सएप से हो रहे अवैध खनन की विडिओ और डिटेल्स लिखकर खनिज अधिकारी बांदा के व्हाट्सएप पर भेज दिया ताकि विडिओ देखकर कोई कार्रवाही करेंगे लेकिन खनिज अधिकारी का न फोन आया न ही मौके पर खुद आए इससे साफ साबित हो रहा है कि अवैध खनन जिले के जिम्मेदार संलिप्त है अवैध खनन से भूरागढ़ पुल पर भी भारी खतरा है मंडरा रहा है। भूरागढ़ पुल पर ट्रेन का भी पुल बना हुआ है जो बालू निकालने से कभी भी धस सकता है। भूरागढ़ पुल के नीचे नदी से नाव द्वारा बालू निकालकर कर्बला के रास्ते से निकलकर शहर के अंदर से पिकअप गाड़ी ( लोडर) बेखौफ होकर आरटीओ आफिस के सामने से परिवहन किया जा रहा है। अवैध खनन एवं परिवहन में लगभग तीन से चार दर्जन पिकअप लोडर गाड़ी शामिल हैं। इतना ही नहीं गाडियां बिना नंबर प्लेट के निकलती है। और बालू के ऊपर से पीले कलर की त्रिपाल डालकर पुलिस और आरटीओ की आंखों में धूल झोंककर कर निकल रहे है बालू माफिया सरकार के राजस्व को चूना लगा रहे हैं। बालू माफिया खनिज संपदा की लूट कर अपनी तिजोरियां भर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जीरो टॉलरेंस पर काम करने के दिशानिर्देश पूरे प्रदेश में उच्च अधिकारियों से लगाकर निचले स्तर तक भेज दिया है और माफियाओं पर कड़ी कार्यवाही लगातार जारी होने के बावजूद बांदा जिले के खनन माफियाओं में कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है। सूत्रों हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक भूरागढ़ पुल के नीचे नदी में अवैध खनन एवं परिवहन कराने में अमर सिंह नामक व्यक्ति की संलिप्तता सामने आई है।

 

जिले में बालू का अवैध खनन जोरों पर चल रहा है। इससे पर्यावरण पर संकट खड़ा हो रहा है।

 

बालू खनन से नदियों का तंत्र प्रभावित होता है तथा इससे नदियों की खाद्य-श्रृंखला नष्ट होती है। बालू के खनन में इस्तेमाल होने वाले सैंड-पंपों के कारण नदी की जैव-विविधता पर भी असर पड़ता है। खनन से नदियों का प्रवाह-पथ प्रभावित होता है। इससे भू-कटाव बढ़ने से भूस्खलन जैसी आपदाओं की आवृत्ति में वृद्धि हो सकती है। नदियों में बालू-खनन से निकटवर्ती क्षेत्रों का भू-जल स्तर बुरी तरह प्रभावित होता है। साथ ही भू-जल प्रदूषित होती है। प्राकृतिक रूप से पानी को शुद्ध करने में बालू की बड़ी भूमिका है। खनन के कारण नदियों की स्वत: जल को साफ कर सकने की क्षमता पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।

 

अवैध बालू खनन से सरकारी खजाने को प्रतिवर्ष हजारों करोड़ रुपए का नुकसान भी हो रहा है।

 

बालू के अवैध उत्खनन से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। इसका खामियाजा हमारी आने वाली पीढ़ी भुगतेंगी। इससे जल स्तर कम होता जा रहा है। बालू में पानी को सोखकर जमीन में संग्रहित करने की अत्याधिक क्षमता होती है। जब नदियों में बालू ही नहीं रहेगी तो पानी का अवशोषण कैसे होगा। नदियों में बालू को संरक्षित करना बहुत जरूरी है।

 

अवैध उत्खनन पर रोक लगाकर पर्यावरण की रक्षा हो । खनन माफिया के कारण गड्ढे में गिरने व डूबने से कई लोगों की जान जा चुकी है।

 

अवैध उत्खनन का सभी को विरोध करना चाहिए। विभाग व प्रशासन दोनों ही अवैध उत्खनन को नहीं रोक सकीं। जबकि एक दिन में पूरे जिले का अवैध उत्खनन रोका जा सकता है। लेकिन इस पर रोक लगाने के प्रति उदासीन है।

 

अवैध खनन के व्यापार को राजनीतिक व प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है। गैर राजनीतिक वर्ग कभी इस तरह के काम नहीं करते हैं। अवैध उत्खनन को रोकने के लिए प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही जनता को भी हिम्मत दिखानी होगी। मुठ्ठी भर लोग अपने निजी लाभ के लिए अवैध उत्खनन में लिप्त हैं। आगे की खबर अगले अंक में प्रकाशित की जायेगी न्यूज़ वाणी का अवलोकन करना न भूलें।

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